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बूंदाबांदी रोक रही तारों का करंट

जागरण संवाददाता, पानीपत डिजिटल हरियाणा में बिजली निगम मानों फेल साबित हो रहा है। जरा सी

By Edited By: Published: Mon, 18 Jul 2016 02:03 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jul 2016 02:03 AM (IST)
बूंदाबांदी रोक रही तारों का करंट

जागरण संवाददाता, पानीपत

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डिजिटल हरियाणा में बिजली निगम मानों फेल साबित हो रहा है। जरा सी बूंदाबांदी होते ही बिजली गुल हो जाती है। कहीं बैक करंट आ जाता है तो कहीं इंसुलेटर में पानी घुस जाता है। पावर हाउस की बिजली तक ठप हो रही है। रविवार को बूंदाबांदी में शहर के तीन फीडर एक से चार घंटे बंद रहे। कुछ फीडर बार-बार ट्रिपिंग कर रहे थे।

बूंदाबांदी शुरू होते ही पावर हाउसों में एक के बाद एक फीडर बंद होने शुरू हो जाते हैं। शहर में बेहद प्रदूषण है। धूल-मिट्टी तारों पर जम जाती है। तार और खंभे के बीच में इंसुलेटर लगा होता है। बूंदाबांदी शुरू होते ही तारों का करंट इंसुलेटर तक पहुंच जाता है, जिससे फीडर ट्रिपिंग करने लगते हैं। कई बार बैक करंट आ जाता है। केबल या केबल बॉक्स में पानी घुसने से फाल्ट आ रहे। 132 केवी गोहाना रोड पावर हाउस का इंडस्ट्री फीडर रविवार सुबह 6:35 बजे बंद हो गया। इस फीडर पर कुछ फैक्टरियां और रिहायशी एरिया है। बिजली कर्मियों ने करीब 4 घंटे में फाल्ट दूर करके 10:25 बजे बिजली सप्लाई बहाल की। सुबह 10 बजे रेलवे स्टेशन फीडर में खराबी आ गई। इस फीडर से रेलवे कालोनी में बिजली गई हुई है।

एक घंटे बाद रेलवे कालोनी में बिजली आई। सुबह 10:20 बजे सिटी वन फीडर बंद होने से अमर भवन चौक, संजय चौक, इंसार बाजार के कुछ एरिया की बिजली गुल हो गई। बिजली कर्मचारियों को फाल्ट दूर करने में पौने दो घंटे लग गए। 11:45 बजे सिटी वन फीडर की बिजली सप्लाई शुरू हुई।

अघोषित कट लग रहे

उमस भरी गर्मी में अघोषित कट लग रहे हैं। रात को एसी का लोड बढ़ जाता है, जिससे फीडर ओवर लोड हो जाते हैं। इससे बार-बार कट लगते हैं। शहर के बाहरी एरिया में सबसे अधिक अघोषित कट लगते हैं। बिजली गुल होने से लोगों को उमस भरी गर्मी में मच्छरों की मार झेलनी पड़ रही है।

समय पर मरम्मत नहीं की जा रही : तेजपाल

सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव तेजपाल का कहना है कि बिजली की लाइनों की समय पर मरम्मत नहीं हो रही है। तारों पर धूल-मिट्टी जमी रहती है। इसलिए बूंदाबादी होते ही फाल्ट आ रहे हैं। बिजली सप्लाई बंद रहने से एक तो उपभोक्ता परेशान होते हैं, दूसरे निगम को राजस्व का नुकसान होता है। समय पर लाइनों की मरम्मत की जाए।


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