दिहाड़ी छोड़ अपनाया स्वरोजगार, अब खुद हैं बॉस
फिल्मी डायलॉग है कि जिंदगी का मजा तो खट्टे में है। शहर की सात महिलाओं के लिए तो कम से कम ये लाइनें बिलकुल सही हैं।
जागरण संवाददाता, पानीपत : फिल्मी डायलॉग है कि जिंदगी का मजा तो खट्टे में है। शहर की सात महिलाओं के लिए तो कम से कम ये लाइनें बिलकुल सही हैं। इन सात महिलाओं ने नारी सशक्तीकरण की मिसाल कायम करने हुए संयुक्त रूप से अचार बनाने का कारोबार शुरू किया। थोड़े ही समय में उनका कारोबार चल निकला। अचार बनाने से लेकर मार्केटिग का प्रबंधन तक ये महिलाएं स्वयं कर रही हैं।
महिला सुमन, राजरानी, रानी, धनपति, कृष्णा, निर्मला, कमलेश ने सर्वप्रथम जिले के गांव पट्टीकल्याणा में सेल्फ हेल्प ग्रुप तैयार किया। इसके बाद उन्होंने थोड़ी सी जमा पूंजी से अचार बनाना शुरू किया। काम चल निकला। अचार के साथ-साथ अब ये महिलाएं मसाले भी तैयार कर बेच रही हैं। शुद्ध मसाले होने से हाथों-हाथ इनके मसाले बिक रहे हैं। महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए एनडीआरआइ (नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट) करनाल की प्रशिक्षक टीम ने प्रशिक्षण दिया। 18 दिनों तक इन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया।
नाबार्ड से मिली सहायता
महिला सुमन व राजरानी ने बताया कि पिछले छह माह से उनका काम चल रहा है। मंदी के चलते दिहाड़ी में परेशानी आने से कारोबार करने की सोची। स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहन मिला। इसके लिए बैंक से संपर्क किया गया। बैंक अधिकारियों ने हमारे प्रोजेक्ट को नाबार्ड के पास भेजा। नाबार्ड के डीजीएम संजय ने हमारे प्रोजेक्ट को स्वीकृत कर लिया।
आसपास के गांव में आपूर्ति
सुमन ने बताया कि जो माल हम तैयार करते हैं। वह आसपास के गांव में बिक जाता है। काम का धीरे-धीरे विस्तार कर रहे हैं। अभी इस प्रोजेक्ट में 10 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।
पति का बंटा रहीं हाथ
महिला रानी व धनपति ने बताया कि पति का हम हाथ बंटा रही है। स्व-रोजगार से हमें आर्थिक रूप से तो लाभ हुआ है। साथ ही समाज में भी अच्छा मुकाम हासिल हुआ है।
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