डीसी की पत्नी डॉ.रजनी को सिविल अस्पताल में मिला नया कक्ष, मरीजों को मिठाई खिलाई
जागरण संवाददाता, पानीपत सिविल अस्पताल की नई बिल्डिंग में शुक्रवार को त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. र
जागरण संवाददाता, पानीपत
सिविल अस्पताल की नई बिल्डिंग में शुक्रवार को त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. रजनी खरे की ओपीडी भी प्रारंभ हो गई। नई बिल्डिंग में दो कक्ष मिलने से संतुष्ट डॉ. खरे ने मरीजों का स्वागत मिठाई खिलाकर किया। पहले ही दिन उन्होंने 200 से अधिक मरीजों का उपचार किया। हालांकि, लेजर मशीन समेत दूसरे उपकरणों का अभाव होने से उनके चेहरे पर निराशा भी देखी गई। बता दें कि डॉ.रजनी गोयल खरे डीसी डॉ. चंद्रशेखर खरे की धर्मपत्नी हैं।
गौरतलब है कि युवा पीढ़ी स्किन के दाग-धब्बों, मुंहासे व चोट के निशानों के प्रति काफी संवेदनशील है। खासकर, किशोरी और युवतियां तो शरीर पर अनचाहे बाल व दाग देखकर तनाव में भी आ जाती हैं। खूबसूरती को निखारने के लिए लेजर थैरेपी एक कॉमन ट्रीटमेंट है। त्वचा के दाग-धब्बों को मिटाने, शरीर के अनचाहे बालों को हटाने व मुंहासों के बाद चेहरे पर पड़े गड्ढों को भरने में यह तकनीक कारगर है। मरीज निजी केंद्रों पर न भटके, इसके लिए जुलाई माह में डॉ. रजनी खरे ने लेजर मशीन की डिमांड सिविल सर्जन कार्यालय से की थी। उन्होंने बताया था कि लेजर ट्रीटमेंट में लाइट की तेज किरण ट्रीटमेंट किए जाने वाले हिस्से पर डाली जाती है। यह स्किन के ऊपर या अंदर वाली लेयर तक जाकर, अनचाहे हिस्से को बर्न कर देती है। इससे बर्थ मार्क्स, स्ट्रैच मार्क्स व झाइयां आदि खत्म हो जाते हैं। चोट के निशानों के रंगों को पहचानकर उसके हिसाब से लेजर दी जाती है। लेजर फेशियल में स्किन के ऊपर की लेयर लेजर के जरिए बर्न कर दी जाती है, जिससे नई लेयर दिखे। इससे नई लेयर ग्लो करती है।
दु:खद पहलू यह कि लगभग चार माह बाद भी स्किन ओपीडी में लेजर मशीन नहीं लग सकी है। नई ओपीडी में मरीजों को परामर्श देते हुए डॉ. रजनी खरे ने निराशाजनक भाव से बताया कि अभी लेजर मशीन में कुछ बाधाएं हैं।