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किलोमीटर स्कीम की बसें अभी भी लॉक, चालकों और संचालकों के सामने रोजी रोटी का संकट

किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों के चालकों और संचालकों के सामने रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है। लॉकडाउन के बाद से किलोमीटर स्कीम की बसें खड़ी हैं। अभी तक इन बसों को चलाए जाने की परमिशन नहीं आई हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 04:37 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 04:37 PM (IST)
किलोमीटर स्कीम की बसें अभी भी लॉक, चालकों और संचालकों के सामने रोजी रोटी का संकट
किलोमीटर स्‍कीम की बसें अभी तक नही चल रहीं।

जींद, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए लगाए गए लाकडाउन में काफी ज्यादा ढील मिल रही है। बावजूद रोडवेज के बेड़े में शामिल किलोमीटर स्कीम की बसों को चलाने के निर्देश अभी तक नहीं मिल पाए हैं। पिछले 40 दिनों से स्कीम की इन बसों के बंद खड़ी रहने से जहां दर्जनों चालकों के लिए रोजी का संकट खड़ा हो रहा है तो संचालकों के लिए किस्त भरने में दिक्कतें आ रही हैं। बस संचालकों ने मांग की है कि कुछ लंबे रूट खोल दिए गए हैं, इसलिए स्कीम की इन बसों को चलाने की भी अनुमति दी जाए।

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तीन मई को जब लाकडाउन लगा था तो किलोमीटर स्कीम की बसों के पहिए थम गए थे। कुछ रोडवेज बसें चल रही थी, ताकि इमरजेंसी में इधर-उधर जाने वाले यात्रियों को परेशानी नहीं आए। अब तीसरी बार बढ़ाए गए लाकडाउन सरकार ने विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ दुकानदारों को भी ईवन-ओड नंबर के जरिए दुकानें खोलने के निर्देश दिए हैं तो 50 फीसद कैपेसिटी के हिसाब से बसें चल रही हैं। प्राइवेट बसें भी विभिन्न रूटों पर जा रही हैं लेकिन किलोमीटर स्कीम की बसें अभी तक नहीं चल पाई हैं। प्राइवेट बस एसोसिएशन के प्रधान सुनील श्योराण कहा कहना है कि रोडवेज की बसें गुरुग्राम से लेकर चंडीगढ़ और लुधियाना तथा पटियाला की तरफ जा रही हैं लेकिन स्कीम की बसों को अभी तक चलाने की अनुमति नहीं मिल पाई है। पिछले डेढ़ महीने से यह बसें डिपो में खड़ी धूल फांक रही हैं।

चालकों के रोजगार पर संकट

किलोमीटर स्कीम की बसों पर चालक प्राइवेट होता है और परिचालक रोडवेज का होता है। जींद डिपो में स्कीम की 22 बसें चल रही हैं, जिन पर 26 चालक ड्यूटी कर रहे हैं। यूं तो इन चालकों का वेतन 18 हजार रुपये निर्धारित किया गया है लेकिन लाकडाउन के कारण बस संचालक पूरा वेतन देने में असमर्थ हैं, इसलिए चालकों के सामने रोजी का संकट खड़ा हुआ है। उधर बस संचालकों को भी दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि बसें तो बंद हैं लेकिन इन बसों की किस्त चालू हैं। हर महीने हजारों रुपये की किस्त संचालक भर रहे हैं लेकिन बसें बंद रहने से आमदनी शून्य है। इससे पहले भी कोरोना के कारण लगे संपूर्ण लाकडाउन में एक साल तक स्कीम की बसें आनरूट नहीं हो पाई थी।

बसें चलाने के आदेश मुख्यालय से आएंगे : टीएम

जींद डिपो के ट्रैफिक मैनेजर वीरेंद्र सिंह धनखड़ ने कहा कि किलोमीटर स्कीम की बसें चलाने के आदेश मुख्यालय से आएंगे। प्रदेश भर में कहीं भी किलोमीटर स्कीम की बस नहीं चल पा रही। जैसे ही आदेश आएंगे, बसें चलाने की अनुमति दे दी जाएगी।


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