Haryana Politics; हरियाणा में सियासी हलचल, इस बार शुभकामना नहीं देने का टोटका
मुख्यमंत्री मनोहरलाल देश के प्रधानमंत्री से मिलकर आए हैं तब से हरियाणा सियासी चर्चा बढ़ गई है। मंत्रिमंडल विस्तार में पानीपत ग्रामीण से विधायक महीपाल ढांडा का नाम दोबारा से चर्चा में। इस बार शुभकामना नहीं देने का टोटका आजमा रहे समर्थक। पढि़ए इस सप्ताह का स्ट्रेट ड्राइव कालम।
पानीपत, [रवि धवन]। महीपाल ढांडा। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष। भाजपा के इकलौते ऐसे जाट नेता, जो लगातार दूसरे बार जीतकर विधानसभा में पहुंचे। पहले कार्यकाल में उन्हें यह कहकर नजरअंदाज किया गया कि अभी नए-नए हैं। मंत्री पद नहीं मिला। फिर कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़ जैसे जाट नेताओं के रहते उनका नंबर नहीं पड़ा। दूसरे कार्यकाल में दिग्गज हार गए तो महीपाल ही दिग्गज हो गए। पर महिला शक्ति को अवसर दिए जाने से कमलेश ढांडा की वजह से महीपाल ढांडा को मंत्रिमंडल के पैड बांधने का मौका नहीं मिला। जब से मनोहरलाल दिल्ली में पीएम से मिलकर लौटे हैं, एक बार फिर से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोर पकड़ गई है। इस बार महीपाल समर्थक उन्हें शुभकामना नहीं देने का टोटका आजमा रहे हैं। दरअसल, हर बार शुभकामना दे देते हैं, पर नाम नहीं आता। अब शुभकामना नहीं देकर, टीम मनोहर में उनके शामिल होने की दुआएं की जा रही हैं।
शाहजी, हार-जीत तो परिणाम है, कोशिश हमारा काम है
तापसी पन्नू की फिल्म आई है, रश्मि राकेट। फिल्म का एक डायलाग है, हार-जीत तो परिणाम है, कोशिश हमारा काम है। पानीपत शहर में बुल्ले शाह समर्थक यह डायलाग जरूर सुना देते हैं। कांग्रेस नेता बुल्ले शाह से मिलकर आते हैं। साथ ही कहते हैं, अंकल जी। इस वारी पीछे नहीं हटना। बुल्ले शाह भी मुस्कुराकर कहते हैं, समय का इंतजार करो। भाग्य पर भरोसा रखा। वैसे राजनीति के तमाम सियासी कोच यही कहते हैं, शाह को पता होता कि 2019 में कांग्रेस की बैटिंग इतनी शानदार होने वाली थी तो वह पैड उतारते ही नहीं। अपनी जगह संजय अग्रवाल को एक तरह से मौका दिलाकर अपने लिए विराट चुनौती खड़ी कर दी है। जो कांग्रेस शहर में शाह परिवार के अलावा किसी का नाम नहीं सोच सकती थी, उसी के सामने विकल्प मौजूद है। वैसे शाह समर्थक पाजिटिव सोच के हैं। कहते हैं, शाहजी जीतेंगे, मंत्री भी बनेंगे।
संजय सब याद रखते हैं, कह ही देते हैं
देश में दूसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले संजय भाटिया। स्थितियां कैसी भी हों, बात कह ही देते हैं। अभी सत्ता में हैं। सो, सियासी बैटिंग ऐसी होती है कि समर्थक मुस्कुरा देते हैं या तालियां बजा देते हैं। हेल्थकार्ड के शुभारंभ पर बोलने आए तो कुछ परिचित गोलगप्पे खाने चले गए। मंच से ही कहा, भाई, गोलगप्पे बाद में खा लेना। मुझे क्यों छोड़ गए। एक श्रद्धांजलि सभा में गए तो कहने लगे, परिवार के एक सदस्य ने भाजपा में घर वापसी की तो मुखिया को बहुत खुशी हुई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पानीपत पहुंचे थे। स्वागत करने वालों का परिचय कराते हुए, कहने लगे- ये चंदन विज हैं। पहले कांग्रेस के यहां अध्यक्ष हुआ करते थे। वहां मौजूद सभी हैरान रह गए। किसी को इतनी पुरानी बात याद नहीं थी। वैसे, संजय विपक्षियों का किया-धरा भी याद रखते हैं। अवसर आने पर ही चौका लगाते हैं।
इनको राधा चाहिए
हरियाणवी हाजिरजवाबी के लिए मशहूर हैं। वैसे, कई बार यह भारी भी पड़ जाती है। आर्य कालेज में शिक्षक को अंदाजा नहीं था कि उनका ही छात्र, उनके बाउंसर पर हुक शाट लगा देगा। हालांकि, छात्र बाउंड्री पर लपक लिया गया। बस नाम ही कटते-कटते बचा है। अनुशासन बनाए रखने के लिए शिक्षक ने छात्र से कहा, ऐसे किरसन (कृष्ण) बनकर क्यों खड़ा है। किरसन है क्या तू। छात्र ने तुरंत कहा, हां किरसन हूं। राधा दिला दो। उसके साथी इस बात पर हंसने लगे। अब उस छात्र को राधा तो क्या मिलनी थी, प्रिंसिपल के दरबार में हाजिरी जरूर लग गई। उसकी मां को भी बुला लिया गया। इसे राधा चाहिए, पहले वही दिलाओ। फिर कालेज लेकर आना, प्रिंसिपल के इस फरमान से सारी कृष्णगीरी निकल गई। सारा साल कान पकड़कर माफी मांगने की शर्त पर छूट मिली। एक दिन की माफी से भी वैसे काम चल गया।