पढि़ए उस गांव की कहानी, जिसने रिफाइनरी पर लगवाया 17.31 करोड़ का जुर्माना
एनजीटी ने मानकों की अनदेखी करने पर रिफाइनरी पर 17.31 करोड़ का जुर्माना लगाया है। वहीं दैनिक जागरण की टीम उस गांव पहुंची जिसकी वजह से जुर्माना लगा। पढि़ए ये रिपोर्ट...।
पानीपत, [अरविंद झा/जगमहेंद्र सरोहा]। देश को बीएस-6 मानक का तेल देने वाली रिफाइनरी इन दिनों एनजीटी के फैसले की वजह से नकारात्मक चर्चा में आ गई है। गांव सिठाना में जल प्रदूषण फैलाने के दोष में नेशनल ट्रिब्यूनल ट्रस्ट ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, पानीपत रिफाइनरी पर 17.31 करोड़ का जुर्माना लगाया है। जागरण की टीम मंगलवार को इस गांव में पहुंची।
गांव के सरपंच से लेकर ग्रामीणों ने बताया कि वे बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। यहां पानी देखते ही देखते दो घंटे में पीला हो जाता है। वहीं, ये जांच का विषय भी है कि क्या बीमारी की वजह से रिफाइनरी ही है। या कोई अन्य कारण है।
दोपहर के करीब एक बजे सिठाना गांव में 90 वर्ष के केसरदास घर में खाट पर बैठे मिले। एक समय में उनका डेरा रिफाइनरी के आसपास पहचान रखता था। उनका कहना है, मुझे एलर्जी हो गई है। आंखों से दिखाई देना कम हो गया है। मेरा काम करने को बहुत मन करता है, लेकिन रिफाइनरी की हवा और पानी ने खाट पर बैठा दिया है। उसने उम्र में 31 वर्ष छोटे 59 वर्ष के अमर ङ्क्षसह ने बताया कि आंखों की रोशनी चली गई है। एक आंख का ऑपरेशन करा चुका है। इसकी वजह बना है धुआं।
थोड़ी ही दूरी पर मिले ऑटो चालक गुरमेल सिंह। उनसे जब गांव के बारे में पूछा तो बोले कि उनकी खांसी अब दूर नहीं हो रही। बच्चे भी इसी से पीडि़त हो गए हैं। इसी गांव में हम आगे चले तो कश्मीर सिंह मिले। चेहरे पर दर्द के भाव लिए कश्मीर ने बताया, यहां पानी की वजह से बच्चों के पेट में इंफेक्शन हो गया है। भतीजी दिव्या अब भी अस्पताल में दाखिल है। उन्हें लगा था कि रिफाइनरी से स्थायी रोजगार मिलेगा। वो तो मिला नहीं, बीमारियों ने जरूर जिंदगी को घेर लिया।
4222 एकड़ में फैली है पानीपत रिफाइनरी
इंडियन ऑयल की पानीपत रिफाइनरी 4222 एकड़ में है। यहां से पेट्रो उत्पाद प्रदेश ही नहीं देश के उत्तर-पश्चिम प्रदेश पंजाब, जम्मू एंड कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड, राजस्थान के कुछ हिस्से, उत्तर प्रदेश व दिल्ली में सप्लाई किया जाता है। दिसंबर 2009 में बीएस-3 से बीएस-4 तेल शुरू किया। अब बीए-6 मानक का तेल यहां से सप्लाई हो रहा है।
सिठाना के सरपंच सतपाल की जुबानी, इस तरह मामले को उठाया
रिफाइनरी के सामने 60 एकड़ झील है। झील के किनारे सफेदे के पेड़ लगे हैं। कुछ पेड़ बीच में भी लगे थे। इसमें केमिकलयुक्त पानी छोड़ा जाने लगा। धीर-धीरे पेड़ सूखने लगे। सिठाना और बालजटान के ग्रामीण जब इस बारे में शिकायत करते तो सुनवाई नहीं होती। आखिरकार, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को पत्र लिखा। एनजीटी ने अपनी देखरेख में सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड व स्टेट पॉल्यूशन बोर्ड की संयुक्त टीम गठित की। गांव के चारों कोने पर मैनोमीटर लगा कर हैंडपंप व सबमर्सिबल से पानी के सैंपल लिए। सैंपल फेल हो गए। कोर्ट ने इसी आधार पर जुर्माना लगाया है। अब 20 अगस्त की तारीख लगी है।
(जैसा कि सरपंच सतपाल ने डेरे पर दैनिक जागरण को बताया।)
मामला तो हर बार उठता रहा, पर...
जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के सामने भी रिफाइनरी में लापरवाही का मामला उठा। शिकायतकर्ता की 81 पेज की रिपोर्ट आज भी जिला प्रशासन के पास पड़ी है।
गांव का इतिहास
धन्ना सेठ गांव में रहते थे। उन्हीं के नाम पर सिठाना नाम पड़ा। दुल्ला मुसलमान भी इस गांव में काफी मशहूर था। सन् 1947 के बंटवारे के बाद वह गांव छोड़ कर चला। गांव की आबादी 7000 के करीब है। 65 फीसद अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं। 2450 मतदाता हैं। खेतीबाड़ी इस गांव के आय का प्रमुख साधन है।
जेएन कोरेरा (सीसी एंड सीएसआर, रिफाइनरी के जीएम) से सीधी बातचीत
प्रश्न : एनजीटी ने जो जुर्माना लगाया है उस बारे में आपका क्या कहना है ?
उत्तर : अभी कुछ आया नहीं है। प्रबंधन इस मामले की गहनता से अध्ययन करेगी। उसके बाद ही कोई ठोस निर्णय लेंगे।
प्रश्न : रिफाइनरी तो देश की बड़ी कंपनी है फिर इस तरह का मामला क्यों सामने आया?
उत्तर : हम सोसाइटी की अच्छाई के लिए काम करते हैं। सिठाना वाले केस में कहां गड़बड़ी हुई है, इसका भी पूरा अध्ययन कराया जाएगा।
प्रश्न : रिफाइनरी प्रबंधन क्या कदम उठाएगा?
उत्तर : अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। कदम की अभी पुष्टि अभी नहीं की जा सकती है।
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