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धान के जहरीले धुएं को जमींदोज करने की तैयारी

सरकार किसी भी हालत में धान के फसलीय अवशेष जलाने नहीं देना चाहती। इसके लिए उसने थ्री स्टेप योजना तैयार की है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 02:40 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 02:40 PM (IST)
धान के जहरीले धुएं को जमींदोज करने की तैयारी
धान के जहरीले धुएं को जमींदोज करने की तैयारी

विनोद चौधरी, कुरुक्षेत्र

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सरकार किसी भी हालत में धान के फसलीय अवशेष जलाने नहीं देना चाहती। इसके लिए उसने थ्री स्टेप योजना तैयार की है। पहले चरण में सभी कंबाइन मशीनों में सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। दूसरे में चोपर से धान के डंठल को बारीक कर मिट्टी में मिलाया जाएगा। इसके बाद भी अवशेष बच गया तो डी-कंपोजर से खाद बनाकर उसे मिट्टी में मिलाया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित कराने के लिए एसडीएम को नोडल अधिकारी बनाया गया है।

दरअसल, फसलीय अवशेष प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहे हैं। बीते दिनों स्मॉग के लिए भी इसे जिम्मेदार माना गया। इसके बाद प्रदेश सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पूरी सख्ती के साथ इसे रोकने का फैसला किया है। बोर्ड ने धान की कटाई करते समय कंबाइन मशीनों पर सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट (एसएसएम) सिस्टम लगाना अनिवार्य करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। सिस्टम लगने से फसलीय अवशेष बारीक होकर जमीन पर गिरेंगे। इसके बाद अच्छी तरह से कल्टीवेट (जुताई) कर उन्हें मिंट्टी में मिलाया जा सकेगा।

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दूसरा चरण

इसमें हैप्पी सीडर से सीधी बिजाई और चोपर से अवशेष को बारीक करना है, ताकि वह मिट्टी में आसानी में मिल जाए। इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इससे मिंट्टी की उर्वरता बढ़ेगी।

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तीसरा चरण भी खास

दो चरणों के बाद भी अवशेष बच जाता है तो तीसरे चरण को अमल में लाया जाएगा। किसान को सिर्फ 20 रुपये में डी-कंपोजर दिया जा रहा है। इसे दो किग्रा गुड़ के साथ 200 लीटर पानी में डालकर एक घोल तैयार होगा। घोल डालने पर अवशेष एक माह में ही कंपोस्ट खाद में बदल जाएगा। इस खाद के इस्तेमाल से यूरिया और डीएपी की खपत 90 प्रतिशत तक कम हो जाएगी।

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प्रदेश भर 13 लाख 41 हजार हेक्टेयर में है धान का रकबा

प्रदेश में इस साल 13 लाख 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्र धान की फसल है। 30 प्रतिशत के करीब में बासमती है, जिसमें आग नहीं लगाई जाती। नौ लाख 38 हजार 700 हेक्टेयर में ऐसे किस्म का धान है जिसकी कटाई कंबाइन से होती है। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें 48 लाख 67 हजार 800 टन के करीब फसलीय अवशेष निकलता है। इसी अवशेष को पूरी तरह जलाने से रोकने का लक्ष्य है।

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एसएसएम पर 50 प्रतिशत सब्सिडी

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट (एसएसएम) सिस्टम पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रहा है। इसकी कुल कीमत 1 लाख 12 हजार रुपये है। विभाग की ओर 56 हजार रुपये में मुहैया कराया जा रहा है।

थ्री स्टैप से कामयाबी की गारंटी

थ्री स्टैप योजना की सफलता की पूरी गारंटी है। किसी भी हालत में फसलीय अवशेष को जलाने नहीं दिया जाएगा। सभी संबंधित एसडीएम को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो अपने-अपने क्षेत्र पर नजर रखेंगे।

डॉ. कर्मचंद, उपनिदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग


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