मुख्यमंत्री जी! बजट में पानीपत को चाहिए संजीवनी, अवैध फैक्ट्रियां भी करें वैध
हरियाणा का बजट पेश किया जाना है। ऐसे में पानीपत की जनता को सीएम से काफी उम्मीदें है। शिक्षा से लेकर रोजगार में हर कोई उम्मीद लगाए बैठा है।
पानीपत, जेएनएन। मुख्यमंत्री मनोहर लाल राज्य का बजट पेश करेंगे। बजट से यहां के टेक्सटाइल उद्यमियों की काफी उम्मीदे हैं। उद्योगों को नियमित करने से लेकर टेक्सटाइल नीति लागू करने की उद्यमियों की प्रमुख मांगें हैं। बजट में फ्रैट सब्सिडी का लाभ निर्यातकों को मिलना चाहिए। पानीपत एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रधान ललित गोयल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बजट में निर्यातकों को फ्रैट (किराया भाड़ा) सब्सिडी मिलेगी। डाइंग उद्योगों के लिए जेडएलडी लगाने के साथ कॉमन ब्वायलर लगाने के लिए बजट में प्रावधान होगा।
हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स चेयरमैन विनोद खंडेलवाल को बजट से उम्मीद है कि बजट में सीडी ब्लॉक में लगे उद्योगों की तर्ज पर एबी ब्लॉक के उद्यमियों को भी सुविधाएंं मिलेंगी।
गुजरात की तर्ज पर मिले सब्सिडी : अनिल बंसल
उद्यमी अनिल बंसल ने कहा कि बजट में गुजरात की तर्ज पर इंडस्ट्री स्टेट कैपिटल मिलने की उम्मीद है। गुजरात में स्टेट कैपिटल सब्सिडी के साथ टफ की सब्सिडी मिलती है।
इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होने से मिलेगा बजट : पुरुषोत्तम
उद्यमी पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि बजट में औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर (सड़क सीवर, परिवहन) को मजबूत करने के लिए बजट निर्धारित किया जाएगा।
13 करोड़ खाते में, अस्पताल में नहीं बनी एमसीएच विंग
सिविल अस्पताल में मदर एंड चाइल्ड हेल्थ विंग की घोषणा परवान नही चढ़ सकी है। करीब 20 करोड़ की लागत से बनने वाली विंग के लिए लगभग 13 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी के खाते में पहुंच गए हैं।अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग को गिराने के टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है। वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री ने सिविल अस्पताल में 100 बेड की एमसीएच विंग निर्माण की घोषणा की थी। गत वर्ष प्रदेश सरकार ने 20 करोड़ रुपये की सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी थी। कुछ माह पहले करीब 13 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी के खाते में पहुंच चुके हैं। पहले तो सिविल अस्पताल-ईएसआइ के बीच भूमि विवाद का मामला बाधा बनता रहा। गत माह इसका भी समाधान हो चुका है। लगभग 22 एकड़ में से 14 एकड़ भूमि सिविल अस्पताल के हिस्से में आई है। उम्मीद है कि इस बजट में कुछ प्रावधान किया जाएगा।
विंग के लिए 13 करोड़ रुपये मिल चुके हैं, इसकी मुझे जानकारी नहीं थी। पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन से बात कर सिविल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग को गिराने के लिए टेंडर जारी करवाए जाएंगे।
डॉ. संतलाल वर्मा, सिविल सर्जन
मुख्यमंत्री जी, 200 बेड के अस्पताल को डॉक्टर दिला दो
मुख्यमंत्री जी, वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट पर विधायकों, उद्यमियों सहित अन्य वर्गों से चर्चा तो काबिले तारीफ है। अब स्वास्थ्य विभाग के लिए कुबेर का खजाना खोल दो। सबसे पहले तो 200 बेड के सिविल अस्पताल, जिले की सीएचसी-पीएचसी के लिए पर्याप्त डॉक्टर दिला दो। जिले की तकरीबन 14 लाख की आबादी की एकमत से यही मांग है। सिविल अस्पताल की नई बिल्डिंग करीब 42 करोड़ से बनी है। अस्पताल 200 बेड का है। डॉक्टर्स की संख्या 50 बेड़ के मानक भी पूरा नहीं करती। एमएमआइवाइ का बजट नहीं मिलने से दवाओं के अभाव से जूझ रहा है। मेडिसिन खरीद के लिए अस्पताल प्रशासन एसकेएस (स्वास्थ्य कल्याण समिति) से लगभग 50 लाख रुपये से अधिक उधार ले चुका है। एमएमआइवाइ से सिविल अस्पताल को विगत वित्तीय वर्षों में तीन माह का बजट लगभग 75-80 लाख रुपये मिलता रहा है, करीब चार माह से नहीं मिला है। हेल्थ मैप डायग्नोस्टिक सेंटर को जून 2019 से जनवरी 2020 तक का भुगतान (लगभग 30 लाख रुपये)नहीं किया जा सका है। डायलिसिस सेंटर का लाखों रुपया बकाया है। डर है कि पीपीपी मोड पर मिल रही सुविधा बंद न हो जाए। डिस्पेंसरी में लगभग 25 प्रकार की आवश्यक दवाओं का अभाव बना हुआ है।
मेडिकल कॉलेज भी खुले
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट जारी करते समय पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी नवंबर 2017 में इस प्रकार की घोषणा कर चुके हैं। ये मेडिकल कॉलेज उन जिलों में खुलने हैं जहां पहले से 200 बेड का जिला अस्पताल है। पानीपत का सिविल अस्पताल 200 बेड का है लेकिन घोषणा पर ध्यान नहीं है।
कैंसर अस्पताल भी मिले
मैक्स अस्पताल, शालीमार गार्डन दिल्ली के चिकित्सकों ने विगत दिनों प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि कैंसर के कुल मरीजों में लगभग 33 फीसद हरियाणा से हैं। प्रदेश सरकार ने फरवरी 2018 में हर जिले में कैंसर अस्पताल बनाने की घोषणा की थी। अब तक इस पर अमल नहीं किया है।
सरकारी स्कूलों को अच्छे बजट की आस
प्रदेश सरकार राजकीय स्कूलों की तुलना प्राइवेट स्कूलों से करना चाहती है। सरकारी स्कूलों में हर वर्ग के बच्चों को पढऩा देखना चाहती है, लेकिन इसके लिए सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिले के सरकारी स्कूलों की हालत खस्ता है। स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। जिस कारण सरकारी स्कूल एक ही वर्ग का होकर रह गए हैं। प्रदेश सरकार 28 मार्च को बजट पेश करेगी। खासकर मौलिक विभाग के स्कूलों के कायाकल्प के लिए बजट से शिक्षकों को काफी उम्मीदें हैं।
शिक्षक उत्साहित, सुविधाओं का अभाव
शिक्षिका ज्योति भाटिया ने कहा कि सरकारी स्कूलों के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था नहीं की जाती है। सरकारी स्कूलों की तुलना प्राइवेट स्कूल से की जाती है, लेकिन सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता। बिना सुविधा वाले स्कूलों में कोई अभिभावक अपने बच्चों को नहीं पढ़ाना चाहता।
सरकारी स्कूलों की आधुनिकता पर हो काम
शिक्षक राजेश मलिक ने कहा कि सरकारी स्कूलों में बेहतर बिल्डिंग, फर्नीचर, शौचालय, पेयजल और अन्य सुविधाओं के साथ कंप्यूटर लैब, डिजिटल बोर्ड और बिजली की व्यवस्था की जरूरत है। जिससे हर वर्ग के लोगों का सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास बढ़ेगा।
ग्रामीण शिक्षकों को मिले भत्ता
शिक्षक रविंद्र डिकाडला ने कहा कि सरकार बजट में ग्रामीण शिक्षक भत्ते का प्रावधान करे। इससे शिक्षकों में ग्रामीण क्षेत्रों पढ़ाने के लिए रूचि बढ़ेगी। भत्ता न होने के कारण शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाने से कतराते हैं। जिससे शिक्षा प्रभावित होती है।
बजट से उम्मीद, सुधरेंगे स्टेडियमों के हालात
एथलीट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर प्रदेश को गौरव बढ़ा चुका हैं। जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा, कबड्डी खिलाड़ी जसमेर गुलिया, जसबीर सिंह, जसमेर जस्सा और प्रवीण मलिक एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। इसके बावजूद जिला स्तरीय शिवाजी स्टेडियम बदहाल है। इसके अलावा खंड स्तर पर आठ और 12 ग्रामीण स्तर के मिनी स्टेडियम हैं। इनकी हालत भी दयनीय ही है। पिछले साल के प्रदेश के बजट में स्टेडियमों की दशा सुधारने की घोषणा नहीं हो पाई थी। अब खिलाडिय़ों को उम्मीद है कि बजट में खेल को तरजीह मिलेगी। उन्हें खेल का सामान मिलेगा। पूर्व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच प्रेम सिंह आंतिल ने बताया कि जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जरूरत है तो स्टेडियमों के मैदानों का सुधार कराना, कोचों की व्यवस्था करना और खेल के सामान की व्यवस्था की। खेल मंत्री संदीप ङ्क्षसह खिलाड़ी रहे हैं। वे खिलाडिय़ों की तकलीफ से वाकिफ हैं।
इन स्टेडियमों का हो सुधार
खंड स्तर पर भापरा, बापौली, बबैल, करहंस, इसराना, मतलौडा, जाटल और अहर में राजीव गांधी स्टेडियम हैं। इनके के मैदान में सुधार की जरूरत है। इसी तरह से उग्राखेड़ी, अटावला, परढ़ाना, जौरासी, सिठाना, छाज्जू गढ़ी, नरायणा, हथवाला, भोड़वाल माजरी, जलालपुर-1, उरलाना कलां में मिनी स्टेडियम हैं। इनमें सरकारी कोच की जरूरत है।
विधानसभा में उठाई प्रमोद विज ने उठाई फैक्ट्रियों को वैध करने की मांग
शहरी विधायक प्रमोद विज ने शहर के व्यापारियों की मांगों को देखते हुए विधानसभा में बुधवार को अवैध फैक्ट्रियों को वैध करने की मांग उठाई। उन्होंने व्यापारियों की समस्या से अवगत कराते हुए कहा कि पानीपत में एचआइआइडीसी या दूसरे विभागों ने थोड़े-थोड़े प्लॉट काट कर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए। प्लॉट नहीं मिलने से व्यापारियों को अवैध जगहों पर फैक्ट्रियां लगानी पड़ी। इन्हीं अवैध फैक्ट्रियों के आसपास कॉलोनियां बस गई। उन्होंने शहर में विभिन्न स्थानों पर लगी फैक्ट्रियों को वैद्य का दर्जा देने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एचएसआइआइडीसी ने साल 2010 में 960 एकड़ जगह एक्वायर की थी। लेकिन जमीन के ज्यादा रेट होने के कारण वहां फैक्ट्रियां विकसित नहीं हो पाई। जमीन के रेट सस्ते कराकर अवैध फैक्ट्रियों को वहां शिफ्ट कराने का भी विकल्प दिया।