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उत्पीड़न की शिकार महिलाओं और बच्चियों के लिए मदद की छत, यहां मिलता ‘सुकून’ और हौसला

हरियाणा स्‍टेट हेल्‍थ रिसॉर्स सेंटर पीडि़तों के लिए राहत साबित हो रहे हैं। न सिर्फ कानूनी लड़ाई में मदद मिल रही बल्कि जीवनयापन में भी सुविधा मिल रही।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 03:59 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 05:53 PM (IST)
उत्पीड़न की शिकार महिलाओं और बच्चियों के लिए मदद की छत, यहां मिलता ‘सुकून’ और हौसला
उत्पीड़न की शिकार महिलाओं और बच्चियों के लिए मदद की छत, यहां मिलता ‘सुकून’ और हौसला

पानीपत, [राज सिंह]। हरियाणा स्टेट हेल्थ रिसॉर्स सेंटर (एचएसएचआरसी) की ओर से सिविल अस्पताल में फरवरी-2015 में सुकून सेंटर खोला गया था। यहां से अब तक 573 महिलाओं-बेटियों ने घरेलू हिंसा, यौन शोषण और आत्महत्या के लिए विवश करने के मामलों में मदद मांगी है। दुखद पहलू यह कि साल-दर-साल महिलाओं और बेटियों के उत्पीड़न के मामले बढ़ते जा रहे हैं। सुकून सेंटर में शारीरिक, यौन हिंसा, आर्थिक, मौखिक और भावनात्मक हिंसा जैसे मामलों में मदद दी जाती है। पीड़िताओं को एक छत के नीचे स्वास्थ्य, कानूनी और पुलिस मदद प्रदान की जाती है। इतना ही नहीं हताश-निराश पीड़िताओं की काउंसिलिंग कर उन्हें फिर से समाज की मुख्य धारा से जोड़ दिया जाता है। यूं कहे सरकार के अभी तक के प्रयास ऐसी पीड़िताओं के जीवन को सुधार-संवार रहे हैं। पेश है विशेष रिपोर्ट:

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2017-18 में कम हुई काउंसिलिंग

वर्ष 2017-18 में महिला काउंसलर कई माह के लिए मातृत्व अवकाश पर रहीं, इस कारण सबसे कम केसों में काउंसिलिंग हुई।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हुई शुरुआत

प्रदेश सरकार ने फरवरी 2015 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चार जिले पानीपत, अंबाला पंचकूला और यमुनानगर में सुकून सेंटरों की शुरुआत की थी। उद्देश्य पीड़िताओं को एक छत के नीचे मदद पहुंचाना है।

12 जिलों में खोले जा चुके सेंटर

प्रदेश हर जिले में सुकून सेंटर खोले जाने हैं, 12 जिलों में खुल चुके हैं। इनमें पानीपत, अंबाला पंचकूला, यमुनानगर के अलावा करनाल, रोहतक, हिसार, जींद, गुरुग्राम, फरीदाबाद और रेवाड़ी शामिल हैं।

सिविल अस्पताल में क्यों

सुकून सेंटर हर जिले के सिविल अस्पताल में खोले गए हैं। सरकार का मानना था कि घरेलू हिंसा, लैगिंग हिंसा, दुष्कर्म, शारीरिक-मानसिक शोषण, एसिड अटैक की अधिकांश पीड़िताएं मेडिकल और इलाज के लिए अस्पताल जरूरी पहुंचती है।

एक छत के नीचे कई मदद

पीड़िता को सबसे पहले चिकित्सा सुविधा, इसके बाद काउंसिलिंग होती है। पीड़िता शिकायत दर्ज कराना चाहे तो सेंटर में ही पुलिस उसकी शिकायत ले लेती है, उसे थाना जाने की जरूरत नहीं पड़ती। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की ओर से वकील उपलब्ध रहते हैं। पीड़िता घर न जाना चाहे तो बालिग को वन स्टॉप सेंटर, नाबालिग को चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन भेजा जाता है।

कब और क्‍यों हुआ उत्‍पीड़न

15% दो बेटियों को जन्म देने के कारण

10% चरित्र पर संदेह

30% पुरुष द्वारा नशा करना

10% बच्चियों को अकेला छोड़ना

2% लिव-इन में दरार

8% संयुक्त परिवारों मे कलह

25% आर्थिक तंगी

ये भी जानें 

573 महिलाओं ने मांगी मदद

428 मामले घरेलू हिंसा के आए

1098 महिला हेल्पलाइन नंबर किया गया है जारी

1091 चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर पर बच्चे ले सकते हैं मदद

41 पीड़ित लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से कम रही

131 यौन शोषण के मामले अब तक आए

4.5 साल में बढ़ा ज्यादा अपराध

14 मामले आत्महत्या के विवश करने के

11 जिलों में खुले हैं सुकून सेंटर

सुकून सेंटर में एक छत के नीचे काउंसिलिंग, कानूनी और स्वास्थ्य मदद की जाती है। कोई महिला थाने में पहुंचकर शिकायत नहीं करना चाहती तो महिला पुलिस को बुलवाया जाता है। फिलहाल महिला काउंसलर की नियुक्ति नहीं हुई है।

-धर्मवीर सिंह, काउंसलर, सुकून सेंटर


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