सिनेमा हॉल से लेकर सड़क तक 'पानीपत' पर छिड़ा संग्राम, प्रदर्शन Panipat News
Bollywood movie Panipat Protest फिल्म पानीपत में इतिहास के साथ छेड़छाड़ के विरोध में हरियाणा में कई जगह प्रदर्शन हुआ। जाट समाज ने सिनेमा हॉल में पहुंचकर फिल्म बंद कराई।
पानीपत, जेएनएन। Bollywood movie Panipat Protest पानीपत मूवी का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। इतिहास से छेड़छाड़ और महाराजा सूरजमल के चरित्र को गलत तरीके से दिखाए जाने से जाट व अन्य समुदाय के लोग सड़क पर उतर आए हैं। लोगों ने मित्तल मेगा मॉल में फन सिनेमा में घुस गए। यहां चल रहे शो को बंद कराया। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची।
पानीपत में काफी संख्या में जाट समुदाय के लोग मेगा मित्तल माल पहुंच गए। लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद सभी फन सिनेमा हॉल पहुंच गए। यहां पानीपत मूवी का शो चल रहा था। विरोध देखते हुए इसे बंद कर दिया गया। इसके बाद कुछ दर्शकों को रुपये रिफंड कर दिए गए तो कुछ को दूसरी मूवी के शो का टिकट दे दिया गया। वहीं जाट समुदाय के लोग लघु सचिवालय में भी पहुंचे। वहां भी विरोध प्रदर्शन किया।
करनाल में भी प्रदर्शन
विरोध प्रदर्शन को देखते हुए करनाल के सुपर मॉल में पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई। उपकार नरवाल, जयपाल पूनिया के नेतृत्व में लोगों ने वहां पहुंचकर विरोध जताया। उन्होंने थियेटर मालिक को फिल्म न चलाने का अल्टीमेटम दिया तो वहीं मॉल के बाहर जमकर नारेबाजी भी की। सूचना मिलते ही थाना सिविल लाइन एसएचओ संजीव गौड़ के नेतृत्व में पुलिस बल पहुंचा तो प्रदर्शनकारी लोगों को शांति बनाए रखने की अपील की। थियेटर मैनेजर चंदन कुमार ने उन्हें फिल्म बंद कर देने का भरोसा दिया तो इसके बाद प्रर्दशनकारी जिला सचिवालय पहुंचे, जहां उन्होंने फिल्मकारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की।
इस वजह से विरोध
प्रर्दशनकारी लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि फिल्म में महाराजा सूरजमल के चरित्र को अपमानजनक दर्शाया गया है, जो सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिल्म में जो कलाकार यह चरित्र अदा कर रहा है वह शारीरिक रूप से भी महाराजा सूरजमल से मेल नहीं खाता तो जिस भाषा का प्रयोग किया जा रहा है वह उस समय बोली जाने वाली ब्रज भाषा के बिल्कुल उल्ट है। मराठा सरदार के साथ सहयोग न करने का जो कारण दिखाया गया है वह भी ऐतिहासिक तौर पर झूठा है क्योंकि एतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक आगरा का किला तो उस समय भी महाराज सूरजमल के नियंत्रण में ही था। फिल्म में एतिहासिक तथ्यों को तोडमरोड़ कर समाज की भावना का अपमान किया गया है।