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Panipat LockDown: 18 घंटे पैदल चले, पुलिस से बच पानीपत पहुंचे

लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्‍यों और शहरों के लोगों को प्रशासन ने सहारा दिया है। कई लोग कई घंटे पैदल सफर करते हुए पानीपत पहुंचे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 09:36 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 01:45 PM (IST)
Panipat LockDown: 18 घंटे पैदल चले, पुलिस से बच पानीपत पहुंचे
Panipat LockDown: 18 घंटे पैदल चले, पुलिस से बच पानीपत पहुंचे

पानीपत, जेएनएन। दूसरे राज्‍यों और शहरों के लोगों को सहारा तो मिल गया, लेकिन दूर रह रहे अपनों और अपने परिवार की चिंता उन्‍हें हर पल सता रही है। कुछ ऐसे ही लोग 18 घंटे तक पैदल चलते पुलिस से बचते पानीपत पहुंचे। 

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उप्र के आजमगढ़ के रणविजय, हरिहर, संजय, हरीलाल, रविंद्र और राजपत ने बताया कि वे 19 लोग हैं और असंध में घरों में टाइल लगाने का काम करते हैं। वहीं पर किराये पर रह रहे थे। खाद्य सामग्री नहीं रही। रुपये भी नहीं बचे थे। कई लोगों ने कहा कि पानीपत से उत्तर प्रदेश की ओर बसें जा रही हैं। वे 18 घंटे पैदल चले। कई जगह उन्हें पुलिस ने रोका और वापस भेजा। वे खेतों के रास्ते पानीपत पहुंचे। यहां बस नहीं मिली और अब स्कूल में ठहरे हैं।

पानीपत में लॉकडाउन है। प्रशासन ने आदेश दे रखे हैं कि फैक्ट्री और अन्य कोई भी व्यवसायी श्रमिकों को अपने प्रदेश जाने के लिए न कहें। उनके खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था करें। इन निर्देशों की कई व्यवसायी परवाह नहीं कर रहे। वे श्रमिकों को यह कहकर भेज रहे हैं कि पानीपत से उनके प्रदेश की बस मिल जाएगी। यहां रहेंगे तो समस्या होगी। ऐसा करके वे अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। श्रमिक सड़कों पर बदहवास घूम रहे हैं। ऐसे ही एक महिला और 43 पुरुष श्रमिकों को मॉडल टाउन स्थित डॉ. एमकेके स्कूल में ठहराया गया है। इनमें रायबरेली के रामांचल, रामविलास, आंबेडकर नगर के कमलेश और पप्पू शामिल हैं।

मध्यप्रदेश के रीवा निवासी संतोष, बबलू, साकेत, छोटे, राजमणी और बबलू की पत्नी रीता ने बताया कि वे तीन साल से दरियापुर गांव में हैचरी में काम कर रहे थे। उनके पास खाद्य सामग्री खत्म हो गई थी। सोमवार रात को हैचरी मालिक उन्हें कार से मतलौडा लाया और बोला कि यहां से किसी वाहन से पानीपत चले जाना। वहां से मध्यप्रदेश की बस मिल जाएगी। वाहन मिला तो पैदल चले और सुबह दिल्ली पैरलर नहर के पास पुलिस ने रोक लिया। फिर स्कूल छोड़ दिया। वे परेशान हो गए हैं। उन्हें खाना मिल जाता तो वे हैचरी पर सही से रहते।

भापरा राजकीय मॉडल सीसे स्कूल स्थित शेल्टर होम में 123 लोग ठहरे हैं। ये पंजाब सहित हरियाणा के विभिन्न जगहों से पैदल, बाइक और रिक्शा से घर लौट रहे थे। प्रशासन ने रोकने के बाद इन्हें यहां ठहराया है, जिनमें अधिकतर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के हैं। सामाजिक संस्था और प्रशासन की ओर से इन्हें दोनों वक्त रोटी दी जा रही है। सभी स्कूल के लंबे-चौड़े सभागार में रुके हैं। सभागार में रोशनी, पंखे सहित अन्य चीजों की सुविधा पहले से है। पीने के पानी के लिए टैंकर मंगवा दिया है। पुलिस के तीन जवान इनकी सुरक्षा में हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की इन पर मॉनिटरिंग है। इनकी देखरेख का जिम्मा संभाल रहे स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक साहब सिंह रंगा ने बताया कि शेल्टर होम में महिला, युवक, बच्चे और बुजुर्ग हर तरह के लोग हैं। फिलहाल किसी को कोई परेशानी नहीं है। उप्र के एटा निवासी अजय और एमपी के ग्वालियर निवासी सत्ता ने बताया कि वे दो दिनों से हैं। उन्हें सही भोजन मिल रहा है। कोई परेशानी नहीं है।

शेल्टर होम का किया निरीक्षण

डीसी हेमा शर्मा और एसपी मनीषा चौधरी ने मंगलवार को स्थानीय काबड़ी रोड, अजरुन नगर, असंध रोड पर पुल के नीचे रह रहे घुमंतू जाति के लोगों से खाद्य सामग्री उपलब्ध होने और खाने के बारे में बात की। इसके अलावा उन्होंने जीटी रोड स्थित पेटुनिया ग्रीन में बने शेल्टर होम का निरीक्षण भी किया।

सुविधाएं बेहतर, पर नहीं भूल पा रहे परिवार की फिक्र। ये कहना है ऊना, हिप्र के लगभग 25 साल के साहिल का। बीमार पत्नी अंतरा देवी से मिलने की लालसा उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी, लेकिन बाहर पहरा दे रही पुलिस के आदेशों की भी तो अवमानना नहीं कर सकता है। साहिल ने बताया कि वह राजस्थान में हिमाचल के ही रोहित कुमार, कर्ण गौतम और मनोज कुमार के साथ जेसीबी मशीन चलाता है। लॉकडाउन की घोषणा होते ही ठेकेदार ने काम पूरी तरह से बंद कर दिया। दो-तीन दिन में खानपान का सामान खत्म हुआ तो दोस्तों संग गांव लौटने का फैसला लिया। किसी प्राइवेट बस में सफर करके 28 मार्च को पानीपत पहुंचा। वे आगे का सफर पैदल तय कर रहे थे कि पुलिसकर्मियों ने पकड़ कर रोड धर्मशाला में बने अस्थायी केंद्र में छोड़ दिया। यहां मिल रहा नाश्ता, दोपहर और रात का खाना सफर में मिले खाने से काफी अच्छा है। कर्मचारी सैनिटाइजर से सफाई करते हैं।

इसराना के स्कूल में ठहराया पैसे भी खत्म हो चुके

जिला प्रशासन ने सोमवार को इसराना क्षेत्र में सरकारी स्कूल डाहर और नौल्था में शेल्टर होम बना दिया है। डाहर स्कूल में 12 मजदूरों को ठहराया गया है। रामबिलास, गोपी, मुरारी, केशव, श्याम सुंदर, विरेंद्र, सतीश, दीवान, राजेश, भूपेंद्र और नरेंद्र ने बताया कि हम सभी लुधियाना में पत्थर लगाने का काम करते हैं। लॉक डाउन के चलते वहां काम बंद हो गए। हमारे पास जितने पैसे थे, वे खत्म हो गए थे। ठेकेदार हमें छोड़ घर भाग गया। भुखमरी आ गई। गोलपुर जिला राजस्थान के रहने वाले हैं। दो दिन पहले चले थे। आज सुबह डाहर हाईवे पर पहुंचे। जहां पुलिस ने रोक लिया और यहां ले आए।

47 लोग ठहरे राजकीय स्कूल उग्राखेड़ी में

सनौली रोड पर स्थित राजकीय स्कूल उग्राखेड़ी में 47 लोग ठहरे हैं। रोहतक से पैदल बिजनौर जा रहे मजदूरों को प्रशासन ने ठहराया है। पटवारी बलबीर सिंह व सरपंच बिजेंद्र सिंह ने बताया कि बिजनौर, संभलपुर और बागपत के रहने वाले हैं।


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