ई-वे बिल ने बढ़ाई मुसीबत, व्यापारी मांग रहे जवाब
जागरण संवाददाता, पानीपत : गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) पहले ही हैंडलूम व्यापारियों के लिए गले
जागरण संवाददाता, पानीपत :
गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) पहले ही हैंडलूम व्यापारियों के लिए गले की फांस बना हुआ है। जीएसटी के प्रावधानों के तहत अनेक परेशानियां तो है ही, अब ई-वे बिल प्रणाली लागू होने से नई मुसीबत खड़ी हो गई है।
एक फरवरी से माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल प्रणाली लागू होने वाली है। एक राज्य से दूसरे राज्य की और चालान होने वाले 50 हजार रुपये से अधिक की रकम के गुड्स के लिए ई-वे बिल लागू हो जाएगा। 10 किलोमीटर की दूरी के लिए ई-वे बिल जरुरी नहीं होगा लेकिन ये भी उस स्थिति में मान्य होगा, जब भेजने वाला दुकान या फैक्टरी आदि से 10 किलोमीटर की रेंज में स्थित ट्रांसपोर्ट गोदाम में भेजेगा। ई-वे बिल को लेकर न केवल व्यापारी अपितु ट्रांसपोर्टर खुद असमंजस में हैं।
व्यापारियों की परेशानी
-एक ट्रक में ट्रांसपोर्टर अगर अलग-अलग व्यापारियों के छोटे-छोटे व कम कीमत के पार्सल ( जिनकी रकम 50 हजार से अधिक हो) चालान कर रहे हैं, तो इस स्थिति में या तो ट्रांसपोर्टर ई वे बिल बना कर देगा या फिर सभी व्यापारियों को ई-वे बिल बना कर देना होगा।
-बना हुआ कोई भी बिल पार्सल चालान होने के 24 घंटे की अवधि में ही रद हो सकेगा।
-ई वे बिल के प्रावधानों के तहत माल ले जाने वाले वाहन को 24 घंटे के अंदर 100 किलोमीटर सफर तय करना होगा, अगर किन्ही परिस्थितियों में बीच रास्ते में माल ढोने वाला वाहन बिगड़ जाता है या और कोई कारण है तो उस स्थिति में नया ई-वे बिल बनाकर देना होगा। व्यापारी ने यदि ई-वे बिल बनाया है तो खरीदार पार्टी को 72 घंटे के अंदर-अंदर उसे रद करना आवश्यक होगा। अगर रद नहीं किया गया तो खरीद मान लिया जाएगा।
-साइकिल, बुग्गी आदि पर चालान किए गए माल लाने ले जाने पर ई-वे बिल की जरूरत नहीं रहेगी।
-ई-वे बिल की आवश्यकता मोटर वाहन पर रहेगी।
एक्सपर्ट व्यू
ई-वे बिल के संदर्भ में एक्सपर्ट सीए एचके गोयल का कहना है कि
-ई-वे बिल देश की इकोनॉमी के लिए बेहतर है।
-जो लोग एक बिल पर चार-चार बार माल भेज देते हैं, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। बिल को रद करने के लिए साइट पर जाना पड़ेगा। बार-बार रद्द करने पर व्यापारी पकड़ में आ जाएगा।
-इससे राजस्व अधिक मिलेगा।
सुझाव
-10 किलोमीटर का दायरा कम है। पानीपत जैसे औद्योगिक शहर में शहर से 10-10 किलोमीटर दूर तक अनेक उद्योग लगे हैं। उन उद्योगों का माल लाने ले जाने में बार-बार ई-वे बिल देना होगा। दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। वैट की तरह रियायत मिलनी चाहिए
-इंटरनेट को स्ट्रांग करना होगा।
-जॉब वर्क पर भी ई-वे बिल लागू किया गया है।
ई-वे बिल को लेकर होगी व्यापारियों की बैठक
लोहड़ी मकर संक्रांति के बाद हैण्डलूम व्यापारियों की बैठक होगी। ई-वे बिल को लेकर चर्चा की जाएगी।
50 हजार तक का बिल न काटने की शर्त खत्म हो
हैंडलूम एसोसिएशन अमर भवन चौंक के प्रधान मदन बरेजा का कहना है कि 50 हजार तक ई-वे बिल नहीं होने की शर्त खत्म होनी चाहिए। व्यापारी जीएसटी के तहत बिल काटता है। किसी न 45-46 हजार बिल काट दिया तो उसे परेशान किया जाएगा।
कम पढ़े लिखे होने से परेशानी
एसोसिएशन के महासचिव तिलक राज खंट्टर का कहना है कि बाजार में ज्यादातर व्यापारी कम पढ़े लिखे हैं। उन्हें दुकान पर कंप्यूटर चलाने के लिए कर्मचारी रखना होगा। कर्मचारी के अवकाश पर जाने पर परेशानी झेलनी होगी। लाइट, इंटरनेट न चलने पर ई-वे पोर्टल पर कैसे बनेगा।
अंडर बिल को चैलेंज करने वालों की जवाबदेही फिक्स हो
ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन के महासचिव राजीव अग्रवाल ने कहा ई-वे बिल से कोई परेशानी नहीं है। इसके लिए नेटवर्क की स्पीड बढ़ाने के साथ-साथ पोर्टल हर समय काम करे। साथ ही अंडर बिल को चैलेंज करने वाले अधिकारियों की जवाब देही फिक्स होनी चाहिए। कितने बिल एक साथ साइट पर लोगिन करने की क्षमता है यह जानकारी दी जाए।