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फार्म हाउस पर सब्जियां उगाकर दोस्तों को बांटते हैं रमेश खुराना

यह काम पिछले तीन साल से कर रहे हैं। कभी परिवार के लिए सब्जी बाजार से नहीं लानी पड़ती। दोस्तों के भी फोन आते रहते हैं कि अब कौन सी सब्जी उगाई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 07:22 AM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 07:22 AM (IST)
फार्म हाउस पर सब्जियां उगाकर दोस्तों को बांटते हैं रमेश खुराना
फार्म हाउस पर सब्जियां उगाकर दोस्तों को बांटते हैं रमेश खुराना

जागरण संवाददाता, पानीपत : सेक्टर 11 निवासी रमेश खुराना तीन एकड़ जमीन में से आधा एकड़ जमीन में ऑर्गेनिक खेती कर दोस्तों तक फ्री में सब्जियां बांटते हैं। यह काम पिछले तीन साल से कर रहे हैं। कभी परिवार के लिए सब्जी बाजार से नहीं लानी पड़ती। दोस्तों के भी फोन आते रहते हैं कि अब कौन सी सब्जी उगाई है। जैविक खेती करने का बचपन से ही शौक रहा है। बाकी बचे ढाई एकड़ में 500 से ज्यादा फलदार व छायादार पेड़ लगाए हुए हैं। पेड़ पर लगने वाले फल भी दोस्तों के साथ बांटकर खाते हैं।

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रमेश ने बताया कि जमीन में कीटनाशकों का प्रयोग कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। इसी वजह से खेती योग्य भूमि भी बंजर बनती जा रही है। इस समय जमीन में मौजूद आर्गेनिक कार्बन की मात्रा भी धीरे-धीरे घट रही है। जमीन की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक खेती करनी चाहिए।

रमेश कस्बे के युवाओं को जागरूक करने के साथ-साथ उनकी मदद रहे हैं। इस वक्त आसपास के तकरीबन 60 किसानों का एक ग्रुप बना रखा है, जिसमें सभी लोग जैविक सब्जियां उगाते हैं।

इन सब्जियों की है पैदावार

वर्तमान में बैंगन, ककड़ी, टमाटर, प्याज, मिर्च, टमाटर, एप्पल बेर, पालक, टिडा, नींबू, मिर्च, देसी टिडा, घिया, तोरई, पेठाके भी पौधे लगाए हुए हैं। इस प्रकार मिश्रित खेती कर रहे हैं। आधा एकड़ में उन्होंने सब्जी उगा रखी है।

ऑर्गेनिक खेती हर किसान के लिए जरूरी

रमेश खुराना के अनुसार, यह सही है कि ऑर्गेनिक खेती से ज्यादा पैदावार नहीं निकलती। लेकिन थोड़ी बहुत ऑर्गेनिक खेती करना अब हर किसान के लिए जरूरी हो गया है। मौजूदा समय में लोगों के गंभीर बीमारियों की चपेट में आने का एक ही कारण है कि जो अनाज है, वह रासायनिक खादों पेस्टीसाइड से तैयार हुआ है। इसी कारण उस अनाज के खाने से बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने बताया कि तीन साल से वे ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं और अपने घर, सगे-संबंधियों मित्रों को हुई पैदावार से ही अनाज देते हैं। वहीं किसान कल्याण मंच बनाकर उसमें किसानों को जोड़ा गया है।


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