पानीपत निगम का चौंकाने वाला चुनाव...जिनके नाम की चर्चा थी, उन्हीं से करवा दी इन नामों की घोषणा
सर्वसम्मति से दुष्यंत भट्ट को सीनियर डिप्टी मेयर रवींद्र फुले को डिप्टी मेयर चुना गया। विश्राम गृह में बंद कमरे में परिवहन मंत्री के साथ एक घंटे तक हुआ मंथन। मंत्री ने सभी पार्षदों को बताई संगठन की अहमियत फिर चुनाव के लिए सभी निकले।
पानीपत, जेएनएन। नगर निगम की सियासत में एक चौंकाने वाला अध्याय और जुड़ गया। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में जिन दो नामों लोकेश नांगरू, अशोक कटारिया की सबसे ज्यादा चर्चा थी, उन्हें मौका नहीं मिला। वार्ड 25 के पार्षद दुष्यंत भट्ट को सीनियर डिप्टी मेयर और वार्ड 6 के पार्षद रवींद्र फुले को सर्वसम्मति से डिप्टी मेयर चुन लिया गया।
हैरत की बात ये रही कि नांगरू और कटारिया से ही इनके नाम का प्रस्ताव रखवाया गया। चूंकि सभी 26 पार्षद भाजपा के थे, इसलिए विरोध नहीं हुआ। जो नाम संगठन ने सीलबंद लिफाफे में भेजे, उन पर मुहर लग गई। दस मिनट के अंदर-अंदर चुनाव संपन्न हो गया।
ऊपरी तौर पर इसे संगठन का फैसला बताने वाले लोकेश नांगरू और अशोक कटारिया निराशा के भाव से लौटे। नांगरू के मित्र तो इतने आश्वस्त थे कि फूल लेकर पहुंचे गए थे। पर ये फूल उन्हें दे नहीं सके। चुनाव निगम आयुक्त डा. मनोज कुमार व ज्वाइंट कमिश्नर अनुपमा मलिक की देखरेख में हुआ। पार्टी संगठन की तरफ से जिम्मेदारी परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा व करनाल लोकसभा क्षेत्र से सांसद संजय भाटिया को मिली थी।
बंद कमरे में मंथन
दोनों पद के चुनाव कराने के लिए परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा मंगलवार को पानीपत पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह पहुंचे। दोपहर 1 बजकर 10 मिनट पर उन्होंने सांसद संजय भाटिया, पूर्व मंत्री कृष्ण पंवार, शहर के विधायक प्रमोद विज, ग्रामीण विधायक महीपाल ढांडा व पार्टी की जिलाध्यक्ष डा. अर्चना गुप्ता के साथ बंद कमरे में घंटे भर तक मंथन किया। वहां से निकल मंत्री ने अगले कमरे में बैठे पार्षदों को संगठन की अहमियत का पाठ पढ़ाया।
मंत्री ने पढ़ाया संगठन का पाठ
परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने चुनाव से पहले सभी पार्षदों को संगठन का पाठ पढ़ाया। शर्मा ने कहा कि संगठन से बड़ा कोई नहीं है। पार्षद, सीएम से लेकर पीएम तक संगठन की ही देन हैं। भाजपा विश्व की सबसे बड़े संगठन वाली पार्टी है। इसलिए संगठन से हटकर किसी को भी काम नहीं करना चाहिए। जो एक बार संगठन से हटकर कुछ कर जाता है, उसे जिंदगी भर पछताना पड़ता है। मुझे संगठन ने ये बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। संगठन ने ही लिफाफे नाम सील करके दिए हैं।
आस लेकर आए, मायूस होकर लौटे
सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद पर चुने जाने को लेकर कई पार्षद हर तरह से समीकरण का हिसाब किताब लगा चुने जाने की आस लेकर आए थे। लेकिन उनको मायूस चेहरे के साथ लौटते देखा गया। इतना ही नहीं, बल्कि एक महिला पार्षद की आंखों से तो आंसू तक छलक आए। वो न चुने जाने का दर्द लेकर सबसे पहले वहां से निकल गईं। इसी तरह कई अन्य पार्षद भी मुरझाए चेहरे के साथ लौटते दिखे। हालांकि पार्टी की तरफ से सर्वसम्मति से चुनाव कराकर संगठित दिखाने की पूरी कोशिश की।