कुश्ती में चमका पानीपत का ये सितारा, सुशील कुमार से भी लगाता है तगड़ा दांव
पानीपत के सागर जागलान कुश्ती में भारत की नई उम्मीद बनकर उभरे हैं। सागर के दमदार खेल से कुश्ती के धुरंधर भी हैरान हैं। उसे आगामी ओलिंपिक में पदक का दावेदार मान रहे हैं। जिस भारवर्ग में सुशील कुमार खेलते थे उसी में अब सागर खेलते नजर आएंगे।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। फ्री स्टाइल कुश्ती में देश में सबसे ज्यादा तगड़ा मुकाबला सीनियर नेशनल के 74 किलोग्राम में माना जाता है। इसी वजन में दो बार के ओलिंपिक पदक विजेता सुशील कुमार दावेदारी पेश करते थे। अब इस वजन में देश को नया सितारा राजनगर का सागर जागलान मिला है। सब जूनियर के विश्व विजेता महज 17 वर्षीय सागर ने 10 से 12 जनवरी को उत्तर प्रदेश के गोंडा में हुई सीनियर नेशनल रैंकिंग कुश्ती चैंपियनशिप में अविश्वनीय प्रदर्शन किया। उन्होंने देश के विख्यात पहलवान सेना के कर्ण, संदीप, दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम के संजय व दीपक सहित पांच अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को पटखनी देकर स्वर्ण पदक जीता।
ओलिंपिक में पदक के दावेदार
सागर के इस दमदार प्रदर्शन से कुश्ती के धुरंधर भी हैरान हैं। उसे आगामी ओलिंपिक में पदक का दावेदार मान रहे हैं। पूर्व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच प्रेम सिंह आंतिल का कहना है कि सागर कुश्ती के अंतिम समय तक हार नहीं मानता है। यही उसे अन्य पहलवानों से अलग करता है। वह ओलिंपिक में पदक जीत सकता है। सागर ने दैनिक जागरण को बताया कि उसका अगला लक्ष्य 2022 में ही होने वाले कामनवेल्थ व एशियन गेम्स में पदक जीतना है।
हर रोज तीन सेशन में अभ्यास, 1200 उठक-बैठक, 100 बार रस्सा चढ़ता है।
रोजाना करता है 1000 उठक-बैठक
सागर के कोच सोनीपत के खरखौदा स्थित बाबा भोला दास अखाड़ा संचालक अश्विनी दहिया ने दैनिक जागरण को बताया कि सागर उनके पास आठ साल से अभ्यास करता है। 1 अक्टूबर 2021 से सागर हर रोज तीन सेशन में अभ्यास करता है। सुबह चार बजे उठकर 1000 उठक-बैठक, 100 बार रस्सा चढ़ता है। दूसरे सेशन में सुबह 6:30 बजे तकनीक और वेट ट्रेनिंग करता है। तीसरे सेशन में शाम को चार बजे तकनीक के अलावा 200 उठक-बैठक और 50 बार रस्सा चढ़ता है।
फितले दांव लगाने में है माहिर, विरोध को थका देता है
सागर का स्टैमिना काफी है। वह लगातर छह मिनट तक बिना थके कुश्ती करता है। विरोधी पर प्वाइंट की बढ़त बनाने के बावजूद और ज्यादा प्वाइंट लेने का प्रयास करता है। विरोध को थकाकर मुकाबला जीतता है। फिलते दांव लगाने में माहिर है। इसी दांव के बूत वह सब जूनियर में भी विश्व चैंपियन बच चुका है।
मोबाइल फोन का नहीं करता इस्तेमाल, साल में तीन बार आता है घर
सागर के पिता मुकेश जागलान ने बताया कि अखाड़े में पहलवान को मोबाइल रखने की अनुमति नहीं है। सागर सागर मोबाइल का इस्तेमाल ही नहीं करता है। बात करती होती है तो कोच के फोन पर संपर्क करना पड़ता है। सागर साल में तो दिन बार ही घर आता है। अखाड़े के बिना उसका मन नहीं लगता है।
सागर की सफलता
-सब जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।
-सब जूनियर एशियन कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण।
-दो बार भारत कुमार का खिताब जीता।
-तीन बार हरियाणा कुमार बना।