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खनन माफ‍िया और रसूखदार कर रहे छलनी..छलनी यमुना का सीना

सूत्रों का दावा है कि अवैध खनन में कई बड़े और रसूखदार राजनेताओं का भी हाथ है। इसके कारण पुलिस प्रशासन भी ठोस कार्रवाई से बचता है।

By Edited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 10:46 AM (IST)
खनन माफ‍िया और रसूखदार कर रहे छलनी..छलनी यमुना का सीना
खनन माफ‍िया और रसूखदार कर रहे छलनी..छलनी यमुना का सीना

पानीपत, जेएनएन। जिले में खनन माफियाओं ने यमुना का सीना छलनी-छलनी कर दिया है। प्रशासन के लाख दावों के बावजूद रेत का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। रात-रात भर ट्रालियां, बुग्गियां और ट्राले रेत ढो रहे हैं। राज्य स्तर पर जब भी शिकायत आती है तो विभाग सक्रिय हो जाते हैं लेकिन कुछ समय बाद फिर वही ढाक के तीन पात वाले हालात हो जाते हैं।

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खनन विभाग पुलिस पर मामला डाल अपना पल्ला झाड़ लेता है तो पुलिस विभाग इसे खनन विभाग की जिम्मेदारी बताता है। सूत्रों का दावा है कि अवैध खनन में कई बड़े और रसूखदार राजनेताओं का भी हाथ है। इसके कारण पुलिस प्रशासन भी ठोस कार्रवाई से बचता है। पानीपत में यमुना नदी के तट से अनेक गांव सटे हुए हैं। यमुना यहां लोगों की आस्था का भी केंद्र है। इसके अलावा, यमुना की बदलती धारा

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच विवाद की भी बड़ी वजह है। दोनों प्रदेशों के किसानों के बीच जमीन के हक को लेकर अक्सर विवाद सामने आता रहा है। खोजकीपुर, बिलासपुर, हथवाला, राक्सेड़ा व सिंबलगढ़ यमुना की तलहटी में बसे गांव हैं। जहां के किसानों की ज्यादातर जमीन यमुना की पेटी के अंदर आती है। बारिश के दिनों में यमुना में पानी का बहाव तेज होता है तो कटाव के कारण फसलें खत्म हो जाती हैं। साथ ही जमीन को लेकर भी दोनों प्रदेशों के बीच विवाद का जन्म होता है।

हो चुका है खून खराबा
खनन का यमुना से गहरा नाता है। वैसे तो यमुना से खनन पर पाबंदी है, लेकिन पुलिस व प्रशासन की नाक के नीचे यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। माना जाता है कि इसमें यमुना बेल्ट से सटे गांव के लोग भी शामिल हैं, जो माफियाओं का साथ देते हैं। कई बार खनन माफिया पुलिस पार्टी से लेकर किसानों तक पर हमले और फायरिंग भी कर चुके है। करीब दो साल पहले राक्सेड़ा के सामने खनन को लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोग आमने-सामने आ गए थे। उस दौरान, जेसीबी चालक व उसके सहायक को गोली मार दी गई थी। मशीनें भी तोड़ दी गई थीं। कुछ दिन पहले भी खनन रोकने पर राक्सेड़ा के किसानों पर माफिया की तरफ से फायरिंग की गई थी।

अंधेरा होते ही शुरू हो जाता है अवैध कारोबार
सूत्रों के अनुसार, शाम ढलते ही यहां रेत माफिया बुग्गी झोटा, ट्रैक्टर-ट्राली लेकर सक्रिय हो जाते हैं। बापौली ब्लॉक में अवैध खनन जहां प्रशासन के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है वहीं रेत तस्करों की जेब गरम हो रही है। स्थानीय किसानों का कहना है कि कई बार इस संबंध में अधिकारियों को सूचना दी जाती है लेकिन कार्रवाई नहीं होती। जो अधिकारी आता है वह सिर्फ सुविधा शुल्क लेकर औपचारिकता पूरी करके चला जाता है।

700 से 900 तक बिकती है रेत की बुग्गी
रेत लेकर आ रहे बुग्गी झोटा वालों का कहना है कि वे यमुना बांध के अंदर से सुबह जल्दी और शाम को सूरज छिपते समय खनन करते हैं। यह रेत आसपास के गांवों में 700 से 900 रुपये में आसानी से बिक जाती है। बुग्गी भरने में उनकी कोई लागत नहीं लगती और न ही किसी प्रकार का टैक्स देना पड़ता है। एक दिन में दो से तीन बुग्गी रेत की बिक्री हो जाती है।

शिकायत मिलने पर पुलिस को सूचना दी जाती है। पुलिस खनन रोकने में कार्रवाई करती है। चुनाव की घोषणा के बाद से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।
माधवी गुप्ता, जिला खनन अधिकारी


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