जज्बे को सलाम, घुटने ने दिया जवाब तो हौसलों से बढ़ाया कदम, अब जीत दर जीत
आदित्य के घुटनों को तीन ऑपरेशन हुए। फ्री स्टाइल छोड़ ग्रीको रोमन कुश्ती का अभ्यास किया। इसके बाद मेडल जीता।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। दोनों घुटनों के तीन ऑपरेशन हो चुके थे। डॉक्टरों ने कह दिया था कि कुश्ती छोड़नी होगी। कुश्ती करोगे तो पैर गवां देंगे। खेल कैरियर खत्म होने की कगार पर था। हिम्मत नहीं हारी। अभ्यास किया और पैरों पर मजबूती से खड़ा हुआ। पदक जीते। फिर छह महीने पहले कमर में चोट लगी। हौसला बनाए रखा और दिल्ली में हुई एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में ग्रीको रोमन में 72 किलोग्राम में कांस्य पदक जीता। ये कर दिखाया है शाहपुर गांव के पहलवान 24 वर्षीय आदित्य कुंडू ने। उन्होंने ढाक, भारंदाज दांव के लगाकर जापान के पहलवान नाओ कुसाका को 8-0 से हराकर जीत हासिल की। यह पदक जीतने वाले आदित्य जिले के पहले पहलवान बन गए हैं।
कोच पिता के सपने को किया साकार
पंजाब के फतेहगढ़ में को-ऑपरेटिव के इंस्पेक्टर आदित्य ने बताया कि पिता रणबीर कुंडू साई के पंजाब के जिरकपुर में गुलाजार अखाड़े में ट्रेनिंग देते हैं। वहीं पर परिवार रहता है। पिता का सपना था कि बेटा एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीते। 12 साल की आयु में पिता की निगरानी में फ्री स्टाइल कुश्ती का अभ्यास किया। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 पदक जीते। 2014 मं अभ्यास के दौरान घुटनों में चोट लग गई। तीन ऑपरेशन कराने पड़े। चारपाई पकड़ ली थी। पिता व मां सुमन कुंडू ने हौसला बढ़ाया और फ्री स्टाइल छोड़ ग्रीको कुश्ती का अभ्यास शुरू किया। 2017 में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद पीछ मुड़कर नहीं देखा।
विश्व कुश्ती में स्वर्ण पदक लक्ष्य
आदित्य ने बताया कि एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद विश्वास बढ़ा है। अब उसका लक्ष्य विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है। इसके लिए वह अपनी कमियों को दूर कर रहा है। विरोधी पहलवानों की वीडियो देख उनकी कमियों का पता लगा रहा है। सफलता के लिए और कड़ा अभ्यास करेगा। इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। पदक जीतना लक्ष्य है।
- मैट पर आदित्य की जीत
- ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी कुश्ती चैंपियनशिप में दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता।
- जूनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण औररजत पदक।
- स्कूल नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में पांच कास्य पदक।
- भारती केसरी दंगल में कांस्य पदक।