Police Department से Traffic wing को अलग करने की तैयारी, फाइल सरकार की टेबल पर
Traffic wing को पुलिस महकमे से अलग करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। बताया जा रहा है कि हेडक्वार्टर ने प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है जिसे मंत्रिमंडल में रखा जाएगा।
अंबाला शहर [सुरेश सैनी]। गुरुग्राम व फरीदाबाद के बाद अब प्रदेश के अन्य जिलों में भी Traffic wing को पुलिस महकमे से अलग करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार हेड क्वार्टर ने विंग को अलग करने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है, जिसे मंत्रिमंडल में रखा जाएगा। प्रस्ताव पारित होने के बाद अब कभी इसे अलग करने पर मोहर लग सकती है।
बता दें कि दिसंबर 2014 में पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने जिला पुलिस से Traffic wing को अलग करने के इस संदर्भ में आदेश भी दिए थे। वहीं जनवरी 2015 में पुलिस के उच्च अधिकारियों ने इस बारे में विचार भी किया था, लेकिन कई कारणों के चलते प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई।
Traffic police अलग होने से मजबूत होगी रोड सेफ्टी
यदि जिला पुलिस से Traffic police अलग होगी तो इससे प्रदेश में रोड सेफ्टी काफी कंट्रोल में हो जाएगी। इससे विंग का पूरा कंट्रोल सड़क सुरक्षा पर केंद्रित हो जाएगा। चूंकि गुरुग्राम व फरीदाबाद के बाद प्रदेश के अन्य जिलों की पुलिस Traffic police के साथ मिलकर चालान प्रक्रिया के जिम्मेदारी को निभा रही है। वहीं विंग अलग होने के बाद Traffic police के पास ही चालान काटने की पूरी पावर होगी। इसमें जिला पुलिस का कोई रोल नहीं होगा। वहीं दिनभर में चालान काटने का ब्योरा भी अलग तरह से अपडेट होगा। रोजाना उच्च अधिकारियों को इसका डाटा भेजा जाएगा। इसके अलावा जिस चौक-चौराहे पर चालान की प्रक्रिया चल रही होगी, वहां इंचार्ज के अलावा खुद DSP भी वहां जाकर मुआयना कर सकेंगे।
विंग के अलग होने के बाद अतिरिक्त स्टाफ की होगी जरूरत
हालांकि जिला पुलिस से Traffic wing अलग हो जाएगा। इसके लिए अलग से अतिरिक्त स्टाफ की भी जरूरत पड़ेगी। सूत्रों के अनुसार जिलों में Traffic wing को पूरी तरह अलग करने के बाद करीब 2135 कर्मचारियों की जरूरत बताई गई है। इसमें 3 एसपी, 23 DSP, 56 इंस्पेक्टर, 148 सब इंस्पेक्टर, 386 ASI, 516 हेड कांस्टेबल और 1003 कांस्टेबल शामिल हैं। एक अनुमान के अनुसार मौजूदा समय में प्रदेश में 30,800 पुलिस कर्मचारी, आठ बटालियन में आठ हजार, टेलीकॉम में करीब 1800, GRP में 2200, CID में 3000, विजिलेंस में एक हजार, कमांडों में एक हजार, NHAI में 200, Traffic police में एक हजार, क्राइम में एक हजार, हेड क्वार्टर में 150 कर्मचारी शामिल हैं।
राज्य में 260 DSP
राज्य में करीब 260 से अधिक DSP हैं। इनमें कई के पास पुलिस DSP के अलावा Traffic police का एडिशनल चार्ज भी है। ऐसे में कई बार कोर्ट, अन्य मामलों की इंक्वायरी आदि कार्य में व्यस्तता रहती है। इसके चलते अधिकारी पूरी तरह से Traffic wing पर ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में विभाग से अलग होने पर Traffic wing की पूरी कमान DSP के हाथ में हो जाएगी। इससे उन्हें भी काफी राहत मिलेगी तथा DSP का पूरा भार केवल ट्रैफिक पर ही होगा।
Traffic wing अलग हो जाए तो काफी राहत मिलेगी
Traffic wing के एडिशनल DSP मुनीष सहगल का कहना है कि यदि Traffic wing अलग हो जाए तो काफी राहत मिलेगी। हालांकि इसके लिए अतिरिक्त स्टाफ की जरूरत होगी। लेकिन अलग होने पर Traffic police का पूरी तरह से रोड सेफ्टी पर ध्यान होगा, क्योंकि चालान जैसी प्रक्रिया में जिला पुलिस का भी काफी योगदान रहता है ऐसे में उनकी भी इस कार्य में काफी व्यस्तता रहती है।
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