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चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार से पानीपत में बरसेंगे डॉलर

पानीपत के व्‍यापारियों को इस समय डॉलर महंगा होने से जरूर लाभ मिल रहा है। ट्रेड वार की वजह से उनका बिजनेस जरूर चल रहा है। अगर इसी तरह सब चलता रहा तो इंडस्‍ट्री आगे निकल सकती है।

By Edited By: Published: Thu, 04 Oct 2018 12:44 PM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 02:30 PM (IST)
चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार से पानीपत में बरसेंगे डॉलर
चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार से पानीपत में बरसेंगे डॉलर

महावीर गोयल, पानीपत। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार ने पानीपत के व्‍यापारियों के लिए बिजनेस के रास्‍ते खोल दिए हैं। अभी तक चीन से प्रोडक्‍शन कॉस्‍ट की वजह से मात खा रहे पानीपत के निर्यातकों को बड़ा मौका मिला है। अब लागत के मामले में भारत टक्‍कर देने की स्थिति में आ गया है। दरअसल, अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर आयात ड्यूटी बढ़ा दी है। इससे भारत और चीन के माल के दामों में भारी अंतर हो गया है। अब अमेरिका को होने वाला निर्यात दोगुना होने की संभावना है। पानीपत से सालाना 3000 करोड़ का कारपेट (गलीचा) निर्यात होता है। हैंड मेड कारपेट अमेरिका सहित यूरोपियन देशों की पहली पसंद है। अमेरिका के होटलों में पानीपत का कारपेट बिछाया जाता है।
उत्तरप्रदेश के भदोही के बाद देश में सबसे अधिक उत्पादन पानीपत में होता है। वर्ष 2003 की मंदी के बाद भारत की तुलना में चीन के कारपेट की माग बढ़ी थी। चीन में मशीन द्वारा कारपेट बनाया जाता है, जो भारतीय कारपेट की तुलना में सस्ता होता है। सस्ता कारपेट होने के कारण चीन की प्रतिस्पर्धा में भारतीय बाजार टिक नहीं पा रहे थे। कारपेट एसोसिएशन के महासचिव अनिल मित्तल का कहना है कि उन्होंने प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए भदोही की तर्ज पर प्रशिक्षित कारीगरों के लिए पानीपत में इंस्टीट्यूट खोलने, जॉब वर्क पर ई-वे बिल हटाने के साथ-साथ कलस्टर योजना को जल्द से जल्द लागू करने का सुझाव दिया है।

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इस तरह समझें, कैसे फायदा
एसोसिएशन के महासचिव अनिल मित्तल ने बताया कि चीन से अमेरिका में 50 हजार करोड़ डॉलर का निर्यात होता है। इसमें टैक्सटाइल उत्पाद भी शामिल हैं। दूसरी तरफ चीन में 35 हजार करोड़ डॉलर का निर्यात अमेरिका करता है। इस व्यापार असंतुलन को ठीक करने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी है। जबकि भारत के उत्पादों पर कोई इंपोर्ट ड्यूटी नहीं है। एक दिसंबर से यह नीति लागू होगी। मित्तल के अनुसार, अगर एक कारपेट अभी एक लाख रुपये का बिकता है तो चीन को उसके लिए एक लाख दस हजार रुपये की लागत आएगी। जब भारत की लागत कम होगी तो वो मुकाबला बेहतर कर सकेगा।

रोजगार भी बढ़ेंगे
अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में पानीपत में रोजगार बढ़ जाएगा। पिछले दिनों मंदी की वजह से कई व्‍यापारियों ने नाराजगी जाहिर की थी। पर धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं। अब निर्यातकों का कहना है कि उनके पास अगर काम बढ़ता है तो वे लोकल जॉब वर्क करने वालों को ही आगे बढ़ाएंगे। यहां पर ही बना बनाया माल मिल जाएगा तो उन्‍हें सस्‍ता ही पड़ेगा। इससे पानीपत में रोजगार बढ़ेगा। बाजार में जो मंदी चल रही है, वो दूर होगी।

महंगा डॉलर इनके लिए फायदेमंद
डॉलर दिन प्रतिदिन महंगा होता जा रहा है। बृहस्‍पतिवार को एक डॉलर की कीमत 73.73 रुपये थी। यही डॉलर वर्ष 2013 में साठ रुपये का था। डॉलर के महंगे होने से तेल की कीमत पर असर पड़ता है। ज्‍वेलरी महंगी होती है। विकास की रफ्तार पर असर पड़ता है। पर एक दूसरा पहलू ये भी है कि निर्यात के कारोबारियों को इसका फायदा होता है। डॉलर के महंगे होने से भारत में उन्‍हें ज्‍यादा रुपये का भुगतान मिलता है। मान लीजिए, जब उन्‍होंने सौदा किया था, तब डॉलर 70 रुपये का था। एक महीने बाद डॉलर पांच रुपये भी बढ़ता है तो उन्‍हें ज्‍यादा रकम मिलेगी।


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