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रेलवे को हुई अपने खजाने की चिंता, अगले एक साल तक तबादलों पर रेड सिग्नल

काेराेना संक‍ट के कारण अपनी आय प्रभावित होने के बाद रेलवे को अपने खजाने की चिंता है। इसी कारण रेलवे ने एक साल तक अपने कर्मचारियों व अधिकारियों के तबादले पर रोक लगा दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 08:36 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 08:36 AM (IST)
रेलवे को हुई अपने खजाने की चिंता, अगले एक साल तक तबादलों पर रेड सिग्नल
रेलवे को हुई अपने खजाने की चिंता, अगले एक साल तक तबादलों पर रेड सिग्नल

अंबाला, [दीपक बहल]। देश में काेराेना संकट के कारण भारतीय रेलवे की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे  में लॉकडाउन से अनलॉक के बीच रेलवे ने भले ही स्पेशल ट्रेनों को पटरी पर उतार दिया हो, लेकिन खजाने की फिक्र करते हुए कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों पर रेड सिग्नल दिखा दिया गया है। रेल मंत्रालय ने 7 अगस्त को आदेश जारी कर देश भर में कर्मचारी और अधिकारियों के 31 मार्च 2021 तक तबादला करने पर रोक लगा दी है।

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रेल मंत्रालय ने 7 अगस्त को आदेश जारी कर 31 मार्च 2021 तक तबादले पर लगाई रोक

सालाना 50 से 75 हजार कर्मचारियों व अधिकारियों के तबादले किए जाते हैं। एक कर्मी अथवा अधिकारी को बेसिक-पे का 80 फीसद ट्रांसफर अलाउंस मिलता है, जो 25 से 75 हजार रुपये पड़ता है। ऐसे में सरकारी खजाने से 200 से 300 करोड़ रुपये खाली होता है। तबादले पर रोक का दूसरा कारण वर्तमान हालात भी हैं। इस समय तबादला करने से कर्मचारी और अधिकारियों को शिङ्क्षफ्टग में परेशानी होगी।

रेलकर्मियोंं को 25 से 75 हजार रुपये तक दिया जाता है ट्रांसफर अलाउंस, चार साल में होता है ट्रांसफर

रेलवे में एक ही पद पर कार्यरत कर्मचारी हो या फिर अधिकारी उनका चार साल में तबादला कर दिया जाता है। तबादला के दो मुख्य कारण हैं, जिनमें पब्लिक डीलिंग, टेंडर वाली सीट हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भी लिखित आदेश जारी कर रखे हैं कि एक ही सीट पर कर्मचारी या अधिकारी चार साल अधिक न हों।

रेलवे में कमर्शियल कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्यूटी सीधे यात्रियों से जुड़ी होती है, इसलिए इस विभाग के तबादलों की सूची लंबी होती है। इसी प्रकार इंजीनियरिंग, सिग्नल, इलेक्ट्रिकल, ऑपरेटिंग, मेकैनिकल आदि विभाग में भी संवेदनशील पदों पर विराजमान कर्मचारियों और अधिकारियों का तबादला चार साल में कर दिया जाता है। देश भर में 67 मंडल हैं, जबकि 17 जोन हैं। सभी जगहों पर यह नियम लागू होता है। डीआरएम कार्यालय में बाबू की सीट को बदल दिया जाता है, जबकि फील्ड में कार्यरत कर्मचारियों को दूसरे स्टेशन या अन्य मंडल में भेज दिया जाता है।  

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