पानीपत में पार्क बदहाल, इनकी ग्रांट से हरे-भरे हो रहे अफसरों और नेताओं के घर
पानीपत नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है। पार्कों के नाम पर ग्रांट तो आ रही है लेकिन खर्च कहां हो रही है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सीएम तक यह बात पहुंच चुकी है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : नगर निगम में आए दिन नए भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो रहा है। अधिकारियों ने पार्कों के सुंदरीकरण के नाम पर लूट मचा रखी है। अधिकारी और कुछ ठेकेदार मिलकर पार्क में बेहतर सुविधा देने के लिए तोड़फोड़ करा देते हैं, लेकिन किसी भी पार्क में मुकम्मल सुंदरीकरण नहीं हो सका है। शहरी विधायक रोहिता रेवड़ी की ओर से शुरू कराए गए एक दर्जन पार्काें का काम अभी अधूरा है। लोग इनके पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। मजबूरी में लोग पत्थरों पर चलकर सैर कर करनी पड़ रही है। यहां बैठने की भी जगह नहीं मिल पा रही है। बार-बार शिकायत करने के बावजूद अधिकारी मौका-मुआयना की भी जहमत नहीं उठा रहे।
सीएम ने खुद कराई जांच
पार्कों और सड़कों भ्रष्टाचार सामने आने पर खुद सीएम मनोहर लाल ने पिछले दिनों शहरी स्थानीय निकाय विभाग के तकनीकी सलाहकार विशाल सेठ को जांच के लिए पानीपत भेजा था। उन्होंने पार्कों और सड़कों का मौका देखकर नगर निगम अधिकारियों की बैठक ली थी। दैनिक जागरण ने शहर की जनता की मांग पर कई पार्कों की पड़ताल की। इनमें से करोड़ों रुपये खर्च किए गए पार्कों की हालात देखकर सब हैरान रह गए।
नंबर-एक : किला पार्क
किला मैदान पर स्थित किला पार्क का शिलान्यास शहर की विधायक रोहिता रेवड़ी ने पिछले वर्ष 24 जनवरी को किया था। इस पर 1.17 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था। काम छह महीने से बंद है। नगर निगम अधिकारी खुद मौका देख चुके हैं, लेकिन काम दोबारा शुरू नहीं करा पाए। ठेकेदार ने 1.17 करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया है। वह अब नगर निगम से राशि बढ़वाने की तैयारी में है। इस पर करीब एक करोड़ रुपये और खर्च हो सकते हैं।
नंबर-2 : राजनगर फाटक पार्क
वार्ड-15 में किशनपुरा चौकी से लेकर राजनगर रेलवे फाटक तक करीब एक किमी. लंबाई में पार्क का टेंडर लगाया था। दो करोड़ के पार्क के छोटे-छोटे कई टेंडर लगाए गए थे। नगर निगम ने 10 महीने पहले ठेकेदार को वर्क ऑर्डर कर दिया गया था। पार्क में ट्रैक बनाकर छोड़ दिया गया। वह भी अब टूटने लगा है। ठेकेदार ने तीन महीने से काम बंद कर रखा है।
नंबर-3 : एमएल वर्मा
पार्क किला मैदान के नजदीक एमएल वर्मा पार्क का 23 जून 2016 को शहर की विधायक रोहिता रेवड़ी ने शिलान्यास किया था। दैनिक जागरण की पड़ताल में काम बंद मिला। चहार दीवारी तोड़कर ईंटें इधर-उधर फेंकी गई थी। शहर की विधायक रोहिता रेवड़ी द्वारा लगाया पत्थर में टूटा पड़ा मिला। पार्क में सैर करना तो दूर ठीक से बैठ भी नहीं पा रहे।
नंबर-4 : पुरानी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी पार्क
ओल्ड हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में पार्क को ठेकेदार ने तीन महीने पहले तोड़ दिया था। पार्क के बीचोंबीच ईंटें पड़ी हैं। ठेकेदार ने गत एक महीने से काम बंद कर रखा है। स्थानीय लोगों को पार्क में जाने से भी डर लगने लगा है। ठेकेदार अब स्थानीय लोगों की सुनवाई तक नहीं कर रहा।
उम्मीद टूट गई
वार्ड-15 के निवर्तमान पार्षद सुरेंद्र गर्ग ने बताया कि पार्क के टेंडर होने पर स्थानीय लोगों की रेल ट्रैक के आसपास गंदगी से मुक्ति मिलने की उम्मीद जग गई थी, लेकिन ठेकेदार ने बीच में ही काम छोड़ दिया। अधिकारी बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। डॉ. प्रवीण ने बताया कि कॉलोनी में एक पार्क मुश्किल से पूरा कराया गया है, जबकि दूसरे का काम अधूरा पड़ा है। इनमें निगम अधिकारी नेताओं के साथ मिलकर कमीशन खा रहे हैं। शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
सीधी बात---रमेश कुमार, एसई, नगर निगम
सवाल : शहर में दर्जनों पार्कों के काम अधूरे पड़े हैं। निगम अधिकारी क्या कर रहे हैं?
जवाब : ठेकेदार को पार्कों का काम दिया गया है। उनको समय पर काम कंपलीट करना है।
सवाल : ठेकेदार को पार्क का काम कितने दिनों में कंपलीट करना होगा, निगम अधिकारी क्या करते हैं?
जवाब : टेंडर में काम कंपलीट करने की तारीख भी दी जाती है। कई बार मौसम या अन्य कारणों के चलते काम समय पर पूरा नहीं हो पाता।
सवाल : निगम की पार्कों का काम समय पर पूरा कराने के लिए क्या ड्यूटी बनती है।
जवाब : जेई और एमई समेत अन्य अधिकारी समय-समय पर मौका देखते हैं। किसी तरह की कमी मिलती है तो उसको दूर कराते हैं।
सवाल : अब पार्कों के लिए आप क्या करेंगे? जवाब : मैं संबंधित अधिकारियों से इनकी रिपोर्ट लेकर ठेकेदारों से बात करुंगा। पार्कों का समय पर काम पूरा कराया जाएगा।