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The Emergency of India 1975 Memories : : रात भर थाने में होती रही पिटाई, बेहोश होने पर बोरियों के तरह फेंका

The Emergency of India 1975 Memories आपातकाल के दौरान शाहाबाद मारकंडा में सत्याग्रह करने वाले चार युवाओं की पुलिस ने बेरहमी से पिटाई की थी। बेहोश होने तक उन्‍हें पीटते रहे। सत्‍याग्रह करने वाले शाहाबाद मारकंडा निवासी 76 वर्षीय धर्मबीर हंस के अभी भी ये बातें याद हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 08:30 AM (IST)
The Emergency of India 1975 Memories :  : रात भर थाने में होती रही पिटाई, बेहोश होने पर बोरियों के तरह फेंका
शाहाबाद मारकंडा निवासी 76 वर्षीय धर्मबीर हंस।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। The Emergency of India 1975 Memories : आपातकाल के विरोध में 17 दिसंबर 1975 को शाहाबाद मारकंडा में सत्याग्रह करने वाले चार युवाओं की पुलिस ने बेहोश होने तक पिटाई की। कई घंटों की पिटाई के बाद जब युवक बेहोश हुए तो उन्हें हवालात में बदबूदार शौचालय के पास एक दूसरे के ऊपर बोरियों के तरह फेंक दिया गया। जब सुबह चारों को होश आया तो अपने आप को बदबूदार कंबलों में शौचालय के पास पड़े हुए पाया।

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उन दिनों में पुलिस की पिटाई का हर एक पल आज भी शाहाबाद मारकंडा निवासी 76 वर्षीय धर्मबीर हंस को अच्छी तरह से याद है। आपातकाल का जिक्र करते ही उनके जहन वह सब ताजा हो उठता है। इतना ही नहीं रात भर की पिटाई में बेहाल हुए चारों युवकों को जब सुबह पुलिस कर्मी अस्पताल ले गए और चिकित्सक ने पड़े चोट के निशान का कारण पूछा तो पुलिस कर्मी बोला की यह इंदिरा गांधी का सिंहासन हिलाने की कोशिश कर रहे थे, जनता ने इनकी पिटाई कर दी।

Emergncy Dharambeer Kurukshetra

शाहाबाद मारकंडा निवासी धर्मबीर हंस ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से नवंबर माह में आपातकाल के खिलाफ सत्याग्रह करने का विचार किया गया था। कुरुक्षेत्र जिला से आरएसएस से जुड़े सभी लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। ऐसे में कुरुक्षेत्र में सत्याग्रह शुरू नहीं हो पाया था। इस पर 15 दिसंबर को शाहाबाद में एक जगह गुप्त बैठक हुई और इस बैठक में ही सत्याग्रह करने का फैसला लिया गया। इसके बाद 17 दिसंबर की सुबह ही वह, उनके साथी शाहाबाद निवासी नरेश कुमार और गुमथला राव से अशोक कुमार व सतपाल सिंह सब्जी मंडी के सामने से सत्याग्रह शुरू किया और आपातकाल खत्म करने को लेकर नारेबाजी शुरू की।

मां ने माथे पर तिलक कर पहनाई फूल मालाएं

धर्मबीर हंस ने बताया जब वह चारों साथी बाजार से निकले तो बाजार में एक घर से उनके ऊपर फूल बरसाए गए। इसके बाद कमेटी बाजार में पहुंचने पर उनकी मां ने चारों के माथे पर तिलक लगाया और उन्हें फूल मालाएं पहनाई। इसकेे बाद वह नारेबाजी करते हुए प्रताप मंडी गेट पर पहुंचे और नारेबाजी करने लगे। वहीं पर 20 से 25 की संख्या में पहुंचे पुलिस कर्मियों ने उन पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। बीच सड़क उनकी पिटाई होते देख लोगों की भीड़ भी तीतर-बीतर हो गई।

थाने के गेट पर पहुंचते ही छोटी बहन ने किया तिलक

उन दिनों को याद कर धर्मबीर बताते हैं जब पुलिस उन्हें पिटाई करते हुए थाने ले गई तो उनकी छोटी बहन थाने के गेट पर ही तिलक की थाली और फूल मालाएं लेकर पहुंची। उनकी बहन ने थाने के गेट पर ही चारों को तिलक लगाकर, फूल मालाएं पहनाई और उनका मुंह मीठा करवाया।

51 दिन रहना पड़ा जेल

थाने में चारों को पुलिस ने अलग-अलग कमरों में बंद कर रात भर बेहोश होने तक पिटाई की। इसके बाद उन्हें बोरियों की तरह एक दूसरे के ऊपर फेंक दिया। इतना ही नहीं इसके बाद उन सभी परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें भी यातनाएं दी गई। उन चारों के ऊपर डीआइआर (33(3) धारा लगाई गई। इसके बाद उन्हें करनाल जेल भेज दिया गया। करनाल जेल में पहुंचते से पहले से आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किए गए उनके साथियों ने उनका जोरदार स्वागत किया।


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