किराए का कमरा खाली कर महिला पहुंची स्टेशन, बोली-रहम करो, पति-बेटे के पास जाना है
वैसे तो प्रवासी लोगों पर लॉकडाउन और कोरोना संकट पहाड़ बनकर टूटा है। वहीं एक महिला ऐसी भी थी जो पति और बेटे के पास जाने के लिए किराए का कमरा तक खाली कर स्टेशन आ गई।
पानीपत, [अरविन्द झा]। सिपाही साहब आपका भला होगा। पति और बेटे के पास भागलपुर जाना है। किसी ने बरगला कर पानीपत स्टेशन से ट्रेन खुलने की बात कही। किराये का घर खाली कर हम चले आए। मेहरबानी कर इस ट्रेन में बिठा दो। रेलवे स्टेशन के बाहरी परिसर में तीन महिलाएं दोपहर एक बजे पुलिस अधिकारियों से हाथ जोड़ कर बार-बार विनती कर रहीं थी। पुलिस कर्मियों ने इन महिलाओं को भोजन का पैकेट देकर पेड़ की छांव में बिठाया। महिला कांस्टेबल ने तीनों को वापस कमरे में भेज दिया।
तिलकामांझी (भागलपुर, बिहार) की कल्याणी, सुनीता व पुष्पा पानीपत में मेहनत मजदूरी कर रहती हैं। हाथ में एक-एक बैग लेकर चिलचिलाती धूप में पानीपत स्टेशन पहुंचीं। पुष्पा की गोद एक साल का बेटा भी था। तीनों महिलाएं जैसे ही मुख्य द्वार की तरफ बढऩे लगी ड्यूटी पर तैनात रेलवे सुरक्षा बल के जवानों ने रोक लिया। कल्याणी और सुनीता स्पेशल ट्रेन में बैठाने की गुहार लगा कर जोर-जोर से रोने लगीं। पास में खड़े दो-तीन पुलिसकर्मियों ने उन्हें भोजन का पैकेट और पानी की बोतल थमा कर किनारे में कर दिया। महिलाएं आंचल से अपना मुहं ढंक कर पति व बेटे का नाम लेकर रोती जा रही थी। पुलिसकर्मी उन्हें चुप कराना चाह रहे थे। डीएसपी सतीश वत्स के आने के बाद महिलाओं को ईदगाह कालोनी स्थित उनके कमरे पर भेजा गया।
दैनिक जागरण से बातचीत में कल्याणी ने बताया कि लॉकडाउन लगने के एक दिन बाद उनके पति और बेटे को पानीपत आना था। दो माह हो गए। वे यहां नहीं आ सके। ईदगाह कालोनी में किराये का कमरा खाली करना पड़ा। अब कहां रहेंगे..क्या खाएंगे..कौन देगा। बस किसी तरह ट्रेन में सवार होकर भागलपुर पहुंच जाएंगे। पोर्टल पर पंजीकरण भी पहले से करा रखा है।
ताली बजा कर बरसाए फूल
सोनीपत, गन्नौर और गोहाना से 1550 श्रमिकों को रोडवेज की बस में बैठा कर पानीपत स्टेशन लगाया गया। मालगोदाम के पास इन यात्रियों की सुरक्षा में आरपीएफ जवान प्रवीण बेनीवाल तैनात रहे। दोपहर दो बजे सभी यात्रियों को कोच में बैठा दिया गया। शहरी विधायक प्रमोद विज यात्रियों को रवाना करने रेलवे स्टेशन पहुंचे। तालियों की गडग़ड़ाहट और फूल बरसा कर शाम 4 बजे प्लेटफार्म नंबर एक से ट्रेन रवाना किया गया।
9.15 लाख किराये का भुगतान
हरियाणा सरकार की तरफ से बृहस्पतिवार को ही ट्रेन का किराया 9 लाख 25 हजार रुपये चुकता कर दिया गया था। स्टेशन पर टिकट काटने के लिए आए रेलकर्मियों ने 1550 टिकटें काटी। यात्रियों को ट्रेन में बिठाने का काम दोपहर 2 बजे तक पूरा कर लिया गया।
धूप में खड़े रहे छह घंटे, बारी नहीं आई, पसीने बहा कर लौटे
बस में सवार होने के लिए सुबह चार बजे से हजारों लोग आर्य कॉलेज ग्राउंड पहुंचने लगते हैं। उत्तरप्रदेश की बसें रवाना होने के बाद जो लोग बच जाते हैं, पुलिस उन्हें घर जाने को कह देती है। सिर पर बैग लिए मजदूर, पत्नी व उनके बच्चे पैदल सात-आठ किलोमीटर चल कर थके चेहरे लिए कमरे पर पहुंचते हैं। राशन पानी सब समाप्त है। फैक्ट्री के मालिक उन्हें राशन और पैसे देने के लिए अब तैयार नहीं हैं।
कमरे का किराया कहां से देंगे
उत्तरप्रदेश के शहजहानपुर शहर का प्रमोद सेक्टर 29 में एक फैक्ट्री में हेल्पर का काम करता है। लॉकडाउन लगने के बाद नौकरी छूट गई। मार्च महीने में फैक्ट्री के मालिक ने प्रति सप्ताह 500-500 रुपये दिए। बसें जाने की सूचना मिलते ही 12 दिन पहले पोर्टल पर आवेदन किया। शुक्रवार सुबह 4:30 बजे परिवार और सामान लेकर दो दिन से बस स्टैंड जा रहा है। भूखे प्यासे छह-सात घंटे कतार में खड़े रहने के बाद ड्यूटी पर तैनात अधिकारी उसे वापस लौटा देते हैं। प्रमोद की पत्नी गर्भवती है। उसका कहना है कि लाला अब राशन देने को तैयार नहीं है। कमरे का किराया कहां से देंगे। इसलिए घर जाना चाह रहे हैं।
पैसा खत्म, अब क्या करें
उत्तरप्रदेश के बदायूं का कृपाल बेलदारी करता है। पत्नी व एक बेटी को लेकर सुबह 4 बजे बस में सवार होने की उम्मीद से आर्य कॉलेज ग्राउंड में पहुंचा। दोनों पति पत्नी सिर पर एक एक बैग लिए पैदल चले गए। कतार में खड़े रहने के बाद दोपहर 12 बजे उन्हें यह कह कर लौटा दिया कि जब तक फोन से कोई सूचना नहीं मिले बस में सवार होने नहीं आना। कृपाल ने बातया कि घर से जो पैसे मांगया वो सब खत्म हो चुका है। पानीपत में गुजारा करना मुश्किल है। काम भी दो माह से छूट गया। समझ में नहीं आ रहा है अब क्या करूं।