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प्रदूषण नियंत्रण और केंद्रीय भूजल बोर्ड सख्त, उद्यमियों ने मांगा पानी Panipat News

सीपीसीबी और केंद्रीय भूजल बोर्ड जल दोहन पर सख्ती बरती है। ऐसे में अब करीब 70 उद्यमियों ने पानी के लिए आवेदन किया है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 06:05 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 06:05 PM (IST)
प्रदूषण नियंत्रण और केंद्रीय भूजल बोर्ड सख्त, उद्यमियों ने मांगा पानी Panipat News
प्रदूषण नियंत्रण और केंद्रीय भूजल बोर्ड सख्त, उद्यमियों ने मांगा पानी Panipat News

पानीपत, जेएनएन। केंद्रीय भूजल बोर्ड की सख्ती के बाद शहर के उद्यमियों ने पानी के लिए अनुमति मांगनी शुरू कर दी है। करीब 70 बड़े उद्योगों ने केंद्रीय जल बोर्ड में आवेदन किया है। इनमें 57 इंडस्ट्री टेक्सटाइल की हैं। एक साथ आवेदन आने पर बोर्ड के अधिकारी भी हैरान है। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी सूचना में यह जानकारी दी है।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल बोर्ड इन दिनों जल दोहन और पर्यावरण प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री पर लगातार कार्रवाई कर रहा है। अब तक करीब 110 इंडस्ट्री को खामियां मिलने पर क्लोजर नोटिस थमाए जा चुके हैं। इनमें से 30 प्रतिशत इंडस्ट्री पर अनुमति के बिना जल दोहन के तहत कार्रवाई की गई है। उद्यमियों का कहना है कि उनको पहले इस तरह की अनुमति लेने की जानकारी नहीं थी। 

टेक्सटाइल और कॉटन कंपनी अनुमति लेने में सबसे अधिक 
70 में से 54 टेक्सटाइल की इंडस्ट्री हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा तीन कॉटन और दो राइस मिलों ने अनुमति मांगी है। अस्पतालों में प्रेम अस्पताल इसके लिए आगे आया है। इसके अलावा फार्मा, डिस्टलरी, स्टील फूड प्रोसेस, प्लाइवुड, पैकेज ड्रिक, रबर, केमिकल, सीमेंट व डेयरी की एक-एक यूनिट हैं। रियल एस्टेट में एक ही कंपनी है। इनमें बापौली नोटिफाइड एरिया की 10 व समालखा की छह इडंस्ट्री भी हैं। इनमें राज ओवरसीज यूनिट-2, गोल्डन फ्लोर फर्निशिंग, गोल्डन टेरी टावल प्राइवेट लिमिटेड, राज ओवरसीज यूनिट-4 और पैन ओवरसीज मुख्य हैं। 

रियल एस्टेट और कई बड़ी कंपनी अभी बाकी 
पानीपत में करीब 20 हजार छोटी-बड़ी इंडस्ट्री हैं। अब तक सात इंडस्ट्री व रियल एस्टेट कंपनी जल दोहन की अनुमति से चल रही हैं। बड़ी संख्या में इंडस्ट्री अवैध रूप से पानी का दोहन कर रही हैं। इनमें आइओसीएल की पानीपत रिफाइनरी, एनएफएल और थर्मल समेत बड़ी इंडस्ट्री शामिल हैं। सबसे हैरान करने वाला विषय रियल एस्टेट कंपनियों की अनुमति नहीं लेना है। अब तक केवल एक ही कंपनी एनओसी ले पाई है।

 panipat

दैनिक जागरण कार्यालय में विमर्श करते पार्षद शिव कुमार, पवन बाल्मीकि, रविंद्र भाटिया पूर्व पार्षद हरीश शर्मा, पार्षद अशोक कटारिया, अतर सिंह व रविंद्र कुमार। 

निगम हाउस में रखेंगे प्रस्ताव, पानीपत का पानी बचाओ
वहीं शहर के पानी का सच अब सभी के सामने हैं। दैनिक जागरण ने सिलसिलेवार रिपोर्ट प्रकाशित की तो नगर निगम के पार्षदों ने पानीपत का पानी बचाने के लिए प्रदेश की सरकार तक प्रस्ताव भेजने का संकल्प ले लिया है। दैनिक जागरण कार्यालय में पहुंचे पार्षदों ने कहा कि वे चार जुलाई को हाउस की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करेंगे। पानी को दोबारा से उपयोग में ला सकें, इसके लिए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेएडएलडी) प्लांट की मांग करेंगे। एसटीपी से साफ होकर निकल रहे पानी को सीवर लाइन के माध्यम से इंडस्ट्री को उपलब्ध कराने की मांग करेंगे। पार्षदों का मानना है कि उद्योगों के लिए कोई प्लाङ्क्षनग नहीं होने पर ही भूजल जहरीला हो रहा है। शहर के पानी को जहरीला बनाने में उद्यमियों के साथ अफसर भी बराबर के दोषी हैं। इसके लिए बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने की जरूरत है। 

अफसर करते हैं अनदेखी : कटारिया 
वार्ड-7 के पार्षद अशोक कटारिया ने कहा कि डाई हाउस में केमिकल प्रयोग करने की एक सीमा है। उनको ईटीपी लगाना अनिवार्य है। वे केमिकल युक्त पानी को ट्रीट करने के बाद ही बाहर निकाल सकते हैं। कुछ उद्यमी नियमों की अनदेखी बरत रहे हैं। अधिकारी इन सबको अनदेखा कर रहे हैं। उनको अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होगा। सरकार को भी प्लांट लगाकर पानी को दोबारा प्रयोग में लाना होगा। 

जिम्मेदारी निभाएं उद्यमी : रवींद्र कुमार
वार्ड-6 के पार्षद रवींद्र कुमार का कहना था,  उद्यमी तो सरकार को राजस्व के रूप में टैक्स देते हैं। प्रदेश की सरकार इनको सुविधा दी। वहीं,  कुछ व्यापारी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पाते। उद्योगों से पानी निकालने की अनुमति लेनी होती है। वे इसी माध्यम से पानी छोड़ सकते हैं। संबंधित विभाग भी अपनी जिम्मेदारियों पर खरा उतरें। उद्योगों के पॉलिसी बनाकर काम करने की जरूरत है। 

कोई योजना क्यों नहीं : पवन
वार्ड-2 के पार्षद पवन वाल्मीकि ने बताया कि उद्योगों से निकलने वाले पानी के लिए कोई योजना नहीं है। इसको ऐसे ही बहा दिया जाता है। चीन में सभी जरूरी प्रक्रियाएं होने के बाद ही उद्योग लगाने की अनुमति मिलती है। वहां की सरकार और उद्यमी जनता के हित को ध्यान में रखते हैं। यहां पर किसी तरह का सिस्टम नहीं है। उत्पादन के नाम पर जमीन पानी को दोहन किया जा रहा है। सरकार को पॉलिसी बनाकर काम करने की जरूरत है। तभी जमीनी पानी का दोहन रुक सकता है। 

लोग हो रहे बीमार : शिवकुमार शर्मा
वार्ड-13 के पार्षद शिवकुमार शर्मा ने बताया कि केमिकल युक्त पानी से लोगों को बीमारी हो रही हैं। कई जगह तो लोगों को दवाई डालकर नहाना पड़ता है। औद्योगिक सेक्टरों में भी किसी तरह पुख्ता प्रबंध नहीं हैं। बारिश के सीजन में तो फैक्ट्रियों तक पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है। उद्योगों में बारिश के पानी के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होना चाहिए। वह हाउस की बैठक में इस मुद्दे को उठाएंगे।

सोच नहीं थी दूरगामी : रवींद्र भाटिया
वार्ड-10 के पार्षद रवींद्र भाटिया ने बताया कि पानी से पानीपत शहर का नाम शुरू होता है और यहीं का पानी जहरीला हो गया है। सेक्टर-29-टू की स्थिति अलॉटमेंट के समय अधिकारियों की दूरगामी सोच न होने का परिणामस्वरूप है। इंडस्ट्री के पानी को आसानी के साथ री-साइकिल किया जा सकता है। इसके लिए सरकार और उद्यमियों दोनों को आगे आना होगा। उद्यमी भी अब इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। सरकार को इसके लिए आगे आना होगा। 

पूरे शहर का पानी हो रहा जहरीला : हरीश शर्मा 
वार्ड-3 की पार्षद अंजलि शर्मा के पिता पूर्व पार्षद हरीश शर्मा ने बताया कि एक किलोग्राम धागा डाई करने के लिए 120 लीटर से ज्यादा पानी लगता है। इंडस्ट्री में हर रोज करोड़ों लीटर पानी प्रयोग किया जा रहा है। इस पानी को री-साइकिल करने के कोई संसाधन नहीं हैं। सेक्टर-29 पार्ट 2 ही नहीं, पूरे शहर का पानी जहरीला हो रहा है। इससे गंभीर बीमारी फैल रही हैं। सरकार को भी इसके लिए गंभीर होना होगा। 

पानी पीने से लगता है : अतर सिंह 
वार्ड-16 के पार्षद अतर सिंह रावल ने बताया कि कॉलोनियों में लगाए ट्यूबवेलों से ही पानी विषैला आ रहा है। कई जगह तो तैलीय पानी आ रहा है। इस पानी को पीने में भी डर लगता है लेकिन लोगों की मजबूरी है। सेक्टर 29 में कई बार तो सड़क पर तीन से चार फीट तक पानी भर जाता है। पानी निकासी का कोई सिस्टम ही नहीं है। 


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