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मिलिये अंबाला के इस किसान से, 75 दिन में लेते हैं धान की फसल, एक एकड़ में 30 क्विंटल तक पैदावार

ये हैं अंबाला के साहा ब्लाक के गांव हल्दरी के किसान शमशेर सिंह। किसानों के लिए मार्गदर्शक का काम कर रहे हैं। शमशेर 12वीं पास हैं लेकिन खेती में सभी को मात दे रहे हैं। 19 एकड़ में खेती करते हैं। अन्य किसानों से आधे समय में फसल लेते हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 05:01 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 05:01 PM (IST)
मिलिये अंबाला के इस किसान से, 75 दिन में लेते हैं धान की फसल, एक एकड़ में 30 क्विंटल तक पैदावार
धान की जल्दी तैयार होने वाली किस्म में पानी की लागत भी कम होती है।

अंबाला, जेएनएन। अंबाला के प्रगतिशील किसान शमशेर सिंह 75 दिन में धान की फसल ले रहे हैं। वह धान के जल्दी तैयार होने वाली किस्म को प्राथमिकता देते हैं। इससे पानी की लागत भी कम लगती है। क्योंकि धान की फसल जल्दी तैयार होने के बाद आलू की बिजाई करते हैं। उनकी मानें तो उन धान की किस्मों का चयन करते हैं जिनमें शुरुआती दौर में ही पानी की जरूरत रहे और बाद में सिर्फ नमी से काम चल जाता है। उन्हें प्रगतिशील किसान के तौर पर सम्मानित भी किया जा चुका है।

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साहा ब्लाक के गांव हल्दरी के किसान शमशेर सिंह किसानों के लिए मार्गदर्शक का काम कर रहे हैं। शमशेर सिंह 12वीं पास हैं, लेकिन खेती में सभी को मात दे रहे हैं। 19 एकड़ में खेती करते हैं। फसल को बचाने और अधिक पैदावार लेने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में रहते हैं। वैसे धान की फसल 100 से लेकर 110 दिन में तैयार होती है। यदि रोपाई करनी हो तो पहले नर्सरी तैयार करनी पड़ती है। नर्सरी समेत धान की फसल तैयार होने में 125 से लेकर 170 दिन लग जाते हैं।

गन्ने के साथ-साथ चने या प्याज की लेते हैं फसल

गन्ने में चने या प्याज की फसल एक साथ लेते हैं। उन्होंने चार एकड़ में गन्ना लगाया था। इससे डबल फसल लेते हैं। इसके बाद खेत में 75 दिन में तैयार होने वाली धान लगाते हैं, जिसमें कम पानी लगता है। इसमें 7301, सवा 27 और पायनियर 25पी35 आदि। उन्होंने बताया कि इनकी पैदावार 28 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ रही थी। अक्टूबर में गन्ना लगा देते हैं, गन्ने को खुड(निचले एरिया) में और मेढ़ पर चना लगा देते हैं। इसमें दोनाें एक साथ होते हैं। चने की कटाई गेहूं के साथ अप्रैल में की जाती है। इसके बाद गन्ने के खुड में मेढ़ की मिट्टी भर देते हैं।

खुद किया बीज तैयार

उन्होंने बताया कि 15 सितंबर को आलू लगा दिया जाता है। पिछले साल भी 15 सितंबर को आलू लगाया था और अक्टूबर में निकाल लिया था। वह पंजाब के जालंधर से आलू का बीज लेकर आये और 1 नवंबर को आलू लगाया था। चार माह बाद आलू का छज्जा काटा था। दस दिन इसे इसी तरह छोड़ दिया गया था ताकि अच्छी तरह से पक जाए। जो सिर्फ बीज के लिए तैयार किया जाता है।

इस तरह अपनाते हैं फसल चक्र

15 जून को धान लगाते हैं, जिसे सितंबर में कट जाने के बाद इसमें आलू लगाया जाता है। उसके बाद जनवरी में प्याज करते हैं। वह सूरजमुखी के भी चार एकड़ में खेती करते हैं। गन्ने के खेत खाली होने पर जनवरी में सूरजमुखी भी करते हैं। उन्होंने बताया कि गेहूं-धान के मुकाबले दूसरी फसलों में ज्यादा फायदा है। क्योंकि धान में खर्चा काफी है।

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