उप्र के किसानों ने खोजकीपुर में 60 एकड़ फसल उजाड़ी
संवाद सहयोगी सनौली-बापौली हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच सीमा विवाद एक बार
संवाद सहयोगी, सनौली-बापौली : हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच सीमा विवाद एक बार फिर से गहरा गया है। हरियाणा के खोजकीपुर गांव के किसानों की 60 एकड़ गेहूं की फसल उप्र के किसानों ने हथियारो के बल पर ट्रैक्टरों से उजाड़ दी। किसानों के बीच तनाव बढ़ने पर दोनों राज्यों की पुलिस मौके पर पहुंच गई। दोनों तरफ पूछताछ हो रही है। बापौली थाना पुलिस ने उप्र के टांडा गांव के 60-70 किसानों पर केस दर्ज किया है। समालखा के एसडीएम समालखा वीरेंद्र हुड्डा, नायब तहसीलदार बापौली, एसएचओ बापौली ने टांडा के किसानों के खिलाफ कार्रवाई कर विवाद का हल कराने का आश्वासन दिया। इसी सप्ताह उप्र सीमा विवाद को लेकर उप्र प्रशासन के साथ बैठक होगी।
यमुना के अंदर हरियाणा के गांव खोजकीपुर के किसानों ने करीब 600 एकड में गेहूं की फसल लगाई है। हरियाणा के किसानों ने फसल उजड़ते देख विरोध किया तो टांडा के किसानों ने लाठी, डंडे व हथियार दिखाते हुए डरा दिया। उप्र की तरफ से सैकड़ों और खोजकीपुर की ओर से महज बीस किसान मौजूद थे। करीब एक घंटे बाद बापौली थाना एसएसओ रामनिवास पुलिस बल सहित खेतों में पहुंचे। मौके पर ही उप्र के गांव टांडा से भी चौकी पुलिस टीम पहुंची। टांडा व नगला के किसान भागने लगे तो पांच को पकड़ लिया गया। इन्हें बापौली थाना पुलिस को सौंप दिया।
हम चालीस साल से खेती कर रहे
खोजकीपुर गांव के किसान मेहर सिंह, रामभज, नरसा, विकास, देवी सिंह, हरीकिसान का कहना है कि पहले उनके पूर्वज इस जमीन पर खेती करते थे। अब वे 40 साल से खेती करते आ रहे हैं। हर साल उप्र के किसान हथियारों के बल पर उनकी जमीन पर कभी फसल उजाड जाते है तो कभी जमीन को कब्जे की नीयत जुताई कर देते हैं। हथियारों के बल पर धमकाते रहते हैं। इस जमीन की अनेक बार निशानदेही हो चुकी है। रिकार्ड में हरियाणा के किसानों की जमीन मिलती है। पहले विधायक ने कराई थी मशीनों से निशानदही
सितबर महीने में संजौली, रमाल, खोजकीपुर और गोयला खुर्द के किसानों की तीन सौ एकड़ जमीन पर उप्र के किसानों ने जुताई कर दी थी। विवाद को हल करने के लिए हलका विधायक धर्म सिंह छौक्कर ने एसडीएम समालखा, नायब तहसीलदार बापौली को यमुना के अंदर जमीन की मशीनों से निशानदेही कराई थी। निशानदेही में विवादित जमीन हरियाणा के किसानों की पाई गई थी।
जल स्तर घटते ही विवाद गहराया
यमुना नदी के अंदर जल स्तर घटते ही इस जमीन पर खेती करने को लेकर हरियाणा-उप्र के किसानों का विवाद गहराने लगता हैं। 45 साल से यमुना भूमि के अंदर दोनों ओर के किसानों में सीमा रेखा को लेकर विवाद चलता आ रहा है। दोनों ओर से कई बार गोलियां चलने से खूनी संघर्ष हो चुके हैं। दोनों ओर के एसडीएम व कमिश्नर स्तर के अधिकारियों की बैठक होती रही हैं। स्थायी समाधान नहीं हुआ। हर वर्ष यमुना में अधिक पानी आने पर यमुना अपना कटाव कर एक दूसरे राज्य की जमीन में रास्ता बहल लेती है। यमुना की धार बदलने के चलते किसान भी अपनी जमीन का सही अंदाजा न होने पर एक दूसरे राज्य के किसानों की ओर कब्जे करने लगते हैं। यमुना के अंदर वर्ष 1974-75 के दीक्षित अवार्ड के तहत दोनों राज्यों की सीमा रेखा को लेकर सींमेट के पिलर लगाए गए थे। ये पिलर दो-तीन वर्ष बाद यमुना के जल के बहाव में उखड़ गए। इसके बाद फिर से सीमा रेखा विवाद गहराता आ रहा है।