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अंबाला में शारीरिक शोषण की गुमनाम चिट्ठी ने पानीपत तक उड़ाए होश

शारीरिक शोषण करने की गुमनाम चिट्ठी से जहां अंबाला नगर निगम में हड़कंप है वहीं पानीपत तक इसकी आंच पहुंच गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 02:11 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 02:11 PM (IST)
अंबाला में शारीरिक शोषण की गुमनाम चिट्ठी ने पानीपत तक उड़ाए होश
अंबाला में शारीरिक शोषण की गुमनाम चिट्ठी ने पानीपत तक उड़ाए होश

जागरण संवाददाता, पानीपत : शारीरिक शोषण करने की गुमनाम चिट्ठी से जहां अंबाला नगर निगम में हड़कंप मचा है, वहीं पानीपत निगम तक इसकी आंच पहुंच गई है। दरअसल, निगम के अधिकारियों का कहना है कि यहां पर ऐसा हुआ तो वे क्या करेंगे। अंबाला में रहे निगम के एक बड़े अफसर के खिलाफ हरासमेंट की शिकायत आने के बाद निगम अधिकारी बचाव में उतर आए हैं। इस अधिकारी का बचाव करते हुए अफसरों ने एक लेटर तैयार करवाया और उस पर निगम में कार्यरत उन महिलाओं के हस्ताक्षर करवा लिए हैं जोकि अकसर विभिन्न कारणों से इस अफसर के पास जाती थी। इन सभी ने लिखकर दे दिया है कि इस अफसर ने उनसे कभी ऐसा कोई व्यवहार नहीं किया। न ही कोई ऐसी हरकत की।

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दरअसल 25 अगस्त के करीब पुलिस को एक शिकायत प्राप्त हुई। चिट्ठी में लिखा गया था कि निगम का बड़ा अफसर उसका शारीरिक शोषण कर रहा है। इतना ही नहीं उस पर दबाव भी बनाया जा रहा है। नगर निगम अंबाला शहर में इसी गुमनाम चिट्ठी की जांच करते हुए दुर्गावाहिनी में टीम ने भी दस्तक की। इस टीम ने अधिकारी के बारे में पूछताछ की। इतना ही नहीं अधिकारी से भी इस बारे में पूछताछ हुई। उनसे पूछा गया कि क्या आपके खिलाफ पहले भी कभी शिकायत आई है। इस पर अफसर ने इन्कार कर दिया। बताया जा रहा है कि कई महिला कर्मियों से भी पूछताछ हुई। कर्मियों ने भी इंकार कर दिया। इसके बाद इस चिट्ठी को हासिल करने का प्रयास नगर निगम के लीगल एडवाइजर ने भी किया। पुलिस ने यह चिट्ठी किसी को भी देने से मना कर दिया। पुलिस ने कहा कि जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत आई है केवल वही इसे देख सकता है कि इसमें क्या-क्या लिखा है।

दो महिलाओं पर शक की सूई : नगर निगम में कार्यरत दो महिलाओं पर शक की सूई घूम रही है। बताया जा रहा है कि इन अस्थाई महिला कर्मियों के आने-जाने का कोई टाइम नहीं है। यह मर्जी से निगम में आती हैं और मर्जी से जाती हैं। घंटों लेट आना और समय से पहले ड्यूटी खत्म करना इनका रूटीन है।

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करवाई जानी चाहिए थी निष्पक्ष जांच

शिकायत के बावजूद पूरे मामले की लीपापोती हो गई। क्योंकि शिकायतकर्ता ने पत्र में कोई नाम नहीं लिखा था। लेकिन गुमनाम लेटर पर भी जांच निष्पक्ष होनी चाहिए थी। जिसके खिलाफ शिकायत थी उससे पूछताछ से पहले महिला कर्मियों से अलग-अलग गुपचुप तरीके से बातचीत होनी चाहिए थी या फिर किसी निष्पक्ष कमेटी से इस मामले की जांच करवाई जानी चाहिए थी।

हमारे पास एक गुमनाम चिट्ठी आई थी। क्योंकि इसमें किसी अधिकारी का नाम नहीं था इसीलिए शिकायतकर्ता से भी पूरी डिटेल भी नहीं मिल सकी। हालांकि हमने आरोपित अफसर से पूछताछ कर ली थी। साथ ही महिला कर्मियों से भी पूछताछ कर ली है। सभी ने ऐसी बात होने से इंकार किया है।

सुनीता ढाका, एसएचओ, महिला थाना।


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