कोरोना काल में पानीपत में व्यापारियों को राहत, ट्रांस-1 फार्म भरकर ले सकते हैं पुराना रिफंड
जीएसटी लगने से पहले जो एक्साइज ड्यूटी लगती थी उसका रिफंड लेने के लिए व्यापारी आवेदन कर सकते हैं। इसमें करोड़ों रुपये फंसे हैं। आवेदन के लिए 30 जून तक का समय है।
पानीपत, जेएनएन कोरोना संकट के कारण व्यापार में मंदा है। इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने व्यापारियों के लिए राहत भरा आदेश दिया है। आदेश तो पुराना है लेकिन पानीपत के व्यापारियों तक अब पहुंचा है। जीएसटी लगने से पहले जो एक्साइज ड्यूटी लगती थी, उसका रिफंड लेने के लिए व्यापारी आवेदन कर सकते हैं। हरियाणा उद्योग व्यापार मंडल के चेयरमैन रोशनलाल गुप्ता ने वेबिनार और बैठकों के माध्यम से इस आदेश के संबंध में व्यापारियों तक सूचना पहुंचानी शुरू कर दी है। पानीपत के ही सैकड़ों उद्यमियों को इसका लाभ मिलेगा। आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 जून है। इसके साथ ही सरकार से मांग की है कि ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल पर विकल्प को खोल दिया जाए।
रोशनलाल गुप्ता ने बताया कि जीएसटी के लागू होने से पहले डिम्ड एक्साइज ड्यूटी लगती थी। इसके साथ ही वैट भी होता था। सभी टैक्स खत्म करके 18 फीसद जीएसटी लगाया गया। व्यापारियों ने विरोध किया तो इसे 12 फीसद किया। साथ ही यह भी कानून बना कि जीएसटी एक्ट लागू होने से पहले व्यापारियों-उद्यमियों के पास जो स्टॉक था, उस पर लगी एक्साइज ड्यूटी और वैट को रिफंड किया जाएगा। वैट पर तो सरकार ने जीएसटी रिटर्न भरते समय ही छूट दे दी। व्यापारियों ने पांच फीसद वैट काटकर ही जीएसटी भरा।
पर एक्साइज रिफंड लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना था। सैकड़ों उद्यमी आवेदन नहीं कर सके। तब ऑनलाइन सिस्टम भी दुरुस्त नहीं था। कुछ उद्यमियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका लगाई। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन्होंने याचिका लगाई है, वे आवेदन कर सकते हैं। इसी आधार पर उद्यमियों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस संजीव नरूला की डबल बेंच ने आदेश दिए कि 30 जून तक सभी उद्यमी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए सरकार इनकी मदद करे।
इस तरह समझें क्यों जरूरी आदेश
मान लीजिए एक व्यापारी के पास जीएसटी से पहले 100 रुपये का स्टॉक था। 18 फीसद जीएसटी लग गया। रिटर्न भरते समय वह पांच फीसद वैट काट सकता था। यानी पांच रुपये तो उसने उसी समय वापस ले लिए। एक्साइज टैक्स का रिफंड नहीं ले सका। इस कारण से व्यापारियों के करोड़ों रुपये सरकार के पास फंसे हैं।