Move to Jagran APP

मेडिकल कालेज ब्‍लड बैंक का फरमान, प्लेटलेट्स चाहिए तो डोनर लेकर आओ

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज स्थित ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स देने से पहले मांगते हैं डोनर। लोगों को मजबूरन बाहर से 11 से 14 हजार रुपये करने पड़ रहे हैं खर्च। तिमारदारों को ब्लड बैंक से नहीं मिल रहे प्लेटलेटस।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 11:25 AM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 11:25 AM (IST)
मेडिकल कालेज ब्‍लड बैंक का फरमान, प्लेटलेट्स चाहिए तो डोनर लेकर आओ
मरीजों के लिए प्‍लेटलेट्स को लेकर स्‍वजन को भटकना पड़ रहा।

करनाल, जागरण संवाददाता। करनाल में डेंगू ने कोहराम मचाया हुआ है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक 36 केस सामने आ चुके हैं, लेकिन हकीकत में यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है, क्योंकि प्राइवेट अस्पताल कार्ड टेस्ट कर डेंगू के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्लेटलेटस मरीजों की जान बचाने के लिए एक बहुत बड़ा साधन है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज हो या फिर नागरिक अस्पताल यहां पर गरीब लोगों को निशुल्क प्लेटलेटस उपलब्ध कराए जाते हैं। सामान्य मरीज को आठ हजार रुपये जंबो पैक के खर्चने पड़ते हैं। लेकिन केसीजीएमसी में मरीजों के तिमारदार प्लेटलेटस के लिए जाते हैं तो उनके सामने एक कंडीशन रख दी जाती है कि वह डोनर लेकर आएं। यह सुनते ही उनके हाथ पांव फूल जाते हैं। उनको प्राइवेट ब्लड बैंक में जाने पर विवश किया जाता है। यहां पर उनको 11 से 14 हजार रुपये प्लेटलेटस के लिए खर्च करने पड़ते हैं।

loksabha election banner

मेडिकल कालेज में क्या है व्यवस्था

इस समय कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक में ब्लड से प्लेटलेटस को अलग करने की दो मशीनें हैं, लेकिन लोगों की जरूरत के मुताबिक प्लेटलेटस मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। यह भी नहीं है कि मशीने या स्टाफ कम है, मशीनों का सदुपयोग जरूरत के अनुसार किया जाए तो आसानी से प्लेटलेटस की पूर्ति की जा सकती है, लेकिन ऐसा नही हो रहा है। मेडिकल कालेज प्रबंधन का तर्क है कि वह ज्यादा प्लेटलेटस नहीं रख सकते क्योंकि उनकी लाइफ कम है।

बढ़ी प्लेटलेटस की डिमांड, संसाधन हैं, लेकिन पूर्ति नहीं कर रहे

जिले में बढ़े डेंगू के केसों के कारण अचानक प्लेटलेटस की डिमांड बहुत अधिक बढ़ गई है। तिमारदार अपने मरीजों का जीवन बचाने के लिए दौड़ रहे हैं, लेकिन सरकारी व्यवस्था ऐसी है कि बदलने को तैयार ही नहीं है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज में प्लेटलेटस की पूर्ति के लिए संसाधन तो पूरे हैं, लेकिन इसके बावजूद प्लेटलेटस की पूर्ति नहीं हो पा रही है। कोई भी तिमारदार प्लेटलेटस डिमांड करता है तो डोनर पहले लेकर आने को कहता है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या ब्लड की कमी है। यदि नहीं है तो ऐसी शर्त क्यों रखी जा रही है। यदि पूरी ईमानदारी के साथ काम किया जाए तो प्लेटलेटस की डिमांड आसानी से पूरी हो सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.