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रेलवे मंत्रालय ने 2800 पैसेंजर ट्रेनों को अपग्रेड कर एक्सप्रेस का दिया दर्जा, सुरक्षा व्यवस्था पर नहीं फोकस

रेल मंत्रालय ने करीब 2800 पैसेंजर ट्रेनों को अपग्रेड कर एक्सप्रेस का दर्जा दे दिया। लेकिन इन ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए पहरेदार नहीं हैं। सिर्फ महत्वपूर्ण ट्रेनें सुपरफास्ट मेल एक्सप्रेस में ही आरपीएफ या जीआरपी की ड्यूटी लगाई जाती है।

By Deepa BehalEdited By: Naveen DalalPublished: Fri, 23 Sep 2022 07:24 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 07:24 PM (IST)
रेलवे मंत्रालय ने 2800 पैसेंजर ट्रेनों को अपग्रेड कर एक्सप्रेस का दिया दर्जा, सुरक्षा व्यवस्था पर नहीं फोकस
रेल मंत्रालय ने पैसेंजर ट्रेनों के कई स्टेशनों के ठहराव बंद कर किराया बढ़ाया।

अंबाला, दीपक बहल। रेल मंत्रालय ने आमदनी बढ़ाने के लिए देश भर की करीब 2800 पैसेंजर ट्रेनों को अपग्रेड कर एक्सप्रेस का दर्जा दे दिया, लेकिन यह अपग्रेड हुई ट्रेनें रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की नजर में आज भी पैसेंजर ही हैं। इन ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए पहरेदार नहीं हैं। सुरक्षा की जिम्मेदारी आरपीएफ और जिस राज्य से ट्रेन निकले वहां की जीआरपी की है। दोनों ही सुरक्षा एजेंसियों में ट्रेन में गश्त करने के लिए ट्रेनों की संख्या बंटी है। लेकिन अभी तक दोनों ही एजेंसियां पैसेंजर ट्रेनों में ड्यूटी नहीं करती आ रहीं।

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महत्वपूर्ण ट्रेनों की सुरक्षा जीआरपी से छीन आ चुकी आरपीएफ के अधीन

सिर्फ महत्वपूर्ण ट्रेनें सुपरफास्ट, मेल एक्सप्रेस में ही आरपीएफ या जीआरपी की ड्यूटी लगाई जाती है। अब जो ट्रेनें अपग्रेड होने के बाद एक्सप्रेस के दर्जे में आ चुकी हैं, इन ट्रेनों में अभी तक किसी भी सुरक्षा एजेंसी की ड्यूटी लगाना उचित नहीं समझा गया। यह ट्रेनें भी एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच दौड़ती हैं, जिसमें लाखों यात्री रोजाना सफर करते हैं। पहले इन ट्रेनों में दस रुपये की भी न्यूनतम किराया था, लेकिन अब दर्जा बढ़ने के साथ किराया न्यूनतम तीस रुपये कर दिया गया है।

जीआरपी-आरपीएफ की गश्त करने के लिए बंटी है ट्रेनें

लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यात्रियों की सुरक्षा का है, जिसकाे लेकर अभी अधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे। सिर्फ एक ही दुखड़ा रोया जा रहा है कि स्टाफ की कमी है, जिसके चलते अपग्रेड ट्रेनें ही नहीं पहले से चल रही एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्री सुरक्षा भगवान भरोसे ही है। बता दें कि पहले राज्याें की जीआरपी ही ट्रेनों में गश्त करती थी लेकिन बाद में आरपीएफ की शक्तियों में इजाफा कर महत्वपूर्ण ट्रेनें, राजधानी, शताब्दी, दूरंतो एक्सप्रेस से जीआरपी की हटा आरपीएफ की गश्त लगा दी गई थी।

इन ट्रेनों में नहीं सुरक्षा कर्मी

होडल से तुगलकाबाद दौड़ने वाली पैसेंजर ट्रेन से एक्सप्रेस अपग्रेड में नहीं है गश्त। इसी तरह पलवल से फरीदाबाद, पलवल से दिल्ली, गुरुग्राम से रेवाड़ी, गुरुग्राम से लोहारू, नारनौल से रेवाड़ी, लोहारू से रेवाड़ी, रेवाड़ी से दिल्ली, रेवाड़ी से हिसार, जाखल से जींद, जाखल से हिसार, नरवाना से कुरुक्षेत्र, जींद से रोहतक, रोहतक से बहादुरगढ़, रोहतक से रेवाड़ी, रोहतक से जींद आदि ट्रेनों में जीआरपी और आरपीएफ की गश्त नहीं है।

इंतजाम किए जा रहे हैं : एसपी रेलवे

राजकीय रेलवे पुलिस हरियाणा की एसपी संगीता कालिया ने बताया कि जिन ट्रेनों को अपग्रेड किया है, उनमें भी सुरक्षा की दृष्टि से गश्त लगाने के इंतजाम किए जा रहे हैं।

आने वाले दिनों में बदलाव नजर आयेगा: आइजी आरपीएफ

उत्तर रेलवे के आइजी एएन मिश्रा ने कहा कि गश्त नहीं है तो दिखवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में गश्त को लेकर बदलाव नजर आयेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्हाेंने कहा कि कानून व्यवस्था की जीआरपी की जिम्मेदारी होती है, आरपीएफ साथ मिलकर ड्यूटी करती हैं, जीआरपी के अधिकारियों से तालमेल बना हुआ है।

ये हैं आरपीएफ-जीआरपी की ड्यूटी

रेलवे संपत्ति चोरी, रेलवे का नुकसान आदि में संबंधित मामलों आरपीएफ को रेलवे एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का अधिकार होता है। लेकिन ट्रेन या रेलवे सीमा में यात्री के सामान की चोरी, लूटपाट आदि होने पर आइपीसी की धारा में मामला दर्ज करने का अधिकार सिर्फ जीआरपी के पास होता है। इसलिये कानून व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी राज्यों की जीआरपी के पास होती है।


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