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स्वच्छता रैंकिग के लिए वर्कशाप, दूसरी तरफ शहर के शौचालयों पर ताला

जागरण संवाददाता पानीपत शहर की स्वच्छता रैंकिग सुधारने के लिए नगर निगम की टीम के साथ

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 08:53 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 08:53 AM (IST)
स्वच्छता रैंकिग के लिए वर्कशाप, दूसरी तरफ शहर के शौचालयों पर ताला
स्वच्छता रैंकिग के लिए वर्कशाप, दूसरी तरफ शहर के शौचालयों पर ताला

जागरण संवाददाता, पानीपत : शहर की स्वच्छता रैंकिग सुधारने के लिए नगर निगम की टीम के साथ कार्यशाला लगाई गई। सुधार करने के लिए कई तरीके बताए। जिस माध्यम से रैंकिग में नंबर ऊपर आ सकता है, वही काम शहर में नहीं हो रहे। दैनिक जागरण ने शहर के सार्वजनिक शौचालयों की पड़ताल की। ज्यादातर पर ताला ही लटका मिला। कचरा प्रबंधन के गुर सिखाए गए। शहर में कहीं भी कचरे को अलग करके नहीं लिया जाता। इस हालात में वर्कशाप का लाभ तभी मिलेगा, जब निगम अफसर ग्राउंड पर जाकर काम करेंगे।

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स्काईलार्क में आयोजित वर्कशॉप में फीडबैक फाउंडेशन के प्रबंधक अजीत तिवारी ने निगम अफसरों और पार्षदों को बताया कि वर्ष 2000 में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट रूल बनाया गया था। 2016 में इसे संशोधित कर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल बनाया गया। म्यूनिसिपल शब्द हटाने का मकसद कूड़ा प्रबंधन में सभी की भागीदारी तय करने से है। कूड़ा जहां से पैदा होता है, वहीं उसे अलग किया जाना चाहिए। घर पर जो गाड़ियां संग्रह करने आती है उसमें चार अलग अलग सेगमेंट में कूड़ा रखने की व्यवस्था हो। कूड़ा प्रबंधन में इससे आसानी होगी। गीले कूड़े से खाद और सूखे को फैक्ट्री में रि-सायकिल के लिए भेजें। घरेलू बायो मेडिकल वेस्ट को ट्रीटमेंट के लिए उस एजेंसी के पास जो उसका निर्माण कर रही है और ई वेस्ट को रि-साइकिलिग के लिए भेजा जाए।

कूड़ा उठाने वालों के पास ये चार चीजें जरूरी

-हेलमेट

-मास्क

-दस्ताना

-जैकेट

क्वालिटी सर्विस ऑन टाइम

कूड़ा प्रबंधन में क्वालिटी सर्विस ऑन टाइम जरूरी है। कूड़ा उठाने वाली गाड़ी समय से कालोनी में जाए। इंतजाम सही होगा तो लोग यूजर्स चार्ज (30 से 50 रुपये) देने से पीछे से हटेंगे। गाड़ी पर ये इंतजाम होना चाहिए। -गाड़ी पर चार पार्टीशन (खाने) बने हों।

-गाड़ी नंबर सहित रूट प्लान।

-सुझाव देने का नंबर लिखा हो।

-सुझाव टूल बॉक्स लगा होना चाहिए।

-मॉनीटरिग सिस्टम लगा हो।

-शिकायत नंबर उस लिखा हो।

-माइक/सायरन होना चाहिए।

-गाड़ी पर तैनात कूड़ा उठाने वाला पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) से लैस हो।

क्या है ठोस कचरा प्रबंधन

जो वस्तु जहां से आई है, वहां पहुंचाना ही ठोस कचरा प्रबंधन है। इसे पहुंचाने के लिए तमाम मशीनें और मैन पावर लगाए जाते हैं। रुल 2016 के मुताबिक सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे तो प्रबंधन में कोई परेशानी नहीं आएगी। जीवनशैली बदलने से हम कूड़ा मिक्स कर रहे हैं। पहले तो अलग करके ही रखते थे। स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए 25 दिसंबर तक का समय है। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए समुदाय की भागीदारी को बढ़ाएं।

वर्कशॉप में उपयोगी जानकारी : सुशील कुमार

निगम आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि वर्कशॉप से कई नई चीजें सीखने को मिली हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण का स्तर सुधारने में इससे मदद मिलेगी। इस अवसर पर एक्सईएन नवीन, एक्सईएन जीपी वधवा, कार्यकारी अधिकारी राकेश कादियान, सेनेटिरी ऑफिसर सुधीर कुमार, नरेश कुमार व विजय कुमार मौजूद रहे। वर्कशॉप में दोपहर बाद वार्ड नंबर एक से पार्षद पति सुरेंद्र परुथी, पांच से अनिल बजाज, सात से अशोक कटारिया, वार्ड नंबर 15 से सुमन रानी व वार्ड नंबर 16 से अतर सिंह रावल सहित अन्य पार्षद शामिल हुए।


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