वाह सरकार! गोदनामे के लिए मांग रहे प्रॉपर्टी आइडी
जागरण संवाददाता पानीपत प्रदेश सरकार ने रजिस्ट्रियों में भ्रष्टाचार रोकने और अवैध कॉलोन
जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रदेश सरकार ने रजिस्ट्रियों में भ्रष्टाचार रोकने और अवैध कॉलोनाइजर्स पर लगाम लगाने के लिए तहसील में नया सॉफ्टवेयर लागू किया है। शुरुआती चरण में तमाम पेचिदगियों के कारण सिस्टम फेल होता दिख रहा है। शहरी स्थानीय निकाय, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और नगर योजनाकार विभाग के रिकॉर्ड का आपस में मिलान नहीं हो रहा। शुक्रवार को 14 लोगों ने ई-अपॉइंटमेंट लिया। इनमें से दो ने रजिस्ट्री कराई, तीसरी पार्टनरशिप डीड हुई। विशेषज्ञ वकील सिस्टम पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे। गोदनामे तक के लिए प्रॉपर्टी आइडी मांगी जा रही है।
ई-अपॉइंटमेंट में सबसे अधिक झोल
एंड्रॉयड मोबाइल फोन, लैपटॉप पर जमाबंदी पोर्टल यानी द्धह्लह्लश्चह्य://द्भड्डद्वड्डढ्डड्डठ्ठस्त्रद्ब.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ ओपन कर ई-अपॉइंटमेंट लेना होगा। ई-अपॉइंटमेंट के लिए आपको अपने शहर, एरिया, कालोनी का नाम अपलोड करना होगा। इसके बाद रजिस्ट्री, ट्रांसफर डीड, गोदनामा आदि के विकल्प होंगे। इसके बाद आपसे प्रॉपर्टी आइडी मांगी जाएगी। नहीं है तो नगर निगम से निकलवानी पड़ेगी। वहां प्रॉपर्टी टैक्स चुकाना होगा। सबसे बड़ी दिक्कत, अधिकांश लोगों ने प्रॉपर्टी टैक्स चुकाया हुआ है, रसीद भी है लेकिन नगर निगम के रजिस्टर में एंट्री नहीं है। इस वजह से प्रॉपर्टी आइडी नहीं मिल रही है, या फिर हजारों रुपये का भुगतान कर प्रॉपर्टी आइडी लेनी पड़ रही है। डेवलपमेंट चार्ज भी वसूला जा रहा है। रजिस्ट्री कराने में भी बड़े झोल
प्रॉपर्टी में जितने हिस्सेदार हैं, सभी का नाम-पता, फोन नंबर, पेन नंबर आदि कागजात की डिटेल अपलोड करनी होगी। प्रॉपर्टी आइडी सहित नगर निगम, हशविप्रा और डीटीपी कार्यालय की डिटेल आपस में मिलान नहीं हो रही है। ई-अपॉइंटमेंट लेने के के बाद लोग स्टांप पेपर खरीद लेते हैं, डिटेल मिलान नहीं होने से रजिस्ट्री नहीं हो पाती। कुछ केस में प्रॉपर्टी की वेल्यू भी मैच नहीं हो रही है। एडवोकेट रवींद्र गोयल ने बताया कि नगर निगम ने शहरी क्षेत्र की संपत्तियों का सही डाटा तहसील कार्यालय में नहीं दिया है।
केस नंबर एक
सेक्टर 13-17 निवासी दिलीप कुमार को प्रॉपर्टी की ट्रांसफर डीड करनी है। सितंबर 2019 में उन्होंने प्रॉपर्टी टैक्स जमा कराया था, रसीद भी है। नगर निगम के रजिस्टरों में इंट्री नहीं है। इसी कारण उन्हें प्रॉपर्टी आइडी नहीं मिल सकी।
केस नंबर दो :
गुरुनानकपुरा निवासी मनीष को अपना बच्चा गोद देना है। गोदनामा पंजीकरण के लिए भी सॉफ्टवेयर पर प्रॉपर्टी आइडी मांगी जा रही है, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं है। तमाम लोग ऐसी पेचीदगी से दो-चार हो रहे हैं।
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प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में होने वाली धांधली रुके, सरकार का प्रयास अच्छा है। नए सॉफ्टवेयर पर काम होने से नगर निगम सहित दूसरे विभागों के कामकाज की पोल खुली है। भुगतना जिलावासियों को पड़ रहा है। केस स्टडी के साथ रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री कार्यालय सहित संबंधित विभाग को शिकायती पत्र भेजूंगा।
एडवोकेट रवींद्र गोयल, प्रॉपर्टी क्रय-विक्रय एक्सपर्ट
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वीरवार को तहसील में एक रजिस्ट्री हुई थी, शुक्रवार को तीन हुई हैं। 14 लोगों ने टोकन भी लिए हैं। नए सॉफ्टवेयर पर काम करने में शुरुआती दौर में दिक्कतें आती ही हैं। लोग रजिस्ट्री कराने आने लगे हैं। धीर-धीरे रजिस्ट्री का कार्य पटरी पर लौट आएगा।
अनिल कौशिक, नायब तहसीलदार।