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पानीपत में कोरोना के कहर ने निमोनिया-एनीमिया सर्वे की प्लानिंग पर फेरा पानी, जानिए कैसे

शून्य से पांच साल आयु के बच्चों की बीमारी से मौत का दूसरा कारण निमोनिया है। वर्ष-2025 तक इसे तीन प्रति हजार तक लाने का लक्ष्य है। सरकार ने सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) अभियान शुरू किया हुआ है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 04:37 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 04:37 PM (IST)
पानीपत में कोरोना के कहर ने निमोनिया-एनीमिया सर्वे की प्लानिंग पर फेरा पानी, जानिए कैसे
सर्वे में आशा वर्कर्स को घरों में दस्तक देकर तलाशने थे मरीज।

पानीपत, जागरण संवाददाता। पानीपत में कोरोना महामारी,स्वास्थ्य विभाग की तमाम योजनाओं पर ब्रेक लगाती रही है। तीसरी लहर ने भी कुछ ऐसा ही किया है।इस बार सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज निमोनिया सक्सेसफुली(सांस)अभियान निमोनिया और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एनीमिया सर्वे पर ब्रेक लग गया है। हालांकि, दोनों सर्वे के लिए ट्रेनिंग प्रकिया शुरू हो चुकी थी। आशा वर्कर्स को घरों में दस्तक देनी थी।दोनों सर्वे कितनी अवधि के लिए स्थगित रहेंगे, अभी बताना स्वास्थ्य विभाग के लिए भी मुश्किल है।

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इसलिए जरूरी है निमाेनिया का सर्वे

शून्य से पांच साल आयु के बच्चों की बीमारी से मौत का दूसरा कारण निमोनिया है। हरियाणा में निमोनिया से मौत की दर तीन प्रति हजार है। वर्ष-2025 तक इसे तीन प्रति हजार तक लाने का लक्ष्य है। सरकार ने सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) अभियान शुरू किया हुआ है। सांस अभियान के दौरान एएनएम के नेतृत्व में आशा वर्कर्स घरों में दस्तक देंगी। शून्य से पांच साल आयु के बच्चों में निमोनिया के लक्षणों को पहचानेंगी। मेडिकल आफिसर के परामर्श से एमोक्सिसिलिन-जेंटामाइसिन की डोज देंगी।जरूरत पड़ने पर मेडिकल आफिसर, बच्चे काे सिविल अस्पताल के लिए रेफर करेंगे। निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों को पीसीवी न्यूमोकोकल कन्जूगेट वैक्सीन (पीसीवी) का टीका लगवाने के लिए अभिभावकों को प्रेरित करना था।

इसलिए जरूरी है एनिमिया का सर्वे

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-पांच) की रिपोर्ट हरियाणा के बच्चों व महिलाओं में खून की कमी काे उजागर कर रही है। स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एनिमिया की जांच, उपचार व बचाव (टेस्ट, ट्रीट एंड टाक यानि टी-थ्री) पर आधारित सर्वे होना था। सीरो सर्वे की तर्ज पर कलस्टर बनाकर एएनएम, लैब टैक्निशियन, आशा वर्कर्स की संयुक्त टीमें रक्त सैंपल एकत्र करती। सर्वे में शून्य से 19 साल के मेल-फीमेल, गर्भवती-स्तनपान कराने वाली महिलाओं के रक्त नमूने लिए जाने थे। रक्त की कमी से जूझ रहे बच्चों-महिलाओं-किशोरियों का सही डाटा एकत्र कर, उन्मूलन की दिशा में कार्ययोजना बनाना था। एनिमिक बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र, व्यस्कों को सीएचसी-पीएचसी भेजा जाना था।

बच्चों में निमोनिया के लक्षण

  • श्वास की गति बहुत तेज हो जाना।
  • बच्चे का दूध नहीं पीना।
  • सुस्त रहना।
  • पसलियों का अंदर तक धंसना।
  • बच्चों में बेचैनी एवं उत्तेजना का बढ़ जाना।

निमोनिया से बच्चों का ऐसे करें बचाव

  • सर्दी से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं।
  • ठंडी हवा से बचाव के लिये कानों को ढकें।
  • पैरों में जुराब पहनाकर रखें।
  • ठंडे पानी से बच्चे को दूर रखे।
  • छह माह तक बच्चे को मां का दूध जरूरी।

एनिमिया के लक्षण

  • कमजोरी, थकान महसूस होना।
  • दिल की धड़कन असामान्य होना।
  • सिरदर्द, श्वास लेने में दिक्कत।
  • चक्कर आना।
  • त्वचा का रंग पीला पड़ना।
  • जीभ और नाखूनों का सफेद होना।
  • चेहरे और पैरों पर सूजन।

एनिमिया मरीजों के लिए सिरप

  • गोली शून्य से पांच वर्ष-आयरन सिरप
  • छह से नौ वर्ष-गुलाबी गोली
  • 10 से 19 वर्ष-नीली गोली
  • गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाएं-लाल गोली
  • पौष्टिक भोजन का सेवन करना।

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