रेल मंत्री का बड़ा फैसला, अब ओपन टेंडरिंग से होंगे वर्क अलाट, खर्च में कटौती
रेलमंत्री ने पीएसयू के पंख कतरे। ओपन टेंडरिंग से अब वर्क अलाट होंगे। पब्लिक सेक्टर यूनिट पहले खुद टेंडर कर अपनी देखरेख में करवाती थी रेलवे के बड़े प्रोजेक्ट। अब रेलवे बोर्ड करेगा टेंडर। जिसमें पीएसयू भी प्राइवेट कंपनियों की तरह टेंडर में भाग लेंगी।
अंबाला, [दीपक बहल]। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खर्च में कटौती और कार्य को समय पर पूरा करने के लिए पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू) के पंख कतर दिए हैं। रेलवे के करोड़ों रुपयों के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट का एस्टीमेट और टेंडर की प्रक्रिया रेलवे की पीएसयू करती थी। ये सभी प्रोजेक्ट पीएसयू के अधीन होते थे और इसमें से रेलवे को पीएसयू को अलग से लाभ देना पड़ता था। मंगलवार को रेल मंत्रालय ने देश के सभी महाप्रबंधकों को लिखित आदेश जारी कर ओपन टेंडरिंग के लिए रेलवे के वर्क अलाट की प्रक्रिया अपनाने को कहा है। इसका सीधा मकसद रेलवे द्वारा अपने खर्चों में कटौती करना है। ऐसा करने से प्रतिस्पर्धा तो बढ़ेगी ही साथ ही अधिक संख्या में कंपनियां टेंडर प्रक्रिया में भाग लेंगी। अब पीएसयू को कोई भी टेंडर लेना होगा तो उनको प्राइवेट कंपनियों की तरह ही टेंडर प्रक्रिया में भाग लेना होगा।
ये हैं रेलवे की पीएसयू
- रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनामिक सर्विसेज लिमिटेड (राइट्स)
- इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (आइआरसीओएल)
- इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन (आइआरएफसी)
- कंटेनर कारपोरेशन आफ इंडिया (कानकोर)
- कोंकण रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड (केआरसीएल)
- सेंटर आफ रेलवे इंफार्मेशन सिस्टम (क्रिस)
- इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड (आइआरसीटीसी)
- रेल कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड (रेलटेल)
- रेल विकास निगम (आरवीएनएल)
- इंडियन रेलवे वेलफेयर आर्गेनाइजेशन (आइआरडब्ल्यूओ)
- रिसर्च डेवलेपमेंट स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ)
1700 करोड़ के प्रोजेक्ट पर उठी थी उंगली
पंजाब के राजपुरा से बङ्क्षठडा तक करीब 170 किलोमीटर तक रेलमार्ग की दोहरीकरण होनी है। इसकी जिम्मेदारी आरवीएनएल को दी गई थी। करीब 1700 करोड़ रुपये का टेंडर किया गया था। इनमें से कौली से दौनकलां रेलवे स्टेशन और डबल लाइन का काम पूरा हो चुका है। यहां आरवीएनएल की फिजूलखर्ची पर उत्तर रेलवे के मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) शैलेश कुमार ने सवाल उठाए थे। स्टेशन पर गाडिय़ां 12 डिब्बों की रुक रही हैं, लेकिन प्लेटफार्म की लंबाई 24 डिब्बों के अनुसार कर दी गई। आरवीएनएल ने भी इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए किसी अन्य को टेंडर दे दिया। अब रेलवे सीधे तौर पर आरवीएनएल को कोई भी टेंडर नहीं देगा। अब इनको टेंडर की प्रक्रिया में भाग लेना होगा।
पीएसयू में अधिक होता था वेतन, लेटलतीफी थी हावी
पीएसयू में रेलवे के अधिकारी ही डेपुटेशन पर जाते हैं। रेलवे की तुलना में पीएसयू में वेतन और सुविधाएं अधिक हैं। यही कारण है कि अधिकारियों की रुचि पीएसयू में जाने की रहती है। मंत्रालय के नए आदेश के बाद खर्चों पर भी अब लगाम लगेगी।
इस तरह होगा फायदा
टेंडर प्रक्रिया में पीएसयू प्रोजेक्ट कास्ट में अपना अतिरिक्त खर्च भी जोड़ देता था, जिससे लागत बढ़ जाती थी। प्रोजेक्ट में देरी होने पर लागत और बढ़ जाती थी। अब पीएसयू को अपने खर्चे और कार्य को समय पर करने की शर्तों पर टेंडर में भागीदारी करनी होगी।