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Weather: फिर आफत बरसने के आसार, हरियाणा के कई जिलों में अभी बूंदाबांदी

जम्‍मू कश्‍मीर में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ का असर दिल्‍ली एनसीआर और हरियाणा में देखने को ि‍मिलेगा। एक बार फ‍िर बारिश के आसर बन रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 10:36 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 01:46 PM (IST)
Weather: फिर आफत बरसने के आसार, हरियाणा के कई जिलों में अभी बूंदाबांदी
Weather: फिर आफत बरसने के आसार, हरियाणा के कई जिलों में अभी बूंदाबांदी

पानीपत/करनाल, जेएनएन। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में फिर बारिश की संभावना बन रही है। मंगलवार सुबह मौसम साफ रहा, लेकिन दोपहर के बाद अचानक बादल छाये और तेज हवा चलनी शुरू हो गई। 

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मौसम विभाग के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हुए पश्चिमी विक्षोभ का असर दिल्ली-एनसीआर और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिल सकता है। हालांकि मैदानी क्षेत्र में इसका प्रभाव कम रहने की अनुमान है। एक अप्रैल को भी मौसम खराब रह सकता है। इसके बाद मौसम साफ हो जाएगा। मंगलवार सुबह के समय नमी की मात्रा 84 फीसदी दर्ज की गई जो शाम को घटकर 59 फीसदी रह गई। हवा 3.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। 

बरसात ने किया लोगों को बेहाल

मौसम विभाग के मुताबिक मार्च माह में लगभग हर साल बरसात तो होती है, लेकिन इस साल यह रिकार्ड तोड़ रही है। बरसात का आंकड़ा 80.0 एमएम के करीब पहुंच गया है। इससे पहले वर्ष 2015 में रिकार्ड 127.6 एमएम बरसात दर्ज की गई थी।

मार्च माह में किस वर्ष कितनी हुई बरसात 

वर्ष बरसात एमएम में

2011     10.9

2012     0.4

2013     0.4

2014    51.6

2015    127.6

2016    6.4

2017    7.8

2018   नो ट्रैस

2019     7.4

2020   80.0

नोट- आंकड़े मौसम विभाग की ओर से जारी

किसान लाचार, इनके पास कोई रास्ता नहीं 

अपनी फसल को बर्बाद होता देखने के सिवाय किसानों के पास कोई रास्ता नहीं है। कृषि विभाग ने मार्च माह में ही बरसात व ओलावृष्टि से फसलों में 30 से 35 प्रतिशत तक के नुकसान का आकलन किया था। अब एक अप्रैल को भी बरसात की संभावना बन रही है। नबीपुर निवासी प्रगतिशील किसान कमल कांबोज बताते हैं कि पहले ही  बरसात और पीले रतुए की मार से बेहाल थे। अब बरसात हुई तो बर्बाद होना तय है। 

फसल पककर हो चुकी है तैयार

कृषि विभाग के एसडीओ डॉ. सुनील बजाड़ ने बताया कि इस समय किसानों की फसल पक रही है। जो अगेती गेहूं की फसल थी, वह तो पककर तैयार भी हो चुकी है। इस बार कोरोना के साथ-साथ मौसम भी दगा दे रहा है। ऐसे में किसानों की चिंता बढऩी स्वभाविक है। बारिश में यदि पानी भरता है तो किसानों को प्राथमिकता से इसे निकालने का विकल्प तलाशना चाहिए। इसमें देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि फसल गिरी हुई है, इससे नुकसान ज्यादा हो सकता है। कई जगह तो सरसों की फसल कट भी चुकी है।


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