प्रदूषण की मार : उद्योग बंद, करोबार ठप, फिर भी Panipat में Pollution से घुट रहा दम
प्रदूषण के चलते कारोबार और उद्योग जगत की पूरी व्यवस्था बिखर गई। बावजूद प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है।
पानीपत, जेएनएन। 'पानीपत को सोमनाथ नहीं बनने दूंगा।' सांसद संजय भाटिया की 7 नवंबर की घोषणा 14 नवंबर को भी नाकाम दिखी। शहर की सांसों में जहर घुलता रहा। सख्ती की घोषणाओं के बाद भी कारखाने धुआं छोड़ते रहे। फिर भी सांसद के दावों में जानकार दम देख रहे हैं। इसी के साथ सवाल उठ खड़ा हुआ है कि पानीपत को लूटने वाले कौन हैं? चंद अफसर? चंद कारोबारी? या चंद नेता? बड़ी मछलियों के चक्कर में छोटे कारोबारी तबाही की तरफ बढ़ चले हैं और कामगार बेरोजगारी की तरफ। कोई जवाब देने लायक नहीं है कि जिन भ्रष्टाचारियों को आबाद करने में पानीपत बर्बाद हुआ है, उनके गिरेबां तक कौन पहुंचेगा?
रजिस्टर्ड उद्योग पिछले 19 दिनों से बंद हैं तो अवैध लगातार धुआं छोड़ रहे हैं। प्रभाव स्कूल से अस्पताल तक दिखता है। सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहरों में पानीपत का नाम सबसे ऊपर है। जगजाहिर है कि हालात एक दिन में नहीं बने। 52 सरकारी विभागों से एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) लेने वाले उद्योग अगर प्रदूषण फैला रहे हैं तो साफ है कि नेता और अफसर दूध के धुले नहीं हैं। निर्यात उद्योग चलाने के लिए तो 78 एनओसी ली जाती हैं।
उद्यमी कह रहे हैं कि एन्वायरमेंट प्रीवेंशन कंट्रोल अथॉरिटी (ईपीसीए) ने उद्योग बंद करा दिए हैं। अधिकारी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। उद्यमी व श्रमिक सड़़कों पर हैं। जनप्रतिनिधियों को जनता की अदालत में जवाब देना चाहिए कि इस नुकसान की भरपाई किन लुटेरों और भ्रष्टाचारियों से कैसे और कब तक की जाएगी?
एयर क्वालिटी इंडेक्स 389 रहा
बृहस्पतिवार को मौसम में कोई सुधार नहीं हुआ। दिन भर शहर में स्मॉग की चादर में लिपटा नजर आया। प्रदूषण स्तर बेहद गंभीर श्रेणी में प्रवेश कर गया। औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स 389 रहा। मौसम विभाग के अनुसार सर्दियों के आगाज के साथ ही न्यूनतम तापमान में गिरावट से हवा में ठंडक बढ़ गई है। और भारीपन आ गया है। जिससे प्रदूषक तत्व जमीन के निकट जमा हो रहे हैं।
श्रमिकों को 14 करोड़ प्रतिदिन का घाटा
पानीपत में 20 हजार से अधिक औद्योगिक संस्थान हैं। बंदी से इनकी व्यवस्था बेपटरी हो गई। दो लाख से अधिक वर्कर व कर्मचारी संकट में हैं। औसतन 700 रुपये मेहनताना के औसत पर मानव संसाधन को प्रतिदिन 14 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
35 करोड़ का निर्यात प्रतिदिन प्रभावित
निर्यात उद्योग 35 करोड़ की विदेशी मुद्रा रोजाना कमाता है। उद्योगों के बंद रहने से 19 दिनों में 565 करोड़ का नुकसान अकेले निर्यात उद्योगों को हो चुका है।
2.50 लाख विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित
पानीपत में 1.75 लाख विद्यार्थी निजी स्कूलों में अध्ययन कर रहे हैं। 75 हजार विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। प्रदूषण स्तर बढऩे पर अवकाश घोषित होने पर 2.50 लाख विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हुई।
15 हजार स्टाफ खाली बैठा
स्कूलों का अवकाश होने पर स्कूलों में तैनात 15 हजार स्टाफ खाली बैठने पर मजबूर हुआ। उनके वेतन का बोझ स्कूलों पर पड़ा।
1300 मरीज पहुंच रहे अस्पताल
प्रदूषण से शहरवासियों की सेहत बिगड़ रही है। प्रतिदिन सिविल अस्पताल में 150 और निजी अस्पतालों में खांसी, जुकाम और त्वचा के करीब 1150 मरीज पहुंच रहे हैं। मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों को हो रही है। डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. नवीन सुनेजा ने बताया कि प्रदूषित केमिकल युक्त धुआं इंफेक्शन का कारक है।
खुले में जल रहा कूड़ा
नगर निगम के कर्मचारी खुले में कूड़ा जला रहे हैं। प्रदूषण स्तर को लेकर मचे हो-हल्ले के बीच कोई सुधार नहीं है। बृहस्पतिवार को भी कई स्थानों पर कूड़ा जलता मिला।