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सेना का जवान, होमगार्ड और बैंक एजेंट ने रचा ठगी का खेल, टीटीई लगाने के नाम पर ठगा Panipat News

अंबाला में सेना के जवान होमगार्ड और बैंक एजेंट ने ठगी का खेल रचा। इसके बाद टीटीई की नौकरी के नाम पर ठगी कर ली।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 04:02 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 04:02 PM (IST)
सेना का जवान, होमगार्ड और बैंक एजेंट ने रचा ठगी का खेल, टीटीई लगाने के नाम पर ठगा Panipat News
सेना का जवान, होमगार्ड और बैंक एजेंट ने रचा ठगी का खेल, टीटीई लगाने के नाम पर ठगा Panipat News

पानीपत/अंबाला, जेएनएन। छावनी में होमगार्ड, सेना का जवान और निजी बैंक का एजेंट लोगों को ठगता रहा। प्रेम स्याल, हरगोपाल और सुशील ने खुद का गैंग बनाया है। वर्ष 2018 में रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर सात लोगों को अपना निशाना बनाया। उनसे करीब सात लाख रुपये भी ले लिए। जब नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने अपने पैसे मांगे। उन्होंने पैसे नहीं दिए और फरार हो गए। बाद में सेना के रिटायर्ड जवान ने साढ़े चार लाख रुपये का चेक थमा दिया, जो बाद में बाउंस हो गया।

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पीडि़त की शिकायत पर आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज शुरू कर कार्रवाई शुरू कर दी है, जबकि इस गिरोह के बाकी सदस्य अलग-अलग ठिकानों पर लोगों को ठग रहे हैं। पुलिस गिरोह के बाकी सदस्यों का भी पता लगाने में जुटी है। 

वर्दी का रोब जमाकर प्रेम स्याल करता है वसूली

पालम विहार निवासी प्रेम स्याल बड़ा ही शातिर है। पहले वह होमगार्ड की नौकरी करता था, लेकिन बाद में उसी वर्दी में लोगों पर पुलिस का अफसर बताकर रोब जमाने लगा। लोगों से पुलिस के नाम पर लोगों से पैसे भी वसूलता था। अगर कोई विरोध करता था, तो उस पर वर्दी का रोब जमाता है। 

बैंक एजेंट बनकर सुशील लोगों को फंसाता है 

न्यू शालीमार बाग कालोनी का रहने वाला सुशील भी कम नहीं है। वह खुद को निजी बैंक का एजेंट बताता है। लोगों का लोन और इंश्योरेंस भी कराता रहा। सुशील एजेंट बनकर लोगों से मिलता था। साथ ही वह नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को फंसाता था और प्रेम स्याल से मिलवाता था।

सेना से रिटायर्ड जवान है हरगोपाल  

हरगोपाल जो प्रेमस्याल का भाई है। वह सेना में रिटायर्ड है। वह भी लोगों को ठगने में मुख्य भूमिका निभाता है। गिरोह का तीसरा सदस्य हरगोपाल है। जब मामला उजागर हो जाता था, तब पुलिस से बचने के लिए फर्जी चेक देकर मामले को दबाने का प्रयास करता था, जबकि उसके एकाउंट में रकम तक नहीं होती, लेकिन वह पीडि़तों को लाखों के चेक दे देता है।

दिनेश ने महेशनगर थाने में कराई रिपोर्ट दर्ज

न्यू मिलाप नगर निवासी दिनेश कुमार से 80 हजार, हरीश कुमार से 50 हजार, इंद्रजीत से 80 हजार, तरसेम कुमार से 80 हजार, ललीत से 80 हजार, अनिल कुमार से 30 हजार और हरीश (हैप्पी) से 30 हजार रुपये लिए गए। उन्होंने अपनी पहली किस्त 10 अप्रैल, 2018 और अंतिम किस्त 1 नवंबर, 2018 को दी थी। इस घटना को दो साल बीतने के बाद भी न नौकरी मिली और न ही इन आरोपित सुशील कुमार और प्रेम स्याल ने पैसे वापस किए।

पुलिस की देखरेख में हुआ समझौता 

जब आरोपितों ने पैसे नहीं दिए तो लोगों ने पंचायत बुलाई। थाने में शिकायत दर्ज की। 16 मई, 2019 को पुलिस चौकी में आरोपितों को बुलाया गया। जहां पर साढ़े चार लाख रुपये के दो चेक देकर आरोपितों ने खुद को बचा लिया। चेक हरगोपाल ने दिए थे, लेकिन बैंक में पैसे न होने के कारण चेक बाउंस हो गए।

हरियाणा समेत दिल्ली एनसीआर में ठगी करने वाला गैंग सक्रिय

रेलवे में नौकरी लगवाने का गिरोह हरियाणा में ही नहीं बल्कि दिल्ली में भी सक्रिय है। अंबाला के सुशील, प्रेम श्याल और हरगोपाल हरियाणा में लोगों को रेलवे में नौकरी के नाम पर फंसाते थे। लेकिन इनके कुछ लोग दिल्ली में बैठकर पैसों की मॉनिटङ्क्षरग करते है। इस प्रकरण में दो लोगों के नाम और सामने आए है। जिसमें सूरजपाल और हरीश कुमार है। रेलवे डिवीजन दिल्ली में खुद को डीआरएम का पीए बताते है। साथ ही जब लोग पैसे दे देते है तो वह फोन पर मैसेज करते है कि आपकी किस्त जमा हो गई है। दूसरा नियुक्ति और साक्षात्कार के लिए लोगों के मोबाइल पर फोन करता है। आपका इंटरव्यू जल्द होने वाला है। अंबाला में सात लोगों के फोन पर भी सूरजपाल और हरीश ने पैसे मिलने और नियुक्ति को लेकर मैसेज किए। जबकि उन्होंने पैसे प्रेम श्याल और सुशील को दिए थे। 

एकाउंट में किश्तों में लेते है डेढ लाख 

गिरोह इतना सक्रिय है कि कैश पेमेंट नहीं लेता। रेलवे में नौकरी लगवाने के लिए वह एकाउंट से सीधे डील करता है। अंबाला में सात लोगों से टीटीई की नौकरी दिलाने के लिए डेढ-डेढ लाख रूपये मांगे गए। इसमें एक बार में तीस हजार, दूसरी बार में पचास हजार और तीसरी किस्त में बाकी बचा हुआ रूपया। 

पैसा देने से मना करते है तो फोन पर आता है मैसेज

जब लोग नौकरी की दूसरी किस्त देने से मना करते है और उन्हें शक होने लगता है कि हमारा काम नहीं होने वाला। उसके एक-दो दिन बाद दिल्ली में बैठे हुए सूरजपाल और हरीश कुमार मोबाइल पर मैसेज करते है कि उनको पहली किस्त मिल गई है और उनको साक्षात्कार के लिए एक-दो दिन में बुलाया जाएगा। उसके बाद लोगों को यकीन हो जाता है कि काम पक्का है। इस तरह से ठग दूसरी किस्त भी ले लेते है।  

25 लोगों को एक साथ फंसाते है

ठगी करने वाला गिरोह इतना सक्रिय है कि यह एक साथ 25 लोगों को नौकरी के लिए सलेक्ट करता है। जब पच्चीस लोग सलेक्ट हो जाते है तो उनसे किस्तों में पैसा लेता है। दूसरे लोगों को भी यकीन हो जाता है कि काम जरूर पूरा हो जाएगा। लेकिन बाद में पैसा देने के बाद एकाउंट और मोबाइल सब बंद कर लेते है।  


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