मुफ्तखोरों से रेलवे वसूलता था 562 करोड़, अब झोली खाली, अंबाला रेल मंडल को भी नुकसान
Indian railways रेलवे कोरोना काल से पहले बेटिकट यात्रियों से 562 करोड़ रुपये वसूलता था लेकिन अब उसकी यह आमदनी बंद हो गई है। इससे रेलवे को नुकसान हो रहा है। अंबाला रेल मंडल की यह आय बंद हो गई है।
अंबाला, [दीपक बहल]। कोरोना काल में रेलवे की अर्थव्यवस्था भले ही धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगी है, लेकिन राजस्व के नुकसान की भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है। अंबाला रेल मंडल की बात करें, तो सालाना तीन करोड़ 48 लाख रुपये महज बेटिकट यात्रा करने वाले यात्रियों से जुर्माना के रूप में वसूल किया जाता था, जबकि देश भर में यह आंकड़ा करीब 562 करोड़ रुपये का है, लेकिन इस बार यह खाता खाली है। स्पेशल ट्रेनें पटरी पर होने के कारण घर बैठे टिकट चेकिंग स्टाफ को वेतन देना पड़ा।
बेटिकट यात्रियों से वसूला का खाता शून्य, घर बैठे टिकट चेकिंग स्टाफ को वेतन देने में छूटे पसीने
चालू वित्त वर्ष में एक करोड़ दस लाख रुपये ही वसूले जा सके हैं। ऐसे में करीब 529 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। नए साल के बाद रेल संचालन सामान्य होने की उम्मीद बंधी है, जिसके बाद नुकसान की भरपाई कुछ हद तक हो पाएगी। रेलवे में टिकट चेकिंग का अधिकार महज चेकिंग स्टाफ ही नहीं बल्कि संबंधित राज्य के स्पेशल रेलवे मजिस्ट्रेट, रेलवे विजिलेंस और वाणिज्य विभाग के अधिकारियों को भी हैं।
कोरोना काल में महज 20 फीसद ट्रेनें पटरी पर, कन्फर्म टिकट पर यात्रा की इजाजत के कारण खजाने पर असर
रेलवे के आंकड़ों पर गौर करें, तो मुफ्त में रेल यात्रा करने वालों की संख्या में हर साल इजाफा होता रहा है। सन् 2016-17 की बात करें तो मुफ्त में यात्रा करने वालों से 405.30 करोड़ रुपये जुर्माने के तौर पर वसूल किया गया, जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 441.62 करोड़ तक पहुंच गया। इसी तरह 2018-19 में यह आंकड़ा 530 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जबकि 2019-20 में 561.73 करोड़ रुपये जुर्माना वसूल किया गया।
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अंबाला मंडल में 2019-20 में जहां 72 हजार 565 बेटिकट यात्री पकड़े, वहीं इस बार यह आंकड़ा शून्य है। बता दें रेलवे में देशभर में करीब 12600 ट्रेनें पटरी पर दौड़ती थीं लेकिन अभी संख्या बहुत कम है। रोजाना करीब 2.3 करोड़ लोग यात्रा करते थे जबकि अब इस साल 87 फीसद यात्रा लोग नहीं कर सकें।
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इस तरह है रेलवे में नियम
यदि यात्री जुर्माना राशि अदा नहीं करता तो उसे चेकिंग स्टाफ रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के अधीन कर देता है। बेटिकट यात्री को टिकट की लागत के साथ न्यूनतम 250 रुपये का जुर्माना देना होता है। जुर्माना न होने या देने से इन्कार करता है तो उसे आरपीएफ रेलवे एक्ट के तहत मामला दर्ज करती है और फिर यात्री को स्पेशल रेलवे मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश करता है जहां से उसे जेल भेज दिया जाता है। यदि स्पेशल रेलवे मजिस्ट्रेट की चेकिंग में बेटिकट यात्री पकड़ा जाता है तो उसे पर अदालत जुर्माना लगाती है और अदा न करने पर उसे जेल भेजा जाता है।
सामान्य टिकट पर एसी में यात्रा पर भी भारी जुर्माना
सामान्य टिकट पर स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों पर भारी जुर्माना लगाया जाता है। रेलवे में अधिकतर केस ऐसे पाए जाते हैं, जिसमें सामान्य टिकट पर यात्रा स्लीपर कोच में यात्रा करते पकड़ा गया।
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