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सिविल अस्पताल में 120 मरीजों की शुगर जांच, 35 पॉजिटिव

सिविल अस्पताल स्थित नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज (एनसीडी) क्लीनिक में विश्व मधुमेह दिवस पर बुधवार को विशेष शिविर लगाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 01:58 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 02:48 PM (IST)
सिविल अस्पताल में 120 मरीजों की शुगर जांच, 35 पॉजिटिव
सिविल अस्पताल में 120 मरीजों की शुगर जांच, 35 पॉजिटिव

जागरण संवाददाता, पानीपत : सिविल अस्पताल स्थित नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज (एनसीडी) क्लीनिक में विश्व मधुमेह दिवस पर बुधवार को विशेष शिविर लगाया गया। कैंप में कुल 120 मरीजों की जांच की गई, इनमें 35 मरीजों के रक्त में शुगर का लेवल 200 से अधिक मिला। सिविल सर्जन डॉ. डीएन बागड़ी ने कैंप का निरीक्षण भी किया।

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एनसीडी क्लीनिक की डॉक्टर सोनिका ने बताया कि इस बार की थीम परिवार और डायबिटीज है। थीम का उद्देश्य जनमानस को स्वस्थ नेचुरल खानपान, स्वच्छ वातावरण में रहन-सहन और शुगर न हो इसकी जानकारी देना है। सोमवार को जांच के लिए आए मरीजों में लगभग 80 मेल और बाकी फीमेल मरीज थे। पॉजिटिव मरीजों की संख्या फिफ्टी-फिफ्टी रही। उन्होंने मरीजों को खानपान, दिनचर्या और रहन सहन में सुधार की सीख दी। मरीजों को बताया गया कि रेंडम जांच में शुगर लेवल 120 तक रहना चाहिए।

डॉ. अमित ने बताया कि एचबी ए-वन टेस्ट के लिए सरकार की गाइड लाइन आ चुकी है। अभी मरीजों को यह टेस्ट प्राइवेट लैब में कराना पड़ता है। मशीनें मिलने पर सिविल अस्पताल में फ्री सुविधा मिलेगी। शुगर मात्रा अधिक रहने से रेटिना पर असर

रक्त में शुगर लेवल लगातार अधिक बना रहने से आंखों के रेटिना पर प्रतिकूल असर पड़ता है। किडनी फेल होने का डर बना रहता है। यूरिन में प्रोटीन आने लगता है। नसों और हार्ट के लिए भी नुकसानदेह है। शुगर लेवल ज्यादा रहने से इंफेक्शन का खतरा रहता है, घाव आसानी से ठीक नहीं होते। एचबी ए-वन टेस्ट है जरूरी

शुगर का लेवल घटता-बढ़ता है तो दवा या इंसुलिन की सही डोज फिक्स करना जरूरी है। एचबी ए-वन टेस्ट से ग्लाकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का पता चलता है। इस जांच से तीन माह का शुगर लेवल एक साथ पता चल जाता है। औसतन लेवल पता चलने से दवा और इंसुलिन की डोज फिक्स कर दी जाती है।


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