विश्व हिदी दिवस पर पानीपत में कवि सम्मेलन
डा. जयसिंह आर्य ने कहा थके-थके से दिखते हिदी मां के पांव गूंगा बहरा हो गया निज भाषा का गांव। सिर्फ यहीं कर पाएगी सबका बेड़ा पार हाथों में अब थाम लो हिन्दी की पतवार।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सुप्रसिद्ध छंद शिल्पी डा. स्वामी श्यामानंद सरस्वती की जन्मशती व विश्व हिदी दिवस के मौके पर हिदी को समर्पित सरस कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जो आओ गुनगुना ले गीत समूह के द्वारा ऑनलाइन किया गया। अध्यक्षता राष्ट्रीय गीतकार डा. जयसिंह आर्य ने की की। मुख्यातिथि गीतकार डा. दमयंती शर्मा नोएडा रही। सानिध्य अलका शर्मा का रहा। मनोज अबोध बिजनौर का। संचालन कवि संजय जैन दिल्ली ने किया। संयोजन भारत भूषण वर्मा का रहा। शुभारंभ मां शारदे की वंदना से हुआ। किसने क्या बोला
--डा. जयसिंह आर्य ने कहा थके-थके से दिखते हिदी मां के पांव, गूंगा बहरा हो गया निज भाषा का गांव। सिर्फ यहीं कर पाएगी सबका बेड़ा पार, हाथों में अब थाम लो हिन्दी की पतवार।
--डा. दमयंती शर्मा ने कहा कि देकर भाषा ज्ञान प्राण फूंकती तन में, मातृभाषा है इसका मान बढ़ाओ तो सही। देश को बांधती है एकता की डोरी से, हां सिसकती हुई इस मां को बचाओ तो सही।
--डा. अलका शर्मा नोएडा ने कहा कि उपहास लोकतंत्र का होने नहीं देंगे, नफरत को किसी को भी यहां बोने नहीं देंगे। होती है हानि देश की अक्सर अनीति से, अपराधियों को चैन से सोने नहीं देंगे।
--मनोज अबोध ने कहा कि उन प्रीत राहों का इतिहास नहीं लोटा, संदल सी निगाहों का मधुमास नहीं लोटा। मिलने को तो मिलते हैं जीवन में कई साथी, तुझसे मिलने जैसा अहसास नहीं लोटा।
--संजय जैन ने कहा कि न काजल की बात कर, न बिंदी की बात कर, हम हिद के निवासी बस हिदी के बात कर।
--कवियत्री रजनी श्रीवास्तव दिल्ली ने कहा कि भारत का गौरव है जिससे भारत माता की पहचान। आओ करें हम सब मिल-जुलकर हिदी का सम्मान।
--हरि शुक्ल ने कहा, एक धर्म एक राष्ट्र एक भाषा हो जहां पर, ऐसे प्रिय राष्ट्र की तो सबको ही चाह है। मिलकर मनाए हिदी दिवस समारोह, हिदी को बचाने की अब बची यही राह है।
--कवि भारत भूषण ने कहा, हिद का प्राण है हिदी, मेरा अभिमान है हिदी। भारत मां की वीणा का, गूंजता गान है हिदी।