भारत में शेर घटते जा रहे, हरियाणा में तीन पैदा हुए और इन्हीं पर यूं चल रही सियासत
गीता व साक्षी नामक शेरों के जोड़े के तीनों शावकों को ठीक से ठिकाना भी नसीब नहीं हो पा रहा है। राजनेता शावकों पर राजनीति करने पर उतारु हो गए हैं। जानिए ऐसा क्या हुआ।
जेएनएन, पानीपत: पिपली जू में पैदा हुए गीता व साक्षी नामक शेरों के तीनों शावक आखिरकार राजनेताओं की बयानबाजी में फंस कर रह गए हैं। लोगों के मुद्दों पर राजनीति करने वाले राजनेता अब इन शावकों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि ठिकाने को तरस रहे हैं शावकों को कभी रोहतक तो कभी कुरुक्षेत्र में रखे जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। पढि़ए दैनिक जागरण की ये खास रिपोर्ट।
शेर के जिन तीन शावकों को बचाकर वन्य जीव प्राणी विभाग के कर्मी इसे अपनी बड़ी उपलब्धि मान रहे थे, वे शावक राजनेताओं की खींचतान में फंस कर रह गए हैं। इन शावकों को कभी रोहतक तो कभी पीपली चिडिय़ाघर में रखे जाने को लेकर बयानबाजी सामने आ रही है। फिलहाल उन्हें रोहतक के चिडिय़ाघर में भेज दिया गया है।
अब विधायक का ये कहना
लाडवा विधायक डॉ. पवन सैनी ने कहा कि पिपली चिडिय़ाघर से रोहतक में शिफ्ट किए गए शेरनी के तीनों शावकों को मौसम ठीक होने के बाद फिर से पिपली चिडिय़ाघर में वापस लाया जाएगा। इससे पहले पिपली चिडिय़ाघर में नए पिंजरे की व्यवस्था करने के साथ-साथ चिडिय़ाघर को ओर अधिक सुंदर बनाने के प्रयास किए जाएंगे। इन तमाम मुद्दों को लेकर शीघ्र ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत की जाएगी।
पर्यटकों की संख्या बढ़ी, फिर भी उठाया कदम
विधायक डॉ. पवन सैनी ने बताया कि पिपली चिडिय़ाघर का राज्य सरकार की तरफ से पहले ही विस्तारीकरण और सुंदरीकरण का कार्य किया गया है। इसके कारण पिपली चिडिय़ाघर में पर्यटकों की संख्या में रोजाना बढ़ोतरी हो रही है। इतना ही नहीं शेरनी द्वारा तीन शावकों को जन्म देने के बाद चिडिय़ाघर में पर्यटकों की संख्या में और अधिक इजाफा हुआ।
नामकरण के दौरान मौजूद वन मंञी राव नरबीर और विधायक सुभाष सुधा।
नामकरण भी मंत्री ने किया था, फिर भी न रोक सके
राव नरबीर ने तीनों शावकों का नाम अर्जुन, गीता और सुधा रखा था। विधायक सुभाष सुधा के नाम भी एक शावक का नाम सुधा रखा। इनके जन्म के बाद से ही विभाग के कुछ अधिकारी व चिकित्सक इन्हें पिपली की बजाए रोहतक जू भेजने के प्रयासों में लगे थे। तब तर्क दिया गया कि यहां जगह कम है। दूसरे पिपली जू के मौजूदा बाड़ों में चूहे भी हैं। इनसे शावकों को संक्रमण हो सकता है।
मंत्री जी के भरोसे का क्या
शावकों को रोहतक शिफ्ट करने का मामला सामने आने के बाद शाहाबाद विधायक सुभाष सुधा ने वनमंत्री राव नरबीर से भी बातचीत की थी। तब वनमंत्री ने अधिकारियों से बात करके शावकों को पिपली में ही रखे जाने को कहा था। विधायक ने दावा भी किया था तीनों शावकों को यहीं रखा जाएगा।
भारत में 523 शेर
एक आंकड़े के अनुसार भारत में 523 शेर हैं। सात से आठ वर्ष के बीच शेरों की संख्या को लेकर चिंता जताई गई। इसके बाद कुछ सुधार तो हुआ लेकिन वो उम्मीद के अनुसार बेहतर नहीं कहा जा सकता। कुछ दिन पहले ही गिर में संदिग्ध हालात में 11 शेरों की मौत हो गई थी। इसकी अभी तक जांच चल रही है।
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