यमुनानगर में वापस नहीं जाएगें राजीव गांधी आवास योजना के रुपये, कमिश्नर ने यूएलबी को लिखा पत्र
यमुनानगर में की विभिन्न कालोनियों में झुग्गी बस्तियों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाने के उद्देश्य से इस योजना को धरातल दिया गया था। इसे 2013 के बाद शुरू किया गया था। केंद्र सरकार ने 2013 से 2022 तक की अवधि के लिए कार्यान्वयन प्रक्रिया को मंजूरी दी थी।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में राजीव गांधी आवास योजना का बचा हुआ फंड वापस नहीं जाएगा। इसको शहर के विकास कार्यों पर खर्च यह जाने की अनुमति को लेकर कमिश्नर आयुष सिन्हा ने यूएलबी को पत्र लिखा। यह राशि करीब 18 करोड़ है। बता दें कि इस पैसे को वापस भेजने की प्रक्रिया नगर निगम स्तर शुरू हो गई थी। जिसको लेकर पार्षद कमिश्नर से मिले थे।
पार्षदों की मांग है कि यह पैसा वापस ना भेजकर शहर में विकास कार्यों पर खर्च किया जाए। बता दें कि विभिन्न विकास कार्यों के लिए वर्ष-2013 में करीब 40 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। इनमें से करीब 22 करोड़ खर्च किया जा चुका है जबकि करीब 18 करोड़ काे वापस भेजने की तैयारी चल रही थी। आरोप है कि विपक्ष के वार्डों में है। दैनिक जागरण द्वारा इस मामले को गंभीरता से प्रकाशित किए जाने के बाद पार्षद नगर निगम कमिश्नर से मिले। उसके बाद कमिश्नर द्वारा यह निर्णय लिया गया।
कमिश्नर से मिली पार्षद
आरएवाई के तहत विभिन्न विकास कार्य न करवाए जाने का मुद्दा पार्षद कई बार उठा चुके हैं। उनके मुताबिक निगम के पास फंड होने के बावजूद कार्यों खर्च नहीं किया जा रहा है जबकि हर वार्ड में कार्य होने हैं। मामले को लेकर गत दिनों वार्ड 13 से पार्षद निर्मल चौहान निगम कमिश्नर आयुष सिन्हा से मिली। उनकी मांग थी कि आरएवाइ का पैसा वापस न भेजकर शहर के विकास पर खर्च किया जाए। उनके मुताबिक इस योजना के तहत वार्ड नंबर चार के बूड़िया के लिए करीब दस करोड़, हमीदा में आठ करोड़, जम्मू कालोनी के लिए चार करोड़ 20 लाख रुपये मंजूर हुए थे। इसके अलावा मुखर्जी पार्क कालोनी, कालिंदी कालोनी व लाजपत नगर सहित अन्य कालोनियों में भी कार्य होने हैं।
अधिकारी नहीं बना पाए एस्टीमेट
पार्षद निर्मल चौहान का कहना है कि वर्ष 2013 में आरएवाई के तहत मंजूर हुआ फंड आज तक खर्च नहीं किया गया है। यह पूरे नगर निगम प्रशासन की नाकामी है। एक ओर तो विकास कार्यों के लिए बजट की कमी का हवाला दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर बजट होने के बावजूद खर्च नहीं किया जा रहा है। निगम में अधिकारियों की फौज होने के बावजूद विभिन्न कार्यों के लिए एस्टीमेेट तक नहीं बना पाए। यदि इस पैसे को ईमानदारी से खर्च किया जाए तो कई कालोनियों की सूरत बदल सकती है।
यह है योजना
दरअसल, शहर की विभिन्न कालोनियों में झुग्गी बस्तियों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाने के उद्देश्य से इस योजना को धरातल दिया गया था। इसे 2013 के बाद शुरू किया गया था। केंद्र सरकार ने 2013 से 2022 तक की अवधि के लिए कार्यान्वयन प्रक्रिया को मंजूरी दी थी। योजना योजना सभी स्लम क्षेत्रों को कवर करती है। चाहे वे सरकार के साथ पंजीकृत हों या नहीं। बस्तियों को पक्के घरों या आवासों में बदलना है। इसके अलावा इन कालोनियों में पेयजल आपूर्ति, सड़क, स्ट्रीट लाइट, बिजली और सीवरेज सुविधाएं जैसी नागरिक सुविधाएं प्रदान करना है।