पानीपत की अदालत ने रेप केस में आरोपी को किया बरी, 10 महीने तक जेल में कटी रातें, सामाजिक प्रताड़नाएं भी झेलीं
पानीपत की एक अदालत ने विशाल नाम के एक व्यक्ति को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया है। विशाल पर उसकी पड़ोसन ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। हालांकि डीएनए रिपोर्ट ने विशाल को निर्दोष साबित कर दिया। इस केस में अधिवक्ता मोहित कुहाड़ ने विशाल का बचाव किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है।

जागरण संवाददाता, पानीपत। गंगाराम कॉलोनी निवासी विशाल उर्फ प्रभात को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुखप्रीत सिंह को फास्ट ट्रैक काेर्ट ने दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया है। विशाल ने कहा केस दर्ज होने से लेकर अब तक उसने 10 माह की जेल काटी। समाज की प्रताड़नाओं को झेला, लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद उसने राहत की सांस ली।
इस केस में मजबूत पैरवी कर विशाल को बरी कराने वाले अधिवक्ता मोहित कुहाड़ ने बताया कि 25 जुलाई, 2023 को कॉलोनी के ही एक युवक ने पुराना औद्योगिक थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि वह छह बहन भाई हैं। उसकी छोटी बहन 16 साल की है। वह 24 जुलाई को शाम पांच बजे से गायब है। उन्होंने तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आशंका है कि किसी ने बहन का अपहरण कर लिया है।
28 जुलाई को मिली नाबालिग
पुराना औद्योगिक थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 365 के तहत केस दर्ज कर लिया था। 28 जुलाई को पुलिस ने नाबालिग को महिला अधिकारी की संरक्षण में बरामद किया। पुलिस ने उसका मेडिकल कराया। जिसमें वह गर्भवती मिली। पुलिस ने धारा 376 (2) एन, छह पोक्सो एक्ट जोड़ी। एक अगस्त 2023 को विशाल को गिरफ्तार किया गया।
दो अगस्त को विशाल के सैंपल लेकर उसे जेल भेज दिया। चार अगस्त को अल्ट्रासाउंड कराया तो वह पांच सप्ताह तीन दिन की गर्भवती मिली। जिसका पांच अगस्त, 2023 को गर्भपात कराया गया। पुलिस ने भ्रूण के सैंपल लेकर लैब भेजे। अधिवक्ता मोहित ने बताया कि विशाल को 24 जून, 2024 को जमानत मिली।
इस मामले में कुल 19 गवाह पेश हुए। जिसमें नाबालिग, उसकी मां, पिता, थाना प्रभारी इंस्पेक्टर वीरेंद्र, डायरेक्टर एफएसएल, डॉक्टर आदि गवाह शामिल रहे। नाबालिग की अंतिम गवाही के बाद लगभग सब मान बैठे थे विशाल ने ही उसके साथ दुष्कर्म किया है। उन्होंने मजबूती के साथ केस की पैरवी की और अदालत में डीएनए रिपोर्ट पेश की, जो नेगेटिव थी। जिसके आधार पर अदालत ने विशाल को बरी किया।
पुलिस और कोर्ट में दिए अलग-अलग बयान
30 जुलाई को नाबालिग के 161 सीआरपीसी के तहत पुलिस ने बयान दर्ज किए। जिसमें बताया कि उनके साथ किराये पर रहने वाले विशाल के साथ कुछ माह पहले उसकी दोस्ती हो गई। जब घर पर कोई नहीं होता था तो विशाल उससे मिलने आता था।
विशाल ने बहला-फुसलाकर तीन माह पहले घर पर ही उसके साथ दुष्कर्म किया। वह बार-बार घर पर आकर दुष्कर्म करता रहा। 24 जुलाई को भी घूमने के बहाने उसे दिल्ली ले गया। दिल्ली में उसे कहीं कमरा नहीं मिला तो 28 जुलाई उसे पानीपत छोड़कर चला गया। वह डर के मारे घर नहीं गई, सीधा थाने चली गई।
31 जुलाई को सीआरपीसी 164 के तहत कोर्ट में बयान दर्ज कराए। जिसमें नाबालिग ने बताया कि उसकी मम्मी ने उसे डांट दिया था, इसलिए वह दोस्त के घर चली गई। वह गुस्से में थी इसलिए वह अपनी मर्जी से वापस भी आ गई। उसके साथ गलत काम नहीं हुई। अदालत में दोबारा गवाही हुई तो नाबालिग ने कहा कि उसके साथ विशाल द्वारा दुष्कर्म करने के आरोप दोहराए।
रंजिशन कराया गया था केस: मोहित
नाबालिग मां और विशाल के पिता के बीच 50 हजार का लेन-देन था। रुपये न चुकाने की एवज में उन्होंने रंजिशन विशाल पर झूठा मुकदमा दर्ज कराया। जबकि उसके साथ किसी अन्य ने दुष्कर्म किया था। मेरा कहना है कि कानून महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए बनाया गया है, लेकिन वर्तमान में महिलाएं ही इसका दुरुपयोग कर रही है, जो बेहद चिंता का विषय है।
- मोहित कुहाड़, अधिवक्ता, पानीपत।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।