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रेलवे ट्रैकमैनों काे मिलेगी राहत, रेलवे लाइन पर अब इस तरह से इकट्ठा होगा रोड़ा-पत्‍थर

रेलवे के ट्रैकमैनों को राहत दी गई है। अब ट्रैक से अलग रोडे-पत्‍थर को बीआरएम के जरिए इकट्ठा किया जाएगा। ब्‍लास्‍ट रेगुलेटिंग मशीन के जरिए ट्रैक से हट चुके रोड़े को जुटाया जाएगा। जींद-नरवाना के बीच काम भी शुरू हो चुका है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 02:44 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 02:44 PM (IST)
रेलवे ट्रैकमैनों काे मिलेगी राहत, रेलवे लाइन पर अब इस तरह से इकट्ठा होगा रोड़ा-पत्‍थर
जींद-नरवाना के बीच बीआरएम के जरिए रोड़ा इकट्ठा किया जा रहा।

पानीपत/जींद, जेएनएन। रेलवे लाइन के साथ इधर-उधर पड़े रोड़े को ब्लास्ट रेगुलेटिंग मशीन (बीआरएम) के जरिये एकत्रित किया जाएगा। इस मशीन से जहां रेलवे ट्रैकमैनों को राहत मिलेगी तो वहीं समय की भी काफी बचत होगी। जींद से नरवाना के बीच बीआरएम के जरिये रोड़ा एकत्रित करने का काम वीरवार शाम से शुरू कर दिया गया है। 

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रेलवे लाइन के दोनों तरफ पड़े रोड़ा लगातार ट्रेनें गुजरते रहने के कारण ट्रैक से दूर हट जाता है। इसे समय-समय पर रेलवे ट्रैक के साइड में एकत्रित किया जाता है, ताकि ट्रैक पर से ट्रेन गुजरते समय किसी तरह की दिक्कत न अाए। रेलवे लाइन के दोनों तरफ पड़ी रोड़े को एकत्रित करने के लिए काफी संख्या में ट्रैकमैनों को लगाया जाता है। इसमें भारी उपकरणों के साथ ट्रैकमैन कड़ी मशक्कत के साथ इधर-उधर बिखरे रोड़े को रेलवे लाइन के साइड में करते हैं। इसमें काफी ज्यादा समय लग जाता है। बीआरएम के जरिए यह काम आसानी से हो जाएगा। वीरवार को यह बीआर मशीन जींद पहुंची। जींद एरिया में पहली बार इस मशीन के साथ रेलवे लाइन पर काम लिया गया है। जब तक कार्य पूरा नहीं होता आगामी दिनों के लिए ऐसे ही मशीन से कार्य लिया जाएगा।  

रोड़ा की प्रोफाइलिंग भी होती है मशीन से 

बीआरएम द्वारा रोड़ा की प्रोफाइलिंग भी की जाती है। यह रेलवे लाइनों के इधर-उधर बिखरे रोड़े को एक लेवल में लाने का कार्य करती है। अगर रेलवे लाइन से ज्यादा दूर रोड़ा पड़ा है तो ट्रैकमैनों का सहारा लिया जाता है। कार्य के दौरान अगर रोड़ा मशीन की आउट आफ लिमिट है तो मशीन उसे छोड़ देती है। 

ट्रैकमैनों को मिलेगी राहत : रोहतांग 

रेलवे के सैक्शन इंजीनियर रोहतांग सिंह ने बताया कि बीआरएम के जरिए रेलवे ट्रैक पर प्रोफाइलिंग का काम किया जाएगा। यह ट्रैक के इधर-उधर पड़े रोड़े को एकत्रित करेगी। इससे ट्रैकमैनों को कुछ राहत मिलेगी। ट्रैकमेनों की जहां ज्यादा जरूरत पड़ेगी उसी हिसाब से ही उनको भेजा जाएगा।


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