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ढाई माह में 17 निजी अस्पताल बना सके मात्र 1450 गोल्ड कार्ड

प्रधानमंत्री आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) 2018 सरकारी अस्पतालों में तो परवान चढ़ी लेकिन पानीपत में योजना को लेकर उदासीनता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 11:22 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 11:22 PM (IST)
ढाई माह में 17 निजी अस्पताल बना सके मात्र 1450 गोल्ड कार्ड
ढाई माह में 17 निजी अस्पताल बना सके मात्र 1450 गोल्ड कार्ड

राज ¨सह, पानीपत

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प्रधानमंत्री आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) 2018 सरकारी अस्पतालों में तो परवान चढ़ रही है, निजी अस्पताल क्लेम फाइल करने तक सिमट गए हैं। जिले में 75 हजार 392 पात्रों के गोल्ड कार्ड बनने हैं। निजी अस्पतालों की सुस्ती के कारण ढाई माह में मात्र 8 हजार के कार्ड बन सके हैं। इनमें 6 हजार 550 कार्ड सिविल अस्पताल और समालखा सीएचसी में बनाए गए हैं। ईएसआइ के अलावा जिले के तीन बड़े प्राइवेट अस्पताल अपने यहां गोल्ड कार्ड बनाने के लिए बायोमेट्रिक मशीन तक नहीं लगा सके हैं।

गौरतलब है कि सिविल अस्पताल में 23 सितंबर को योजना का शुभारंभ किया गया था। योजना में सिविल अस्पताल, सिवाह सीएचसी और ईएसआइ अस्पताल के अलावा 16 प्राइवेट अस्पतालों को भी पैनल पर लिया गया है। शहरी क्षेत्र में 37 हजार 892 और देहात क्षेत्र में 37 हजार 500 पात्रों को योजना का लाभ मिलना है। योजना का लाभ उठाने के लिए पात्रों को गोल्ड कार्ड बनवाना होगा। सिविल अस्पताल में मात्र 4 हजार 758 और समालखा सीएचसी में 1792 पात्रों के गोल्ड कार्ड बने हैं। बाकी 16 अस्पताल मिलकर 1450 कार्ड तक सिमट गए हैं। गोल्ड कार्ड बनाने की प्रक्रिया इस स्पीड से चली तो 75 हजार 392 पात्रों के गोल्ड कार्ड बनने में कई वर्ष लगने तय हैं।

चौंकाने वाला पहलू यह कि जिले में योजना लागू होने के ढ़ाई माह बाद प्रेम अस्पताल, सिग्नस महाराजा अग्रसेन अस्पताल और पार्क अस्पताल में बायोमेट्रिक मशीन तक नहीं लग सकी है। नतीजा, यहां एक भी पात्र का गोल्ड कार्ड नहीं बन सका है।

73 पात्रों ने उठाया लाभ

योजना शुरू होने से लेकर अब तक जिले में 73 पात्र सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में निश्शुल्क इलाज करा चुके हैं। अस्पतालों ने 9 लाख 84 हजार रुपये का मेडिकल क्लेम भेजा है। पहले एक कमेटी बिलों और मरीज को दिए गए उपचार की जांच करेगी। इसके बाद ही बिल पास हो सकेंगे। प्रेम अस्पताल, पार्क अस्पताल, महाराजा अग्रसेन अस्पताल, आइबीएम अस्पताल और एपेक्स अस्पताल में सबसे ज्यादा मरीजों ने इलाज कराया है।

ईएसआइ अस्पताल सबसे फिसड्डी :

आयुष्मान भारत योजना में ईएसआइ अस्पताल को भी पैनल पर लिया गया है। चौंकाने वाला पहलू यह कि जिले के एक भी मरीज ने इस अस्पताल पर भरोसा नहीं जताया है। न ही अस्पताल में आयुष्मान डेस्क बनी है और न ही किसी पात्र ने यहां गोल्ड कार्ड के लिए पूछताछ की है।

सीएससी में बनवा सकेंगे गोल्ड कार्ड :

आयुष्मान भारत के पात्रों की दिक्कतों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) को जिम्मेदारी सौंपने का मन बना लिया है। सोहन लाल ने बताया कि कांट्रेक्ट भी साइन हो चुका है। प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को सूचना मिलनी बाकी है। सीएससी के कर्मचारी लिस्ट में पात्रों का नाम देखकर, उसके घर जाएंगे और गोल्ड कार्ड बनाएंगे।

पात्रों के घर पहुंचेगा पीएम का पत्र :

प्रधानमंत्री आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) 2018 की जानकारी देता खास पत्र हर पात्र के घर पहुंचेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश और फोटो युक्त इस पत्र में परिवार के सभी सदस्यों के नाम भी लिखे होंगे। जिले की आशा वर्कर्स दस्तक देकर इस पत्र को पहुंचाने का काम करेंगी। वर्जन :

प्राइवेट अस्पताल भर्ती हुए पात्र मरीजों के इलाज खर्च का बिल तो भेज रहे हैं, योजना के क्रियान्वयन में रुचि कम दिखा रहे हैं। उन्होंने चार बड़े अस्पतालों में बायोमेट्रिक मशीन नहीं होने की पुष्टि करते हुए कहा कि सभी की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जा रही है। स्थानीय स्तर पर भी नोटिस जारी किए जाएंगे।

सोहन लाल, जिला सूचना अधिकारी, आयुष्मान भारत


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