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जीएसटी काउंसिल के फैसले से टेक्सटाइल कारोबारियों को राहत, ये है बड़ी वजह

गुड्स सर्विस एक्ट (जीएसटी) काउंसिल के बैठक में इनपुट टैक्स पर लिए गए फैसले से राहत मिली है। अब कारोबारियों को पुराने क्लेम मिल सकेंगे। टेक्सटाइल नगरी के कारोबारियों को राहत है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Mon, 24 Dec 2018 02:24 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 12:43 PM (IST)
जीएसटी काउंसिल के फैसले से टेक्सटाइल कारोबारियों को राहत, ये है बड़ी वजह
जीएसटी काउंसिल के फैसले से टेक्सटाइल कारोबारियों को राहत, ये है बड़ी वजह

पानीपत, जेएनएन। जीएसटी काउंसिल की 31वीं बैठक में लिए गए फैसलों से उद्यमियों सहित व्यापारियों की राह आसान हो जाएगी। रोजमर्रा में काम आने वाली वस्तुओं पर जीएसटी कम होने से बाजार में कामकाज निकलेगा। 

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31 मार्च तक का इनपुट लेने की तिथि 31 मार्च 2019 कर दिए जाने से इनपुट के क्लेम मिलेंगे। इससे पानीपत के हजारों उद्यमियों को करोड़ों का फायदा होगा। काउंसिल के फैसलों का मार्केट में असर किस प्रकार पड़ेगा। इस बारे में टैक्स एक्सपर्ट सहित उद्यमियों व्यापारियों की राय जानी। 

इनपुट टैक्स का सीधा लाभ मिलेगा : सीए शशी चड्ढा 
गुड्स सर्विस एक्ट (जीएसटी) के मुताबिक 31 मार्च 2018 तक बकाया स्टाक का इनपुट मिलना था। इसके लिए 31 सितंबर तक आडिट की रिपोर्ट देनी थी। आडिट की तिथि निकल चुकी है। ऐसे में पानीपत के व्यापारियों का करोड़ों रुपये का इनपुट टैक्स खत्म हो जाता। जीएसटी काउंसिल के बैठक में इनपुट टैक्स क्लेम करने की तारीख 31 मार्च 2019 कर दी गई है। 31 मार्च 18 तक की बिङ्क्षलग का इनपुट 31 मार्च 2019 तक मिल सकेगा। अब उद्यमी व्यापारी अपने एकाउंटस आडिट करवा सकेंगे। उन्हें पुराने क्लेम मिल जाएंगे। सीए शशी चड्ढा ने इस फैसले को टैक्सटाइल सहित अन्य उद्यमियों, व्यापारियों के हित में बताया। 

गलतियां सुधारने का मिला मौका : राणा 
पानीपत डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा ने बताया कि जीएसटी में किए गए बदलाव से भूल सुधारने का मौका मिला। 18 फीसद जीएसटी रंग रसायन पर लगाया गया था बाद में टैक्स कम करने की घोषणा की गई, लेकिन नोटिफिकेशन दो माह बाद हुआ। पांच फीसद कम करके ही माल बिकने लगा। बाद में गलती का पता लगा। जिसपर टैक्स का अंतर तो भरा गया, लेकिन  इसका इनपुट टैक्स नहीं मिला। अब भूल सुधार का मौका मिला है। जो टैक्स भरा गया है उसका इनपुट टैक्स मिल सकेगा। 

समय पर रिटर्न न भरने वालों की परेशानी बढ़ेगी 
3-डी व आर-1 की रिटर्न दो महीने नहीं भरने पर ई-वे बिल नहीं बन सकेगा। इससे व्यापारी माल नहीं बेच सकेंगे। अब तक समय पर रिटर्न दाखिल न होने के कारण रिफंड में देरी हो रही है। हर माह 3-डी व आर-1 रिटर्न दाखिल करनी होती है। बहुत से व्यापारी रिटर्न कई-कई महीने देरी से भरते हैं। अब लेटलतीफ व्यापारियों को समय पर रिटर्न दाखिल करनी होगी। अन्यथा वे काम काज नहीं कर सकेंगे।


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