Rain in Haryana: हरियाणा में बारिश से डूबे अन्नदाता के अरमान, हजारों एकड़ फसल तबाह, तस्वीरों में देखें बर्बादी का आलम
Rain in Haryana हरियाणा में सितंबर माह में बारिश ने अन्नदाताओं को खासा नुकसान पहुंचाया है। अभी भी बारिश जारी है। पिछले दो दिनों से पानीपत कैथल जींद यमुनानगर कुरुक्षेत्र करनाल सहित कई जिलों में भीषण बारिश हो रही है।
जींद, जागरण संवाददाता। मानसून की विदाई का समय आ चुका है। वापसी के समय मानसून की वर्षा किसानों को डरा रही है। पिछले दो दिन से रुक-रुक कर वर्षा हो रही है। मौसम विभाग ने 25 सितंबर तक वर्षा होने की संभावना जताई है। इस दौरान बारिश ने अन्नदाताओं की हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई।
इस दौरान जींद समेत कई जिलों में भारी वर्षा हो रही है। ये समय फसलों के पकने का है और जरूरत से ज्यादा वर्षा फसलों के लिए नुकसानदायक है। पिछले कुछ सालों की बात करें, तो हर साल सितंबर के दूसरे पखवाड़े में होने वाली वर्षा से हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है।
जींद जिले में साल 2019 व 2021 में सितंबर में हुई तेज वर्षा से हजारों एकड़ फसल में जलभराव हो गया। पिछले साल जिले में अलेवा ब्लाक को छोड़कर 68 हजार एकड़ में नुकसान प्रशासन के सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार हुआ था। वहीं अलेवा ब्लाक के फसलों के नुकसान को अब 11 हजार एकड़ में दिखाया गया है। बहुत से किसानों को पिछले साल हुए नुकसान का मुआवजा अब तक नहीं मिल पाया है। अब दोबारा उन्हें फसल खराब होने का डर सता रहा है।
जुलाई में हुई सामान्य से ज्यादा वर्षा से भी हजारों एकड़ फसल खराब हो चुकी है। जिले में करीब 34 हजार हेक्टेयर में कपास की फसल थी, जिसमें से आधे से ज्यादा फसल में नुकसान पहुंचा था और काफी किसानों ने तो कपास की फसल की जुताई कर धान की रोपाइ कर दी थी। सबसे ज्यादा नुकसान जुलाना क्षेत्र में हुआ था। शामलो कलां, खेमाखेड़ी, करसोला, बूराडहर, बराड़, बुआना, गतौली, लजवाना, किलाजफरगढ़, ढिगाना, निडाना सहित काफी गांवों में खेतों में वर्षा के एक माह बाद भी पानी भरा हुआ था। अगर अब तेज वर्षा होती है, तो हजारों एकड़ में गेहूं की फसल की भी बिजाई नहीं हो पाएगी।
मौसम विभाग के अनुसार आज भी वर्षा होने की संभावना है। वहीं 24 व 25 सितंबर को मध्यम से भारी वर्षा हो सकती है। ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है कि वे फसलों की निगरानी रखें और पानी निकासी का प्रबंध रखें। ज्यादा समय तक कपास की फसल में पानी भरा रहने से नुकसान हो सकता है। वहीं धान की फसल भी पकने की प्रक्रिया में है। जलभराव होने पर नुकसान हो सकता है।