आरपीएफ में तबादलों पर से¨टग का खेल, रद कर बदली सूची
आरपीएफ में तबादलों पर से¨टग का खेल पता चला है। रद कर बदली तबादलों की सूची।
दीपक बहल, अंबाला
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) जवान के भत्तों के बिल की राशि बढ़ाकर जवानों पर मेहरबानी कर रिश्वत वसूलने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा कि अब आरपीएफ में तबादलों की से¨टग का खेल उजागर हुआ है। सीनियर कमांडेंट कमलजोत बराड़ के हस्ताक्षर के बाद निकली तबादला सूची को खुद कमांडेंट को रद कर दूसरी सूची जारी करनी पड़ी। इसमें अधिकारी यहां तक भूल गए कि जिन हेडकांस्टेबल और एएसआइ का पदोन्नति के बाद तबादला किया जा चुका था उनका नाम भी इस सूची में दर्ज कर दिया गया। बाद में हेडकांस्टेबल से लेकर सब-इंस्पेक्टर तक के तबादले की सूची में बदलाव किया गया।
आरपीएफ में कांस्टेबल से सब-इंस्पेक्टर तक के तबादलों का अधिकार सीनियर कमांडेंट के पास होता है। कांस्टेबल से एएसआइ का कार्यकाल पांच साल और सब-इंस्पेक्टर का तीन साल होता है। कार्यकाल पूरा होने पर तबादले के लिए कमेटी बनाई गई जिसकी चेयरमैन खुद सीनियर कमांडेंट रहीं। हालांकि, 9 अप्रैल की तबादला सूची को रद करने का भी आदेश निकाला गया।
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इस तरह हुआ तबादला सूची में खेल
सहारनपुर से सब-इंस्पेक्टर लोकेश कुमार का तबादला संगरूर (पंजाब) आउट पोस्ट पर किया गया था। अगले दिन ही उन्हें डीआरएम कार्यालय स्थित आरपीएफ की डीआइ ब्रांच में लगा दिया गया। इसी प्रकार जगाधरी वर्कशॉप से एसआइ अनूप ¨सह का तबादला पहले क्राइम इन्वेस्टीगेशन ब्रांच (सीआइबी) अंबाला में किया गया और बाद में संगरूर कर दिया गया। इतना ही नहीं जो जवान रिटायर होने वाले हैं उनका तबादला भी दूरदराज क्षेत्र में कर दिया गया, जबकि वे वहां जाने के इच्छुक नहीं थे। हेडकांस्टेबल से
पदोन्नत होकर एएसआइ और एएसआइ से सब-इंस्पेक्टर बनने के बाद जिनका तबादला हो चुका है, उनका भी कार्यकाल पूरा होने से पहले ही फिर से तबादला कर दिया गया। हालांकि, बाद में दूसरी तबादला सूची जारी कर इनका नाम निकाल दिया गया।
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चेक करवा लेते हैं : आइजी
उत्तर रेलवे के आइजी संजय किशोर ने कहा कि तबादला सूची जारी करने के बाद बदलाव किया गया है तो चेक करवा लेते हैं। इसकी जांच भीकरवा ली जाएगी।