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प्लास्टिक वेस्ट और ई-वेस्ट का अब डोर-टू-डोर होगा उठान, कंपनी पैसे भी देगी

नगर निगम ई-वेस्ट उठान के लिए कंपनी को देगी लाइसेंस जिले में योजना सिरे चढ़ता है तो यह दूसरे जिलों में भी लागू होगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 10:15 AM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 10:15 AM (IST)
प्लास्टिक वेस्ट और ई-वेस्ट का अब डोर-टू-डोर होगा उठान, कंपनी पैसे भी देगी
प्लास्टिक वेस्ट और ई-वेस्ट का अब डोर-टू-डोर होगा उठान, कंपनी पैसे भी देगी

जगमहेंद्र सरोहा, पानीपत। शहर में प्लास्टिक वेस्ट और ई-वेस्ट का भी डोर-टू-डोर उठान होगा। नगर निगम एजेंसी को उठान का काम देगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त होने के बाद निगम ने आगे आते हुए इसका टेंडर लगाया है। पानीपत में टेंडर फाइनल होता है तो यह प्रदेश का ई-वेस्ट उठाने वाला दूसरा जिला बन जाएगा। इससे पहले रोहतक में ई-वेस्ट का उठान हो रहा है।

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एनजीटी ने प्लास्टिक वेस्ट और ई-वेस्ट को पर्यावरण प्रदूषण के लिए सबसे खतरनाक बताया है। इसको शुरुआती प्वाइंट पर कंट्रोल करने की जरूरत बताई थी। नगर निगम ने बृहस्पतिवार को प्लास्टिक वेस्ट और ई-वेस्ट का टेंडर लगाया है। यह 30 अगस्त को ऑपन होगा।

कंपनी वेस्ट पर देगी चार्ज

कंपनी को प्लास्टिक वेस्ट का हर रोज उठान करना होगा, जबकि ई-वेस्ट का सप्ताह में उठान होगा। कंपनी इसके लिए घर-घर पहुंचेगी। वे किसी भी उत्पाद का निर्धारित रेट देगी। यह वजन और उसकी स्थिति पर निर्भर होगा। कंपनी इसके साथ नगर निगम को भी चार्ज देगी। इससे निगम की आमदन भी बढ़ेगी। लोगों का इस तरह से ई-वेस्ट न देना कंपनी के सामने चुनौती भी पैदा कर सकता है। निगम अधिकारी इसको रोकने के लिए सख्त कदम भी उठा सकती है।

क्या है ई-कचरा

ई-वेस्ट आईटी कंपनियों से निकलने वाला यह कबाड़ा है, जो तकनीक में आ रहे परिवर्तनों और स्टाइल के कारण निकलता है। जैसे पहले बड़े आकार के कंप्यूटर व मॉनीटर आते थे। उनका स्थान स्लिम और फ्लेट स्क्रीन वाले छोटे मॉनीटरों ने ले लिया है। माउस, की-बोर्ड या अन्य उपकरण चलन से बाहर हो गए हैं। वे सब ई-वेस्ट की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा मोबाइल फोन, टेलीविजन और इलेक्ट्रॉनिक खिलोनों और अन्य उपकरण बेकार होने पर इसी श्रेणी में आते हैं। यह मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है।

छह वर्षों में पांच गुना बढ़ा ई-वेस्ट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2005 में देश में जनित ई-वेस्ट की कुल मात्रा 1।47 लाख मी. टन थी। यह 2012 में बढ़कर लगभग 8 लाख मी. टन हो गई है। यह मात्रा विगत 6 वर्षों में लगभग पांच गुनी हो गई है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है।

गंभीर बीमारी होती हैं

इलेक्ट्रोनिक उपकरणों से लैंड-फिल गैस निलकती है। इन गैसों के संपर्क में आने पर दमा, सांस, त्वचा व एलर्जी रोग लगते हैं। महिलाओं में कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है।

प्लास्टिक और इलेक्ट्रोनिक्स वेस्ट कितना खतरनाक है

इलेक्ट्रॉनिक उपकरण डिस्कार्ड होने की औसत अवधि

मोबाइल टेलीफोन 1 से 3 वर्ष

पर्सनल कंप्यूटर 2 से 3 वर्ष

कैमरा 2 से 3 वर्ष

टेलीविजन और एलसीडी 5 से 8 वर्ष

रेफ्रीजेरेटर 2 से 10 वर्ष

वॉशिग मशीन 5 से 10 वर्ष

आईटी ऐसेसिरिज बहुत जल्दी-जल्दी

पॉलिथिन 10 से 20 वर्ष वर्जन :

प्लास्टिक और ई-वेस्ट उठान के लिए टेंडर लगा दिया है। इसको इसी महीने सिरे चढ़ा दिया जाएगा। प्लास्टिक वेस्ट हर रोज और ई-वेस्ट सप्ताह में एक बार उठाना होगा।

राहुल पुनिया, एक्सईएन, नगर निगम।


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