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सात लोगों के कातिल संजीव पैरोल के दौरान फरार, पुलिस को दिया झासा, बताये पते पर गया ही नहीं

पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया और उनके परिवार के सात लोगों का हत्यारा संजीव पैरोल के दौरान फरार हो गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jun 2018 11:41 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jun 2018 11:41 AM (IST)
सात लोगों के कातिल संजीव पैरोल के दौरान फरार, पुलिस को दिया झासा, बताये पते पर गया ही नहीं
सात लोगों के कातिल संजीव पैरोल के दौरान फरार, पुलिस को दिया झासा, बताये पते पर गया ही नहीं

पोपीन पंवार, यमुनानगर

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पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया और उनके परिवार के सात लोगों के हत्यारे दामाद संजीव फरार हो गया है। वह पैरोल पर 14 दिन के लिए घर गया था, लेकिन लौटा ही नहीं। अब पता चला है कि उसने पुलिस को चकमा दिया। यमुनानगर के चंगनौली स्थित अपने घर गया ही नहीं। मंगलवार को जागरण रिपोर्ट जब संजीव के बताए गांव चंगनौली पहुंचा तो ग्रामीण भी हैरान थे। उनका कहना था कि पैरोल के दौरान तो संजीव गांव आया ही नहीं। संजीव मूल रूप से सहारनपुर का रहने वाला है।

मालूम हो कि संजीव कुरुक्षेत्र जेल से करीब दो हफ्ते की पैरोल पर आया था। बीते 31 मई को वह वापस नहीं पहुंचा। पुलिस ने यमुनानगर के गाव चंगनौली में छापा मारा लेकिन वह वहा नहीं मिल पाया।

जानकारी के अनुसार रेलूराम पूनिया हत्याकाड के दोषी दंपती संजीव और सोनिया इससे पहले फरीदाबाद जेल में बंद थे। वहा संजीव ने पैरोल के लिए आवेदन किया था। बाद में उसे कुरुक्षेत्र की जेल में भेज दिया गया। मई माह में 14 दिन के लिए संजीव को पैरोल मिली थी और 31 मई को उसे जेल में वापस लौटना था, लेकिन वह नहीं पहुंचा। बिलासपुर थाने में उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि हिसार के विधायक रहे रेलूराम पूनिया व परिवार के आठ सदस्यों की 24 अगस्त 2001 को हत्या कर दी गई थी। इस जघन्य हत्याकाड को उनके दामाद संजीव और बेटी सोनिया ने अंजाम दिया था। बाद में दोनों को फासी की सुजा सुनाई गई, जिसे राष्ट्रपति ने उम्रकैद में बदल दिया था। बेटा प्रशात 2001 में वारदात के समय दो साल का था। इस समय सहारनपुर में दादा अनूप व दादी राजबीरी के साथ रहकर पढ़ाई कर रहा है। संपत्ति की भूख में आठ परिजनों को मारा था दंपत्ति ने सोनिया ने अपने पति संजीव के साथ मिलकर बड़ी ही चतुराई से अपने परिवार के एक-एक कर आठ लोगों की हत्या को अंजाम दिया था। दोनों ने पूरे हत्याकाड को संदिग्ध बनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन हत्याकाड के मास्टर माइंड संजीव ने लाई डिटेक्टर टेस्ट में पूरे घटनाक्त्रम की तस्वीर खींच कर रख दी थी।

लाई डिटेक्टर टेस्ट में संजीव ने बताया कि उसने और उसनी पत्‍‌नी ने रात 11 बजे से सुबह 4 बजे के बीच पूरे हत्याकाड को अंजाम दिया। सबसे पहले उन्होंने सोनिया के जन्मदिन की पार्टी के बहाने पटाखे के शोर में पिस्तौल से सबकी हत्या करने की योजना बनाई। पार्टी के बाद जब पटाखे चलाए गए तो कृष्णा ने रेलूराम की नींद में खलल पड़ने की बात कहकर पटाखे चलाने से मना कर दिया। तब संजीव और सोनिया ने लोहे की रॉड से हत्या करने की योजना बनाई।

दोनों ने सबसे पहले मकान की दूसरी मंजिल पर सो रहे रेलूराम की रॉड से हत्या कर दी। इसके बाद दोनों मकान की आखिरी मंजिल पर पहुंचे जहा उन्होंने रेलूराम की पत्‍‌नी कृष्णा और तीन माह की पौती प्रीति की सोते हुए में हत्या कर दी। तीन हत्याएं कर सोनिया और संजीव नीचे आए, जहा सोनिया का भाई सुनील, भाभी शकुंतला, बहन पम्मा एक कमरे में बच्चे लोकेश व शिवानी के साथ बैठे बातें कर रहे थे। दोनों पम्मा का ताइक्वाडो चैंपियनशिप में चयन करवाने का बहाना बनाकर दूसरे कमरे में ले गए और वहा उसकी हत्या कर दी। इस हत्या के समय कुछ शोर हुआ तो उन्होंने अटैची गिरने की बात कहकर मामले को दबा दिया। बाद में दोनों सुनील को प्रापर्टी का फैसला करने के लिए मा कृष्णा देवी (जिसकी पहले ही हत्या कर दी थी) के पास ले जाने लगे। शकुंतला ने भी साथ चलने के लिए कहा लेकिन उसे झगड़े की जड़ बताते हुए उन्होंने उसे साथ ले जाने से मना कर दिया। इसी दौरान सुनील ने संजीव के कपड़ों पर खून के निशान देख लिए तो उन्होंने कृष्णा की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली। चूंकि सुनील का भी अपनी मा से झगड़ा रहता था, इसलिए उसने भी कोई खास प्रतिक्त्रिया नहीं दी।

इसके बाद सोनिया और संजीव प्रापर्टी का फैसला करने की बात कहकर सुनील को दूसरे कमरे में ले गए। शकुंतला वहा न पहुंचे, इसके लिए दोनों ने सुनील की मदद से ही उसे चारपाई से बाध दिया। दोनों ने सुनील को दूसरे कमरे में ले जाकर उसकी हत्या कर दी। उसके बाद उन्होंने शकुंतला, उसके पुत्र लोकेश व पुत्री शिवानी की भी हत्या कर दी।

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घटनाक्त्रम पर एक नजर

23 अगस्त, 2001 : हत्याकाड को अंजाम दिया गया।

31 मई, 2004 : जिला अदालत ने सोनिया और संजीव को फासी की सजा सुनाई।

12 अप्रैल, 2005 : हाईकोर्ट ने फासी की सजा को उम्रकैद में बदला।

15 फरवरी, 2007 : सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए दोनों को फासी की सजा सुनाई।

23 अगस्त, 2008 : सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पटीशन खारिज की।

1 सितंबर, 2007 : फासी की तारीख तय करने के लिए जिला अदालत में याचिका दायर।

8 सितंबर, 2007: जिला अदालत ने 26 नवंबर, 2007 को फासी देने की तारीख तय की।

नवंबर, 2007 : संजीव के परिजनों ने राष्ट्रपति को अपील की जिसे गुरुवार चार अप्रैल को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया।

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सोनिया को पसंद थे आपराधिक धारावाहिक

आपराधिक पृष्ठभूमि पर आधारित धारावाहिकों को सोनिया बड़े चाव से देखती थी। उनमें दर्शाए गए अपराध करने के तरीके और उनसे बचने के उपायों पर उसकी नजर रहती थी। इस बात का खुलासा सोनिया ने ही पुलिस के समक्ष पूछताछ के दौरान किया था। सोनिया ने बताया था कि सीआईडी, क्त्राइम, आहट व डिटेक्टिव जैसे जासूसी व अपराध से जुड़े धारावाहिक उसके पसंदीदा रहे। इन्हें वह नियमित तौर पर ध्यानपूर्वक देखती थी। उसकी दिलचस्पी कत्ल करने के तरीके और उससे बच निकलने के उपाय में होती था। सन 1998 में हिसार के विद्या देवी जिंदल स्कूल से मैट्रिक पास करने वाली सोनिया ताइक्वाडो में 'ब्लैक बेल्ट' है। हत्याकाड से अगले दिन 24 अगस्त 2001 को उसे पानीपत में ताईक्वॉडो प्रतियोगिता में भाग लेना था। उसका पति संजीव भी खिलाड़ी रहा है।


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